1971 की जंग के 54 जवान आज भी हैं पाकिस्तान की कैद में! मानने को तैयार नहीं दुश्मन देश
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए साल 1971 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना (Indian Army) के 54 जवान ऐसे हैं, जिन्हें पाकिस्तान ने अपनी कैद में रखा हुआ है। इन जवानों के परिवार आज भी अपने वीर सपूत की राह देखे रहे हैं।
War of 1971: करीब 50 साल से अपने पति सूबेदार आसा सिंह के घर लौटने का इंतजार कर रही पत्नी, युद्ध में बना लिए गए थे बंदी
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 की जंग के दौरान भारतीय सेना (Indian Army) के सूबेदार आसा सिंह को युद्धबंदी बना लिया गया था। उनकी पत्नी निर्मल कौर आज भी उनकी राह ताक रही हैं।
1971 का युद्ध: लोंगेवाला मोर्चे पर हुई लड़ाई के ‘हीरो’ थे ब्रिगेडियर कुलदीप, जानें कैसे बजाया था डंका
1971 India-Pakistan War: लोंगेवाला की लड़ाई का असल 'हीरो' रिटायर्ड ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी को माना जाता है। 17 नवंबर 2018 को उनका निधन हो गया था।
War of 1971: पानी की बोतल को चीरती हुई कूल्हे पर लगी थी गोली, फिर भी दुश्मनों पर कहर बनकर टूट पड़े थे मेजर जनरल सुशील कुमार शारदा
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध में सेना के जवानों ने ऐसा कहर बरपाया था, जिसे याद कर दुश्मन आज भी कांप उठते होंगे। इस युद्ध में शरीर में गोली लगने और बुरी तरह से घायल होने के बाद भी कई जवानों ने अपनी आखिरी सांस और दर्द के साथ दुश्मनों को छलनी किया था
War of 1971: पाकिस्तान में जहां भारतीय सेना ने खून बहाया, उस जगह की मिट्टी बोतल में भर लाए थे जवान
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए भीषण युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तानी सैनिकों को भगा-भगाकर मारा था। इस युद्ध में हमारे जवानों ने ऐसा पराक्रम दिखाया था, जिसकी मिसाल दी जाती है।
1971 का युद्ध: पाक सैनिकों के समर्पण के साथ ही सैकड़ों बंदूकें भी हुईं थीं जब्त, जानें फिर क्या हुआ इनका
भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़े गए इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दिया था।
1971 का युद्ध: …जब भारत पहली बार वैश्विक ताकत बनकर उभरा, जानें कैसे हुआ था ये सब
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान को हराकर भारत इस युद्ध की बदौलत पहली बार वैश्विक ताकत बनकर उभरा था।
1971 के युद्ध की कहानी, सेवानिवृत्त कै. गढ़िया और हवलदार जगत सिंह खेतवाल की जुबानी, जानें कहां-कहां बम बरसा रहा था पाकिस्तान
War of 1971: युद्ध में शामिल होने वाले सेवानिवृत्त कै. भूपाल सिंह गढ़िया और हवलदार जगत सिंह खेतवाल ने युद्ध के दिनों को याद करते हुए कई बातें साझा की है।
Indian Army में शामिल पहला मेड इन इंडिया टैंक था विजयंत, 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी पैटन टैंक की उड़ा दी थी धज्जियां
हेवी वेहिकल फैक्टरी (आवड़ी) में निर्मित विजयंत टैंक में गोलाबारी करने की अपार शक्ति के साथ-साथ चौतरफा घूम फिरकर मार गिराने की क्षमता रखता है।
1971 का युद्ध: …जब पाकिस्तान के 36 टैंकों पर कब्जा कर Indian Army के जवानों ने किया था भांगड़ा
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़ा गया युद्ध (War of 1971) बेहद ही भीषण माना जाता है। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह से पटखनी दी थी।
1971 का युद्ध: भारतीय सैनिकों के सम्मान में एक स्टैंड-अलोन युद्ध स्मारक बनाएगा बांग्लादेश, जानें कैसे आजाद हुआ था हमारा पड़ोसी देश
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 की लड़ाई के बाद बांग्लादेश को आजादी मिली थी। बांग्लादेश, पाकिस्तान के अत्याचारों से आजाद हुआ और इसमें भारतीय सेना (Indian Army) की भूमिका को वह आज तक मानता है।
1971 के युद्ध की वो अहम बातें जो आपको पता होनी चाहिए, भारतीय वीरों ने कर दिए थे पाकिस्तान के दो टुकड़े
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध (India-Pakistan War) लड़ा गया था। बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़े गए इस युद्ध में पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया गया था, जिसे यादकर वह आज भी डरता होगा।
1971 के युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने सेना को किया था लीड, पाकिस्तान को दिया था बड़ा सदमा
पाकिस्तान आजादी के बाद से अबतक भारत के साथ विश्वासघात करता आया है लेकिन हर बार नुकसान झेलकर वापस लौटा है। ऐसा ही 1971 में भी हुआ था।
3 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तानी एयर फोर्स ने भारत पर किया था हवाई हमला, फिर शुरू हुआ भारत-पाक युद्ध
पाकिस्तान ने वो बड़ी भूल की जिसका उसे भारी नुकसान झेलना पड़ा। भारत पर हुए हमले के साथ ही 1971 का आधिकारिक आगाज हो गया था।
1971 का युद्ध: कमर के पास गोली लगी और हो गए घायल, शौर्य पदक विजेता सोनेलाल शंखवार की पूरी कहानी
युद्ध के दौरान वह कश्मीर में सैनिकों को लेकर ट्रक से जा रहे थे। दुश्मनों ने बस पर हमला बोला। फायरिंग के दौरान उन्हें कमर के पास गोली लगी।
1948 का युद्ध: ‘वीर चक्र’ से सम्मानित होने वाले छोगसिंह राठौड़ ने कई दुश्मन सैनिकों को मार गिराया था, जानें कहानी
युद्ध में वीरता का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को 'वीर चक्र' से सम्मानित किया था।
1971 का युद्ध: हवलदार उदयराज सिंह की वीरता को देखकर थर-थर कांपते थे दुश्मन, मिला था ‘वीर चक्र’
युद्ध में उनके पराक्रम का परिचय तब देखने को मिला जब वह अपने साथियों के साथ फीचूगंज पहुंचे थे। दरअसल यहां पर उन्हें नदी को रेलवे पुल के रास्ते पार करना था।