इस महिला नक्सली की कहानी है एक मिसाल, जला रही शिक्षा की मशाल
सुनीता (काल्पनिक नाम) जिस गांव में पैदा हुई, वहां लोकतंत्र की बजाए क्रांति के गीत ही गूंजते थे। ऐसे माहौल में दसवीं कक्षा में पढ़ने के दौरान ही उसने बंदूक थाम ली थी। खेलकूद में तेज थी। दसवीं तक पढ़ी थी।
कभी था कुख्यात नक्सली, आज पर्यावरण के लिए आदिवासी समाज को कर रहा जागरूक
एक समय वह खूंखार नक्सली था। 18 सालों तक बीहड़ों में रह कर उसने सिर्फ खून-खराबा किया। लेकिन कहते हैं न, जब जागो, तभी सवेरा...। तो आज वह उस अंधेरी दुनिया से निकल आया है।
छत्तीसगढ़ः एक लाख की इनामी महिला नक्सली समेत 15 नक्सलियों ने डाले हथियार
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 15 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। एसपी के सामने सरेंडर करने वाले सभी नक्सली संगठन में हो रही ज्यादतियों से परेशान थे। सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने बताया कि संगठन में अब विचारधारा नाम की कोई चीज नहीं रह गई है।
नफरत, जिल्लत और रुसवाई, बदहाल ललिता की कुल यही है कमाई
ललिता जब ब्याह कर अपने ससुराल आई तो सब कुछ ठीक था। रवींद्र घर पर ही रहता था। दिन हंसी-खुशी गुजर रहे थे। बमुश्किल महीना भर ही गुजरा होगा कि एक दिन गंजू लापता हो गया। फिर करीब डेढ़ महीने बाद घर लौटा तो बताया कि पार्टी के काम के सिलसिले में गया था।
जंगल में 3 साल तक साथी नक्सली करते रहे रेप, सरेंडर के बाद महिला नक्सली ने दर्ज करवाया केस
बस्तर के कोंडागांव में एक सरेंडर महिला नक्सली ने पुलिस में अपने ही साथी नक्सलियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। महिला नक्सली अपने दस्ते के साथी नक्सलियों से इतनी परेशान हो गई थी कि उसने आत्मसमर्पण कर दिया।
छत्तीसगढ़ पुलिस को बड़ी सफलता, 10 नक्सलियों ने एक साथ किया सरेंडर
नक्सल संगठन द्वारा शोषण से तंग आकर दो महिला नक्सलियों समेत 10 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। आत्समर्पण करने वाले नक्सली अपने संगठन के नेताओं के शोषण एवं प्रताड़ना से तंग आ चुके थे। इसलिए आत्मसमर्पण करने का फैसला लिया। ये सभी नक्सली सुकमा जिले के कोंटा थाना में बालेंगतोंग गांव के रहने वाले थे।
ज़िंदगी की तलाश में इनामी नक्सली सोनमती ने किया सरेंडर
सोनमती एक प्रशिक्षित नक्सली है। उस पर एक लाख का इनाम भी घोषित था। वह साल 2016 में नक्सली संगठन से जुड़ी।
सरकार की पुनर्वास योजनाओं का नक्सलियों पर दिख रहा असर
दूसरी तरफ सरकार की पुनर्वास की योजना भी बहुत काम कर रही है। समर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसका फायदा दिख रहा है।