Farmers Protest

किसानों (Farmers) के तेवर भी कुछ नरम दिखाई दिए उन्होंने अपनी ट्रैक्टर रैली को फिलहाल वापस ले लिया है। किसान नेताओं ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि वह अगली बैठक में कृषि कानून रदद कराने और एमएसपी का कानून लेने में सफल हो जाएंगे।

केंद्र के नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) के एक महीने पूरे हो गए हैं। किसानों और केंद्र सरकार (Central Government) के बीच गतिरोध बरकरार है। अब तक बीच का रास्ता नहीं निकल पाया है।

सरकार ने किसान यूनियनों (Farmers Union)  का धन्यवाद भी व्यक्त किया कि क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन पाल ने 20 दिसंबर के सरकार के पत्र के जवाब में प्रदर्शनकारी सभी किसान संगठनों की ओर से पत्र लिखा था।

कांग्रेस (Congress) ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने के समर्थन में सितम्बर से ही सिग्नेचर अभियान चलाया था। इस अभियान में देश भर के लोगों ने कृषि कानूनों के खिलाफ अपने सिग्नेचर किए हैं।

नरेश टिकैत (Naresh Tikait) ने कहा, ‘‘सरकार चाहती है कि किसानों में टकराव पैदा हो। किसान टकराव नहीं चाहते, वे अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं। सरकार इस मामले को मामूली मानकर चल रही है जबकि यह गंभीर मामला है।

एसोचैम (ASSOCHAM) के अध्यक्ष ने बताया कि कपड़ा‚ वाहन कलपुर्जा‚ साइकिल‚ खेल का सामान जैसे उद्योग क्रिसमस से पहले अपने निर्यात ऑर्डरों को पूरा नहीं कर पाएंगे जिससे वैश्विक कंपनियों के बीच उनकी छवि प्रभावित होगी।

Farmers Protest: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों (Farm Law 2020) के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान कड़ाके की ठंड में भी डटे हुए हैं। इसकी वजह से कई बार आम लोगों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।

खालिस्तान समर्थक सिख (Khalistan Supporters) हाथों में कृपाण लिए महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने आए और उस पर एक पोस्टर चिपका दिया। इस ग्रूप ने भारत विरोधी और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए।

Farmers Protest: आज 16वें दिन भी केंद्र सरकार के कृषि कानूनों (Farm Law 2020) के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। किसानों ने आज से आंदोलन को और भी तेज करने का अल्टीमेटम दिया है।

देश में केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) 15 दिनों से जारी है। कड़ाके की ठंड और कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) के प्रकोप के बीच किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं।

सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह कृषि कानूनों (Farm Acts) में सुधार और संशोधन तो जितने किसान चाहेंगे उतने करेगी लेकिन कृषि कानूनों को वापस लेने का उसका अभी कोई इरादा नहीं है।

किसानों (Farmers) ने कहा है कि यदि सरकार की तरफ से कोई नया प्रस्ताव आता है तो उसपर विचार किया जा सकता है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान यूनियन के नेता दर्शनपाल ने कहा कि हम 12 दिसंबर तक दिल्ली जयपुर हाइवे ब्लॉक करेंगे।

केजरीवाल ने अपने आवास से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और कहा कि अगर उन्हें रोका नहीं जाता तो वह प्रदर्शन कर रहे किसानों के भारत बंद (Bharat Bandh) में उनका समर्थन करने के लिए जाते।

8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद (Bharat Bandh) बुलाया था। यह बंद सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक चला। इसके साथ ही बड़ी खबर आई है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) आज यानी 8 दिसंबर को शाम 7 बजे किसान नेताओं से मुलाकात करेंगे।

कृषि कानून (Farm Law 2020) के खिलाफ आज यानी 8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद (Bharat Bandh)  किया। किसानों ने सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक चक्का जाम किया। सुबह से ही अलग-अलग राज्यों में इसका व्यापक असर दिखा।

किसान नए कृषि कानूनों (Farm Bills) को रद्द करने की अपनी मांगों पर अड़े हैं और अपने आंदोलन को धार देने के लिए उन्होंने मंगलवार को चक्काजाम और भारत बंद का ऐलान किया है।

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम कई बार एमएसपी जारी रहने के संबंध में अपना संकल्प दोहरा चुकी है। अगर फिर भी किसानों (Farmers) को कोई संदेह है तो सरकार उसे दूर करने के लिए तैयार है।

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