ITBP

ITBP की पर्वतारोही टीम ने कोरोना काल में एक कारनामा कर दिखाया है। इस टीम ने उत्तराखंड में गंगोत्री द्वितीय शिखर (21,615 फीट) पर चढ़ाई पूरी की है।

2016 में ITBP ने इन लड़कियों को प्रशिक्षित करने की ठानी थी। ये वो समय था, जब इन लड़कियों को हॉकी (Hockey) के बेसिक्स के बारे में बहुत जानकारी नहीं थी।

India China Border: यशवंत ने 11 साल पहले भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ज्वाइन की थी। उनके निधन की खबर जैसे ही घरवालों को मिली, पूरे घर में मातम छा गया।

भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) सरहद पर निगेहबानी तो करती ही है, साथ ही देश की जनता की हर संभव मदद के लिए भी तत्पर रहती है। कोरोना काल में इस बल के जवानों ने लोगों के लिए संकट मोचन बनकर काम किया।

ITBP के शहीद जवान जमीर के बेटे सनाउल ने बताया कि उनके पिता 12 दिसंबर 2019 को ड्यूटी के लिए गए थे, तब से वह डोकलाम में ही तैनात थे।

मामला उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से सामने आया है। यहां ITBP के जवानों ने एक व्यक्ति के शव को कंधे पर उठाया और 25 किलोमीटर की दूरी तय की।

कांकेर जिले में भी सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) के 4 जवान कोरोना पॉजिटिव हुए हैं। बता दें कि सुरक्षाबलों की तैनाती छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में की गई है।

सीमा पर आईटीबीपी (ITBP) के जवान चीन तथा दूसरे अन्य पड़ोसी मुल्कों से लगातार हमारी सुरक्षा कर रहे हैं। तमाम मुश्किल हालातों के बीच यह जवान अब गरीब आदिवासियों की मदद भी करने में जुटे है।

ये ब्रिज सड़क कटिंग के दौरान एक मशीन को ले जाने के दौरान टूट गया था जिसमें दो लोग घायल भी हुए थे। मशीन इतनी भारी भरकम थी की ब्रिज पर ओवरलोडिंग हो गई और वह इतना ज्यादा वजन नहीं झेल सका।

पूरा देश में कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण की मार झेल रहा है। इस महामारी के दौर में जान की परवाह किए बिना लोगों की मदद के लिए तत्पर सुरक्षाबल के जवान भी इससे अछूते नहीं हैं। कोविड-19 (COVID-19) की लड़ाई में मोर्चा ले रहे अर्द्धसैनिक बलों के जवान भी लगातार कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं।

सीआरपीएफ (CRPF) ने आदित्य मेहता फाउंडेशन के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया। ये संस्था एशिया की पहली ऐसी चैरिटेबल संस्था है जो विकलांग लोगों को राष्ट्रीय पैरा-खेलों के माध्यम से प्रशिक्षित और पुनर्वास करेगी।

भारतीय सेना, सुरक्षाबल और पुलिस देश की सेवा में हर पल तत्पर रहते हैं। देश के साथ-साथ लोगों की हर संभव मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

नक्सल प्रभावित इलाके की लड़कियां अब बास्केटबॉल में अपना दमखम दिखाएंगी। इन लड़कियों ने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया है कि चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, दृढ़ इच्छाशक्ति से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।

आए दिन सुरक्षाबल के जवान आम जनता की मदद कर मानवता की मिसाल कायम करते हैं। हर बार यह साबित करते हैं कि सुरक्षा के साथ-साथ जरूरतमंद लोगों की मदद करने की जिम्मेदारी भी वे बखूबी निभा सकते हैं।

सुरक्षाबलों ने राज्य के गर्दापाल के जंगलों से हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद किया है। नक्सलियों ने बड़ी वारदात को अंजाम देने के मकसद से हथियारों के इस जखीरे को जंगल के एक टैंक में छिपा रखा था।

भरोसा जीतने के लिए आपस में बातचीत जरूरी होती है। गांव को नक्सल-मुक्त कर वहां शांति बहाल करने का जवानों का मकसद बिना गांव वालों के सहयोग के संभव नहीं था। वहां की बोली हल्बी है और जवानों को यह बोली बिल्कुल नहीं आती थी।

नक्सलियों कें खौफ में जीने वाले बस्तर के कोंडागांव में लड़कियों की पहली हॉकी टीम अब देश का नाम रोशन करेगी। आइटीबीपी (इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस) ने छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके से 2 साल के लगातार मेहनत के बाद बालिकाओं की हॉकी टीम तैयार करने में सफलता हुई है।

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