Kargil Vijay Diwas

युद्ध के दौरान इंडियन एयर फोर्स ने दुश्मनों का सफाया करने के लिए ऑपरेशन 'सफेद सागर' चलाया था। उस दौरान मिग-27 के अलावा मिग 21 का भी इस्तेमाल किया गया था।

'ऑपरेशन विजय' के दौरान, सिपाही अशुली माओ नागा रेजीमेंट का हिस्सा था, जिसने द्रास सेक्टर में स्थित 'ब्लैक टूथ' पर हमला किया था।

16 सिख की दो कंपनियों ने तय किया कि वो LTTE के ठिकानों पर दो तरफ से हमला करेंगे। ब्रावो कंपनी की एक प्लाटून ने LTTE के ठिकाने पर पश्चिम दिशा की तरफ से पहुंची लेकिन उग्रवादियों ने उन पर भीषण फायरिंग शुरू कर दी।

हवलदार के पद से रिटायर हुए सैनिक राजेश ढुल ने कारगिल की लड़ाई में दुश्मन से लोहा लिया था। उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान उनका काम माइंस बिछाने का था।

परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार ने बताया कि मुश्किल हालात से निपटने के लिए सेना ने युद्ध में एक खास ट्रिक 'साइलेंट मूवमेंट' का इस्तेमाल किया था।

पाक की इस हरकत का जवाब सेना ने बखूबी दिया। करीब 40 दिन चले युद्ध में दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा। युद्ध में एक जवान थे जिन्होंने दुश्मनों को नेस्तनाबूद किया।

जब्त हथियारों में 7.62 एमएम एमजी 1ए गन मशीन शामिल हैं। इसके अलावा द्रास सेक्‍टर में पाक सैनिकों ने रॉ‍केट लॉन्‍चर (आरपीजी 7) का भी इस्तेमाल किया था।

युद्ध में जीत दिलाने के लिए भारत के कई जवानों ने जान की कुर्बानी दी। इनमें एक नाम बिहार रेजिमेंट के हवलदार रतन सिंह का भी है।

युद्ध को जीतने के लिए सेना ने कई ऑपरेशन लॉन्च किए थे जिसके बाद द्रास से लेकर टरटोक तक सेना तिरंग लहरकार वापस लौटी। सेना के सैनिकों ने शानदार युद्ध किया था।

कारगिल युद्ध से जुड़ी कई ऐसी बातें जिनके बारे में आपको जानना चाहिए। इस युद्ध में लद्दाख के युवाओं ने भी सेना की खूब मदद की थी।

भारतीय जवानों को दुश्मन आराम से चढ़ाई करते हुए देख सकते थे। भारतीय जवानों को करीब एक किलोमीटर ऊंचे पहाड़ पर खड़ी चढ़ाई करनी थी।

युद्ध के दौरान फोर्स ने दुश्मनों का सफाया करने के लिए ऑपरेशन 'सफेद सागर' चलाया था। उस दौरान भारत के पास मिग 21, मिग 23 और मिग 27 जैसे लड़ाकू विमान थे।

अबतक कई एनसीसी कैडेट ने सेना में भर्ती होकर देश का नाम रोशन किया है। एनसीसी कैडेट रहीं और फिर एयरफोर्स में अधिकारी रैंक पर तैनात हुईं।

युद्ध में भारतीय सैनिक शहीद भी हुए जिनकी वीरता के लिए आज पूरा देश उनपर गर्व महसूस करता है। सेना के कई ऐसे जवान हैं जिन्होंने खुद की जान की परवाह किए बिना दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया।

टाइगर हिल के पश्चिम में पॉइंट 4875 को खाली कराने की जिम्मेदारी कैप्टन नैय्यर को दी गई थी। टाइगर हिल को पूरी तरह से पाकिस्तानी घुसपैठियों ने घेर रखा था।

पाकिस्तान ने 1999 में भारत को धोखा दिया था। एक समझौते का उल्लंघन करके ये धोखा दिया गया था। शिमला समझौते के तहत भारत-पाक के बीच 1972 में एग्रीमेंट हुआ था।

38 साल तक अपनी सेवा देने के बाद ये रिटायर हो गए। मिग सीरीज के अन्य वैरिएंट, मिग-23 बीएन और मिग-23 एमएफ और विशुद्ध मिग 27 पहले ही सेना से रिटायर हो चुके हैं।

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