Taliban

अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद से अफगानिस्‍तान (Afghanistan) में हालात बदतर होते जा रहे हैं। वहां तालिबान (Taliban) के अमानवीय और क्रूर शासन का खतरा मंडराने लगा है।

पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि अफगानिस्तान के विभिन्न प्रांतों में पिछले 24 घंटों के दौरान 300 से ज्यादा तालिबानी आतंकी मारे गए हैं।

अमेरिकी सैनिकों (US Army) की अफगान से वापसी ने चीन की भी टेंशन बढ़ा दी है। उसे डर है कि इसके बाद अफगानिस्तान में फिर से आतंकवाद भड़क सकता है जिसका असर उसकी बीआरआई (BRI) परियोजना पर पड़ सकता है।

पाकिस्तान (Pakistan) दुनिया भर में आतंक फैलाता है, ये सबको मालूम है। भारत के खिलाफ तो आतंकवाद (Terrorism) ही उसका सबसे बड़ा हथियार है। अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान (Afghanistan) को तालिबानी आतंकियों के हाथों में सौंप देना चाहता है।

ट्रंप साहब चाहे जितने जीत के दावे और आइसिस ख़त्म करने के दावे करते फिरें। असलियत में यह समझौता अगर किसी की जीत के रूप में देखा जा सकता है तो वह तालिबान की जीत है।

बातचीत रद्द होने के बाद अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अशरफ गनी का कहना है कि इस क्षेत्र में सही मायनों में तभी शांति आएगी, जब तालिबान इस तरह हमलों को अंजाम देना बंद करेगा और अफगानिस्‍तान की सरकार से सीधे बातचीत करेगा।

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