कारगिल शहीदों के नाम पर द्रास सेक्टर में बनाया गया है वार मेमोरियल, जानें इससे जुड़ी खास बातें
शहीदों की याद में द्रास सेक्टर में वार मेमोरियल बनाया गया है। यह मेमोरियल 2004 में बनकर तैयार हुआ था। इसमें वीरों की गौरवगाथा लिखी गई है। मेमोरियल में इन शहीदों की यादों को संजोया गया है।
कारगिल: शहीद स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा ने पेश की थी वीरता की मिसाल, जानें क्या है इस जवान की कहानी
27 मई 1999 को बठिंडा के भिसीयाना एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात आहूजा ने मिग 21 विमान से ऑप्रेशन 'सफेद सागर' के तहत खदेड़ते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी थी।
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भारतीय सेना ने पाकिस्तान की इस हरकत का मुंह तोड़ जवाब दिया और एक-एक कर ऑपरेशन लॉन्च कर पाक सेना के कब्जे वाले इलाकों में तिरंगा फहराया।
कारगिल शहीद की लव स्टोरी: जब कैप्टन विक्रम बत्रा ने खून से भर दी थी प्रेमिका की मांग
Captain Vikram Batra: एक ऑपरेशन की सफलता के बाद पाकिस्तानियों के खिलाफ दूसरे ऑपरेशन में छाती पर गोली खाकर शहीद होने वाले बत्रा को सरकार ने सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया है।
कारगिल ‘हीरो’ कर्नल जेके चौरसिया, पाक सेना के हथियारों का जखीरा पलभर में कर दिया था खाक
सेना के जवानों ने सबसे पहला हमला पाकिस्तानी सीमा में घुसकर उरी सेक्टर पर किया था। दुश्मन को घुटनों पर लाने के लिए उन्हें दुश्मनों की पोस्ट और रसद भंडार को खाक करने की जिम्मेदारी दी गई थी जो कि उरी के पास स्थित था।
कारगिल युद्ध कितने दिन चला और कब खत्म हुआ था? जानें 1999 का पूरा घटनाक्रम
हर साल फरवरी महीने में ठंड के चलते कारगिल क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएं आपसी सहमति पीछे हट जाती हैं लेकिन तत्कालीन पाक सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने सैनिकों को कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों में भेजकर कब्जा करवा दिया था।
कारगिल के हीरो कैप्टन विजयंत थापर ने ऐसे की थी पाक सेना की धुलाई, सेना में शामिल हुए 6 महीने ही हुए थे
1999 में जब करगिल युद्ध (भारत-पाकिस्तान) छिड़ गया था और थापर इस जंग में देश के लिए कुर्बानी देने वाले सबसे कमउम्र जांबाज थे। 26 दिसंबर 1976 को जन्मे विजयंत सैनिकों के परिवार से आते थे।
कारगिल युद्ध: जब राजपुताना राइफल्स ने तोलोलिंग पर किया कब्जा, भारत ने तोड़ दी थी पाकिस्तान की कमर
कारगिल युद्ध (Kargil War) को हर साल 26 जुलाई के दिन विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तानी को कारगिल में हराकर अपना पराक्रम दिखाया था। पूरा देश एकबार फिर कारगिल दिवस के लिए तैयारी शुरू कर रहा है।
कारगिल दिवस: जब सरसावा के चार जवानों ने दुश्मन देश के ठिकानों पर किया था हमला
युद्ध में दोनों देशों के सैनिक शहीद होते हैं लेकिन हारने वाले के ज्यादा सैनिक और जीतने वाले के कम। ऐसा ही अमूमन देखने को मिलता रहा है। कारगिल के शहीदों का जिक्र हो तो उत्तर प्रदेश के सरसावा के चार जांबाजों के प्राणों की आहुति को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
कारगिल युद्ध: थर-थर कांप उठता था पाक, जब 27 किलोमीटर तक गोले दागने वाली बोफोर्स तोपों का हुआ था इस्तेमाल
सेना के पास जितने ज्यादा मजबूत और मॉर्डन हथियार होंगे दुश्मन उतना ही कमजोर नजर आएगा। कारगिल में भी भारतीय सेनाओं के हथियारों ने अपनी ऐसी छाप छोड़ी जिसको याद कर आज भी पाकिस्तान थर-थर कांप उठता है।
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कारगिल युद्ध, को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। ये युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच लड़ा गया। भारत-पाक सीमा से सटे कारगिल क्षेत्रों में सर्दियों कड़ाके की ठंड पड़ती है।
कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना का था बड़ा योगदान, हजारों फीट की ऊंचाई से पाक सैनिकों पर बरसाए थे बम
कारगिल युद्ध में सेना को लीड करने वाले कई अधिकारियों ने कई मौकों पर कहा है कि भारतीय वायुसेना के हवाई हमले से दुश्मन का मनोबल टूटा था। वायुसेना ने 32 हजार फीट की ऊंचाई से जम्मू कश्मीर के द्रास-कारगिल इलाके में टाइगर हिल पर एयर पावर का इस्तेमाल किया था।
कारगिल के ‘हीरो’ कैप्टन सौरभ कालिया, जिनकी हिम्मत के आगे पस्त पड़ गया था पाक
कारगिल युद्ध के दौरान सौरभ कालिया 22 दिनों तक पाकिस्तान सेना की कैद में रहे और 9 जून 1999 को पाकिस्तानी सेना द्वारा उनके शव सौंपा गया। उन्हें सिगरेट से जलाया गया था और उनके कानों में लोहे की सुलगती छड़ें घुसेड़ी गई थीं।
गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल – जिसने मिसाइलों के बीच घायल जवानों को किया था एयरलिफ्ट
गुंजन सक्सेना: 1999 में गुंजन की पोस्टिंग 132 फॉरवर्ड एरिया कंट्रोल में की गई थी। उनकी उम्र तब मात्र 25 वर्ष थी। 1975 में जन्मीं गुंजन पायलटों के दल में एकमात्र महिला थीं।
ऐसे भड़का था कारगिल युद्ध! उंचाई पर होने के बावजूद भारतीय सेना ने दुश्मन पाक को हराया, जानें पूरी स्टोरी
बात फरवरी की है जब एलओसी पर मौजूद कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर कड़ाके की ठंड पड़ती है। दोनों देशों की सेनाएं इस दौरान पीछे हट जाती हैं। लेकिन सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने की बजाय कारगिल में आगे बढ़ने के लिए कह दिया।
शहीद मनोज कुमार पांडेय: एक शूरवीर जिसने रणभूमि में छुड़ा दिए थे दुश्मन के छक्के
मनोज पांडेय बतौर कमीशंड ऑफिसर गोरखा राइफल्स की पहली बटालियन में भर्ती हुए। उनकी तैनाती कश्मीर घाटी में हुई। कारगिल युद्ध (Kargil War) से पहले उन्हें सियाचिन भेजा गया था। मनोज पांडेय (Manoj Kumar Pandey) और उनकी बटालियन के पास विकल्प था कि वे अवकाश ले सकते थे, लेकिन इस परमवीर ने अवकाश लेने से मना कर दिया।
Kargil Vijay Diwas 2019: पाकिस्तानी घुसपैठियों की बर्बरता के आगे भी नहीं झुका यह जांबाज
सौरभ कालिया की उम्र उस वक्त 23 साल थी और अर्जुन राम की महज 18 साल। कैप्टन सौरभ कालिया सेना में नियुक्ति के बाद अपनी पहले महीने की सैलरी भी नहीं उठा पाए थे।