कारगिल युद्ध: टाइगर हिल पर कब्जे की कहानी परमवीर चक्र विजेता की जुबानी, जानें क्या हुआ था उस वक्त
हम टाइगर हिल से 50 से 60 मीटर की दूरी पर थे तभी पाक सैनिकों को भनक लग गई और उन्हें पता लग गया हम कब्जे वाले इलाके में हैं। इसके बाद उन्होंने तुरंत फायरिंग शुरू कर दी। हम जिस जगह पर खड़े थे अगर उससे एक कदम आगे बढ़ाते तो तब भी मरना पक्का था।
Kargil Vijay Diwas: “जमाने भर में मिलते हैं आशिक कई‚ मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता”
कारगिल में शहीद हुए जवानों की शहादत को कोई नहीं भुला सकता। संपूर्ण कृतज्ञ राष्ट्र असंख्य वीर शहीदों का हमेशा ऋणी रहेगा‚ जिन्होंने कारगिल की लड़ाई (Kargil War) में अपने अतुल्य साहस का प्रदर्शन करते हुए देश की एकता एवं अखंडता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
कारगिल युद्ध: अकेले ही दुश्मनों से भिड़ गया था भारतीय सेना का ये जवान, आज भी दी जाती है मिसाल
कौशल को लगा कि दुश्मन उनकी टीम को वहां से बेदखल करना चाहता है। वह खुद की चिंता किए बगैर आमने-सामने भिड़ गए।
कारगिल: 3 तरफ से घिरे होने के बाद भी इस भारतीय वीर ने पाकिस्तान को सिखाया था सबक
क्या आपने कभी कल्पना भी की है, क्या मंजर होता होगा युद्ध के मैदान में। भारत-पाक सीमा के सबसे खतरनाक चेक पोस्ट पर तैनात महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने इस युद्ध के संघर्ष की कहानी के बारे में मीडिया से बात की।
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन: गोली लगने के बावजूद दुश्मनों को किया ढेर, मरणोपरांत मिला था ‘परमवीर चक्र’, जानें पूरी कहानी
25 नवंबर 1987 को 'ऑपरेशन पवन' के दौरान जब महार रेजिमेंट की आठवीं बटालियन के मेजर रामास्वामी परमेश्वरन श्रीलंका में एक तलाशी अभियान से लौट रहे थे।
कारगिल युद्ध: …जब चार दिन भूखे रहने के बावजूद दुश्मनों पर कहर बनकर टूट पड़े थे दशरथ सिंह गुर्जर
पाक की इस हरकत का जवाब सेना ने बखूबी दिया। करीब 40 दिन चले युद्ध में दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा। युद्ध में एक जवान थे जिन्होंने दुश्मनों को नेस्तनाबूद किया।
ऑपरेशन ‘सफेद सागर’ के जरिए पाक सेना पर मिराज 2000 से गिराए बम, कारिगल में अहम साबित हुई थी एयरफोर्स
युद्ध के दौरान फोर्स ने दुश्मनों का सफाया करने के लिए ऑपरेशन 'सफेद सागर' चलाया था। उस दौरान भारत के पास मिग 21, मिग 23 और मिग 27 जैसे लड़ाकू विमान थे।
कारगिल युद्ध के ‘हीरो’ अनुज नैय्यर के जज्बे की बेमिसाल कहानी, मरणोपरांत मिला था महावीर चक्र
टाइगर हिल के पश्चिम में पॉइंट 4875 को खाली कराने की जिम्मेदारी कैप्टन नैय्यर को दी गई थी। टाइगर हिल को पूरी तरह से पाकिस्तानी घुसपैठियों ने घेर रखा था।
कारगिल युद्ध: जब सेना ने हासिल कर ली थी मश्कोह घाटी की अंतिम पोस्ट, जानें कैसे मिली थी फतह
पाकिस्तान ने 1999 में भारत को धोखा दिया था। एक समझौते का उल्लंघन करके ये धोखा दिया गया था। शिमला समझौते के तहत भारत-पाक के बीच 1972 में एग्रीमेंट हुआ था।
कारगिल युद्ध: जब मिग-27 के जरिए भारत ने किया युद्ध का आगाज, थरथर कांप उठा था पाक
38 साल तक अपनी सेवा देने के बाद ये रिटायर हो गए। मिग सीरीज के अन्य वैरिएंट, मिग-23 बीएन और मिग-23 एमएफ और विशुद्ध मिग 27 पहले ही सेना से रिटायर हो चुके हैं।
कारगिल शहीदों के नाम पर द्रास सेक्टर में बनाया गया है वार मेमोरियल, जानें इससे जुड़ी खास बातें
शहीदों की याद में द्रास सेक्टर में वार मेमोरियल बनाया गया है। यह मेमोरियल 2004 में बनकर तैयार हुआ था। इसमें वीरों की गौरवगाथा लिखी गई है। मेमोरियल में इन शहीदों की यादों को संजोया गया है।
कारगिल: शहीद स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा ने पेश की थी वीरता की मिसाल, जानें क्या है इस जवान की कहानी
27 मई 1999 को बठिंडा के भिसीयाना एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात आहूजा ने मिग 21 विमान से ऑप्रेशन 'सफेद सागर' के तहत खदेड़ते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी थी।
कारगिल युद्ध: श्रीनगर-लेह राजमार्ग को बंद करने की फिराक में था पाक! सेना ने ऐसे खदेड़ा
भारतीय सेना ने पाकिस्तान की इस हरकत का मुंह तोड़ जवाब दिया और एक-एक कर ऑपरेशन लॉन्च कर पाक सेना के कब्जे वाले इलाकों में तिरंगा फहराया।
कारगिल शहीद की लव स्टोरी: जब कैप्टन विक्रम बत्रा ने खून से भर दी थी प्रेमिका की मांग
Captain Vikram Batra: एक ऑपरेशन की सफलता के बाद पाकिस्तानियों के खिलाफ दूसरे ऑपरेशन में छाती पर गोली खाकर शहीद होने वाले बत्रा को सरकार ने सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया है।
कारगिल ‘हीरो’ कर्नल जेके चौरसिया, पाक सेना के हथियारों का जखीरा पलभर में कर दिया था खाक
सेना के जवानों ने सबसे पहला हमला पाकिस्तानी सीमा में घुसकर उरी सेक्टर पर किया था। दुश्मन को घुटनों पर लाने के लिए उन्हें दुश्मनों की पोस्ट और रसद भंडार को खाक करने की जिम्मेदारी दी गई थी जो कि उरी के पास स्थित था।
कारगिल युद्ध कितने दिन चला और कब खत्म हुआ था? जानें 1999 का पूरा घटनाक्रम
हर साल फरवरी महीने में ठंड के चलते कारगिल क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएं आपसी सहमति पीछे हट जाती हैं लेकिन तत्कालीन पाक सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने सैनिकों को कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों में भेजकर कब्जा करवा दिया था।
कारगिल के हीरो कैप्टन विजयंत थापर ने ऐसे की थी पाक सेना की धुलाई, सेना में शामिल हुए 6 महीने ही हुए थे
1999 में जब करगिल युद्ध (भारत-पाकिस्तान) छिड़ गया था और थापर इस जंग में देश के लिए कुर्बानी देने वाले सबसे कमउम्र जांबाज थे। 26 दिसंबर 1976 को जन्मे विजयंत सैनिकों के परिवार से आते थे।