खून के प्यासे शख्स को अपना खून देकर CRPF जवान ने ज़िंदा की इंसानियत की मिसाल
आज के दौर में जहां दोस्त, दोस्त का सगा नहीं होता, भाई का भाई से बैर है। वहीं सीआरपीएफ (CRPF)...
कीर्ति-चक्र पाने वाले CRPF के पहले जांबाज कॉन्सटेबल भृगुनंदन चौधरी की कहानी…
कमर के नीचे का हिस्सा बुरी तरह जख्मी होने के बावजूद भृगुनंदन चौधरी (Constable Bhrigu Nandan Choudhary) के हौसले पस्त नहीं हुए। वे असहनीय दर्द के बावजूद रेंगते हुए आगे बढ़ते रहे और उन्होंने आधा दर्जन नक्सलियों को मार गिराया।
इस शूरवीर ने शहादत देकर खींच दी बहादुरी की ऐसी लकीर, जिसे लांघना हर जांबाज का सपना होगा
मातृभूमि के प्रति प्यार और सर्वोच्च बलिदान के लिए उनकी तत्परता ने हमारे वीर जवानों की छोटी-सी टुकड़ी को दुश्मनों पर वार करते रहने के लिए हिम्मत दी। उन्होंने दुश्मनों के नापाक इरादों को ध्वस्त करने के लिए अंत तक मोर्चा संभाले रखा।
मौत को मात देकर वापस लौट आया चीता, 9 गोलियां लगने के बाद भी छुड़ा दिए दुश्मनों के छक्के
अपनी साहस और बहादुरी के बूते चीता आज युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं। उनके जज्बे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि करीब 2 महीने कोमा में रहने के बाद मौत के मुंह से निकलकर आए।