चीन और भारत के पास सबसे बड़ी सेना, देश की रक्षा के लिए बेहद जरूरी होते हैं सशस्त्र संगठन
भारतीय शस्त्र सेनाओं की सर्वोच्च कमान भारत के राष्ट्रपति के पास है। राष्ट्र की रक्षा का दायित्व मंत्री मंडल के पास होता है। इसके निर्वहन रक्षा मंत्रालय से किया जाता है।
1967 में चीनी सेना का भारतीय जवानों से हुआ था सामना, इस तरह मच गई थी खलबली
1967 में भारत और चीन के बीच संबंध पहले से तनावपूर्ण थे। नाथू ला से सेबु ला दर्रे के साथ सीमा पर कंटीले तार लगाने से चिढ़कर चीनियों ने भारतीय जवानों के साथ धक्का-मुक्की की थी।
हथियार के तौर पर लोहे की रॉड का इस्तेमाल करती है चीनी सेना, इस पर लगी होती हैं कीलें
चीनी सेना (Chinese Army) भारतीय सेना (Indian Army) के खिलाफ झड़प के दौरान लोहे की रॉड का इस्तेमाल करती है। इन रॉड पर कीलें लगी होती हैं।
भारत और चीन के बीच अब तक कितनी बार हो चुकी है झड़प? यहां जानें
India China Tension: सीमा विवाद ही दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प की मुख्य वजह रहा है। 1962 के बाद दोनों देशों के बीच अबतक कई बार झड़प हो चुकी है।
घुसपैठ कर चीनी सैनिक फैलाते हैं अशांति, सीमा पर चौकस रहकर हर चाल की जाती है नाकाम
पूर्वी तुर्किस्तान, तिब्बत, इनर मंगोलिया, ताइवान, हॉन्गकॉन्ग और मकाउ पर की कई जमीन पर चीन का कब्जा है। ऐसा चीन घुसपैठ और बलपूर्वक किया है।
1962 भारत-चीन युद्ध में हमारी हार हुई थी, पर इसके 5 साल बाद ड्रैगन को मिली थी पटखनी
1967 में भारत और चीन के बीच ऐसा आखिरी सैन्य संघर्ष हुआ था जिसमें दोनों तरफ के सैनिक मारे गए थे। 1967 के युद्ध में चीन के 400 सैनिक मारे गए तो भारत के सिर्फ 90 सैनिक शहीद हुए थे।
War of 1965: भारत को कच्छ और कश्मीर में एक साथ उलझा देना चाहता था Pak! सेना ने दुश्मन की कमर ही तोड़ दी
भारत 1962 में चीन के खिलाफ युद्ध (War of 1965) में बुरी तरह से हारा था। चीन से युद्ध के तीन साल बाद पाकिस्तान ने भारत को कमजोर समझते हुए बड़ी भूल कर दी थी।
War of 1962: जब भारतीय वीरों ने चीनी सैनिकों को मार भगाया, गोलियां खत्म हुई तो दुश्मनों से किया ‘हैंड टू हैंड’ फाइट
चीनी सेना भारत से 'हैंड टू हैंड' में मुकाबला नहीं कर पाई थी। इसमें कई चीनी सैनिक ढेर हुए थे। हमारे जवानों ने बेहद धारधार हथियार खुखरी का इस्तेमाल किया था।
War of 1962: …जब भारत की करीब 43 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर चीन ने किया कब्जा
भारत और चीन के बीच एक मात्र युद्ध 1962 में लड़ा गया था। हमेशा से विस्तारवादी की नीति पर काम करने वाला चीन उस दौरान भी भारत के कब्जे वाले इलाकों को हड़पना चाहता था, जिसमें वह कामयाब भी हुआ।
War of 1962: फुल प्रूफ तैयारी के साथ आए थे चीनी सैनिक, हमारे जवानों के पास थे सीमित संसाधन
सैन्य मोर्चे पर हमारे सैनिक कमजोर थे। वे तैयार नहीं थे, उन्हें सरहद पर भेजा गया। उनके पास दूसरे विश्वयुद्ध के दौर की बंदूकें थीं, चीनियों के पास एके-47 थीं।
Indo-China War 1962: डेढ़ हजार सैनिक हो गए थे लापता, करीब 4 हजार को चीन ने बना लिया था बंदी
भारतीय सैनिकों के पास ठंड से बचने के लिए न ही कपड़े थे और न ही जूते। नतीजन भारत को भारी नुकसान झेलना पड़ा। इस युद्ध में हमारे 1300 सैनिक शहीद हुए थे।
साल 1962 युद्ध के बाद 1975 में LAC पर हुई थी फायरिंग, जानें चीन क्यों है हमारे लिए खतरा
1962 के खूनी संघर्ष के 13 साल बाद भी चीन ने हमारे खिलाफ हथियार उठा लिए थे। युद्ध के बाद 1975 पर एलएसी पर फायरिंग हुई थी, जिसमें चार भारतीय जवान शहीद हुए थे।
1962 का युद्ध: ब्रिगेडियर परशुराम जॉन दालवी बना लिए गए थे बंदी, चीन ने ऐसे पहुंचाया था हमें नुकसान
Indo-China War of 1962: बंदी बनाए जाने के बाद उन्हें किस तरह का अनुभव महसूस हुआ था इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब 'हिमालयन ब्लंडर' में किया है।
दोनों देशों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है गलवान घाटी? 1962 के युद्ध में भी थी विवाद की वजह
भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में चीन ने भारत को हराया था। चीन हमेशा से विस्तारवाद की नीति पर चलता आया है और अबतक ऐसा ही कर रहा है।
भारत और चीन के बीच फिंगर 4 से लेकर 8 तक है सीमा विवाद, जानें क्या है ये
भारतीय सेना (Indian Army) इस लेक पर मौजूद फिंगर 1 से लेकर फिंगर 8 तक अपना एरिया मानती है। जबकि चीनी सेना फिंगर 8 से फिंगर 4 तक अपना इलाका मानती है।
‘अवैध’ निर्माण के जरिए चीन Indian Army को करता है परेशान, मिलता है हर बार मुंहतोड़ जवाब
भारतीय सेना (Indian Army) सरहद पर दिन रात कड़ी मेहनत कर ड्यूटी करती है। हमारे इलाके किसी और के कब्जे या नियंत्रण में न आएं इसके लिए जवान जान की बाजी लगा देते हैं।
1962 का युद्ध: चीन आठ गुना ज्यादा सैनिक के साथ जंग के मैदान में उतरा था, Indian Army ने फिर भी दिखाया दमखम
भारतीय सेना (Indian Army) के जवान हर मोर्चे पर युद्ध के लिए तैयार रहते हैं। हमारे जवान दुश्मनों से देश को बचाने के लिए किसी भी हद तक गुजर सकते हैं। ऐसा एक नहीं बल्कि कई मौकों पर देखा जा चुका है।