सेना के टैंक के अंदर क्या-क्या होता है? जानें जंग के मैदान में क्या होता है इसका काम
Indian Army: टैंक का मुख्य काम गोले दागना होता है। टैंक भारी हथियारों से लैस और बख्तरबंद लड़ाकू वाहन जो दो धातु की जंजीरों पर चलता है जिसे ट्रैक कहा जाता है।
प्राचीन काल में ऐसे होते थे युद्ध, नियम और कायदों के तहत ही किया जाता था दुश्मनों पर हमला
पुराने समय में युद्ध (War) के कुछ नियम भी होते थे। इन नियमों का पालन हर सेना इमानदारी से करती थी। इस तरह नियमों के तहत होने वाले युद्ध को धर्मयुद्ध कहा जाता था।
Indian Army की राजपूताना रेजीमेंट के नाम से थर्राता है PAK, जानें इसकी खासियत
वीर भोग्य वसुंधरा, यानी वीर अपने शस्त्र की ताकत से ही मातृभूमि की रक्षा करते हैं। इस रेजीमेंट की भारत-पाक युद्ध 1948, 1965,1971 और 1999 में भूमिका रही है।
‘ऑपरेशन चंगेज खान’ के जरिए कश्मीर में स्थित तोपों को टारगेट कर रहा था पाक, 1971 के युद्ध में वायुसेना ने ऐसे दी मात
भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1971 में युद्ध हुआ, जिसके बाद दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश सामने आया। 1971 में 16 दिसंबर का दिन भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
साल 1947-48 में लड़ा था सबसे लंबा युद्ध, 441 दिनों तक आमने-सामने थे भारत और पाकिस्तान
भारत और पाकिस्तान के बीच आजादी के तुरंत बाद ही युद्ध लड़ा गया था। अगर ये कहें कि भारत पर पहला युद्ध आजादी के एक साल बाद ही थोप दिया गया था, तो ऐसा कहना गलत नहीं होगा।
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान, 1948 के युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान (Brigadier Mohammad Usman) को बेहद ही बहादुर माना जाता था। कहा जाता है कि उनमें ऐसी काबिलियत थी कि वे थल सेना (Indian Army) के अध्यक्ष बन सकते थे।
अमेरिका के दखल के बाद आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच खत्म हुआ युद्ध, मारे गए 5 हजार लोग
ट्रंप ने बताया कि आर्मीनियाई (Armenia) पीएम और अजरबैजान के राष्ट्रपति को बधाई, जो आधी रात को प्रभावी ढंग से संघर्ष विराम का पालन करने के लिए सहमत हुए।
1948 की भारत-पाक जंग को कहा जाता है पहला कश्मीर युद्ध, जानें इससे जुड़ी अहम बातें
India Pakistan War 1948: आजादी के तुरंत बाद ही पाकिस्तान ने कश्मीर को पाने के लिए 1948 में नापाक साजिश रची जिसे सेना ने बुरी तरह से विफल कर दिया।
17 गोलियां खाने के बाद भी मार गिराए थे 70 पाकिस्तानी सैनिक, जानें इस ‘परमवीर चक्र’ विजेता की बहादुरी की कहानी
सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव एकमात्र ऐसे सैनिक हैं, जिन्हें जिंदा रहते सेना के सर्वोच्च सम्मान 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया गया है।
भारतीय सैनिकों के बलिदान की शौर्य गाथा हैं युद्ध स्मारक, युवाओं के लिए हैं प्रेरणा
जवानों के बलिदान को याद रखने और युद्ध में उनकी शौर्य गाथा को बताने के लिए युद्ध स्मारक बनाए जाते हैं। देश में कई जगहों पर युद्ध स्मारक बनाए गए हैं।
1948 में कश्मीर के तिथवाल में लंबे समय तक चली थी भीषण लड़ाई, युद्ध में सेना ने ऐसे किया था पाक सेना का सफाया
दुश्मनों को खदेड़ना भारतीय सेना के लिए बड़ी चुनौती थी। इस युद्ध के दौरान जम्मू-कश्मीर स्थित तिथवाल क्षेत्र में लंबे समय तक एक भीषण लड़ाई लड़ी गई।
1962 में भारत की हार की ये थी वजह! जानें क्यों चीनी सैनिकों को हरा नहीं पाए हमारे जवान
हथियार भी उतने एडवांस नहीं थे जितना चीनी सैनिकों के पास थे। हालांकि इस युद्ध में सेना के कई जवानों ने हैंड टू हैंड फाइट कर कई चीनी सैनिकों को ढेर किया था।
भारतीय सेना के इस राइफलमैन ने अकेले ही 300 सैनिकों को कर दिया था ढेर, जानें वीरता की कहानी
चीनी सेना के हमले में गढ़वाल राइफल्स की चौथी बटालियन के ज्यादातर जवान शहीद हो गए थे। जसवंत सिंह अकेले ही 10 हजार फीट ऊंची अपनी पोस्ट डटे हुए थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध क्यों और कब हुआ? यहां जानें
हरि सिंह ने देर से ही सही लेकिन भारत को कश्मीर में मिलाने के लिए हामी भरी तो देखते ही देखते भारतीय सेना कश्मीर पहुंची और दुश्मनों को भगा-भगाकर मारना शुरू किया।