War of 1971

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के बारामूला पहुंची स्वर्णिम विजय मशाल (Swarnim Vijay Mashal) ने भारतीय सैनिकों की 1971 के युद्ध की यादों को ताजा कर दिया। मशाल के बारामूला पहुंचने पर वहां उसका भव्य स्वागत किया गया।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध (War of 1971) में पाकिस्तान के हजारों सैनिकों ने सरेंडर कर दिया था। भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने इस युद्ध में बेहद ही अहम भूमिका निभाई थी।

अस्पताल तक पहुंचने के से पहले उन्होंने बहादुरी की मिसाल पेश कर दी थी। उन्होंने 9 दिसंबर के दिन वीरता दिखाते हुए पाकिस्तान के सेवर जेट विमान को रोके रखा था।

युद्ध के 50 साल बाद भी इस गांव के लोग अपने लोगों से नहीं मिल पाए हैं, क्योंकि कब्जे के बाद पाक में रहने वाले और इन गांव में रहने वाले लोगों का संपर्क समाप्त हो गया।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण लड़ाई (War of 1971) लड़ी गई थी। युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने ऐसा पराक्रम दिखाया था जिसे याद कर दुश्मन देश आज भी कांप उठता होगा।

India Pakistan War: जवान का नाम जीवा सिंह था जो अपनी बहादुरी के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उनकी बहादुरी के किस्से आज भी लोग सुनाते हुए देखे जा सकते हैं।

युद्ध में मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के 48 सैनिकों ने भी हिस्सा लिया था। इन सैनिकों में से एक खरगोन जिले के टांडा बरूड़ निवासी सिपाही भगवान सिंह चौहान भी थे।

युद्ध के दौरान कई मौकों पर सेना को राशन की कमी महसूस हुई थी लेकिन तय वक्त पर राशन पहुंचा दिया जाता था। ऐसा हमारे वीर सैनिकों के द्वारा हो सका था। 

युद्ध में पाक सेना के खिलाफ जवानों ने शौर्य का परिचय दिया। पाक को हराकर भारतीय जवानों ने दिखा दिया था कि हमारे खिलाफ नजर उठाने वालों के साथ क्या होता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ भारतीय सेना का शौर्य बेहद ही शानदार था। भारतीय वीर सपूतों ने दुश्मनों को बुरी तरह से नेस्तनाबुद कर दिया था।

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