Shaheed Diwas: एक रात पहले ही अंग्रेजों ने इन तीन क्रांतिकारियों को दे दी थी फांसी
देश 23 मार्च का दिन शहीद दिवस (Shaheed Diwas) के रूप में मनाता है। इसी दिन भगत सिंह (Bhagat Singh) अपने साथियों सुखदेव (Sukhdev) और राजगुरु (Rajguru) के साथ हंसते हुए शहीद हो गए थे।
शहीद दिवस विशेष: आज के ही दिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने देश के खातिर दी थी अपनी सर्वोच्च कुर्बानी
फांसी से ठीक पहले लिखे अपने आखिरी पत्र में भगत सिंह ने लिखा, ‘मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूं कि कैद होकर या पाबंद होकर न रहूं।'
Martyr’s Day 2021: आज देश मना रहा है शहीद दिवस, जानें क्या है इसके पीछे की वजह
30 जनवरी, 1948 की शाम प्रार्थना के दौरान नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को गोली मारी थी। ये हत्या बिड़ला हाउस में हुई थी।
Martyrs’ Day: 2 मिनट के लिए पूरा देश रखेगा मौन, गृह मंत्रालय ने जारी किया ये आदेश
शहीद दिवस (Martyrs' Day) यानी 30 जनवरी को लेकर इस बार केंद्र सरकार ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय (Home Ministry) की ओर से सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसको लेकर जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं।
Shaheed Diwas: फांसी से पहले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु मिलना चाहते थे गले…
खुद को देशभक्ति के जज्बे से भरने के लिए उनका नाम ही काफी है। अंग्रेजों के बढ़ते हुए अत्याचार से सबसे पहले भगत सिंह ने लौहार में सांडर्स की गोली मार कर हत्या कर दी।
फांसी से पहले लिखा शहीद भगत सिंह का आखिरी खत…
फांसी से ठीक पहले लिखे अपने आखिरी पत्र में भगत सिंह ने लिखा, ‘मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूं कि कैद होकर या पाबंद होकर न रहूं।'
जरा याद उन्हें भी कर लो…
भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, 1929 को सेंट्रल असेम्बली के अंदर बम फेंका। बम फेंकने के अपराध में सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 7 अक्तूबर, 1930 को फांसी की सजा सुना दी गई।