Naxal Area

एडीजी ने आशंका जताई है कि शहीदी सप्ताह के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ सुरक्षाकर्मी और पुलिस पिकेट पर भी नक्सली हमला हो सकता है।

सीमा पर आईटीबीपी (ITBP) के जवान चीन तथा दूसरे अन्य पड़ोसी मुल्कों से लगातार हमारी सुरक्षा कर रहे हैं। तमाम मुश्किल हालातों के बीच यह जवान अब गरीब आदिवासियों की मदद भी करने में जुटे है।

झारखंड समेत देश के सभी नक्सल प्रभावित राज्यों में अब विकास की बयार बह रही है। इसकी गति को तेज करने के लिए केंद्र सरकार ने कमर कस लिया है। इसके लिए, केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों से प्रस्ताव मांगा है।

इस जानलेवा वायरस से जंग में निश्चित तौर से देश के चिकित्सक व्यापक पैमाने पर प्रथम पंक्ति में खड़े फाइटर्स की भूमिका निभा रहे हैं। किसी भी विपदा में संकट मोचक की भूमिका निभाने वाली हमारी सेना (Army) भी संकट की इस घड़ी में बेहतरीन रोल अदा कर रही है।

छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका लाल आतंक का गढ़ रहा है। दशकों से यह इलाका नक्सलियों (Naxalites) की दहशत के साए में है। यहां के कई इलाके ऐसे हैं जहां लोगों तक शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं पहुंच पाई हैं।

कई इलाके बरसों से नक्सल प्रभावित रहे हैं। लेकिन यहां के नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात सीआरपीएफ (CRPF) के जवान अब इसकी सूरत बदलने की कोशिश में जुट गए हैं।

झारखंड की सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले का चांदो इलाका एक दौर में नक्सल आतंक से जूझ रहा था। यहां नक्सलियों (Naxals) की दहशत की वजह से विकास का कोई काम नहीं हो पाता था।

कमांडोज फॉर रेलवे सिक्योरिटी (CORAS) इसी साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लॉन्च हुआ है। रेलवे ने बेहतर सुरक्षा और संपत्तियों के संरक्षण के लिए इन कमांडोज को देश के अलग-अलग इलाकों में ट्रेनिंग दी गई है।

नक्सलियों की करतूत अब आम लोगों और छोटे स्कूली बच्चों के लिए खतरनाक बन चुकी है।

ओडिशा में माओवादियों का गढ़ मने जाने वाले मालकानगिरी ज़िले की रहने वाली सिरिसा करामी ने कुछ वर्ष पूर्व भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम में स्थान हासिल किया।

नक्सलियों कें खौफ में जीने वाले बस्तर के कोंडागांव में लड़कियों की पहली हॉकी टीम अब देश का नाम रोशन करेगी। आइटीबीपी (इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस) ने छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके से 2 साल के लगातार मेहनत के बाद बालिकाओं की हॉकी टीम तैयार करने में सफलता हुई है।

किसी का भाई शहीद हुआ तो किसी का पति, घड़ी मातम की थी लेकिन सब मातम ही मनाते रह जाएंगे तो भला देश की हिफाजत कौन करेगा। लिहाजा, इन बेटियों ने पहन ली वर्दी और डर गईं मोर्चे पर।

नक्सली हमलों और नक्सलियों के गढ़ के रूप में कुख्यात रहे छत्तीसगढ़ के बस्तर की पहचान अब बदल रही है।...

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