1965 War

सिर्फ 910 किलो मीटर के क्षेत्र को ही पाकिस्तान को सौंपा गया था। 30 जून 1965 को कच्छ सिंध समझौता के तहत ये जमीन पाक को सौंपी गई तो उसके तेवर और बढ़ गए।

पाकिस्तान को इस युद्ध में बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा था। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना (Indian Army) के शौर्य को यादकर पाकिस्तान आज भी थर-थर कांप उठता होगा।

भारत ने सीमित संसाधनों के बावजूद स्ट्रेटजी बनाकर लाहौर से कुछ मील पहले डोगराई शहर पर कब्जा कर लिया था। इस युद्ध में 3 बटालियन जाट रेजीमेंट का बड़ा योगदान था।

सेना ने तय प्लान के मुताबिक हर कदम फूंक-फूंक कर रखा और क्षेत्र पर कब्जा पाया था। 28 अगस्त को हमारी सेना ने हाजीपीर पास फिर से कब्जे में लिया था।

भारतीय सेना दुनिया की बेहद खतरनाक सेनाओं में से एक मानी जाती है। भारतीय सेना के जवान दुश्मनों को बुरी तरह से पटखनी देने के लिए जाने जाते हैं। ऐसे कई मौके आए हैं जब हमारी सेना ने इस बात को साबित किया है।

भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1965 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को भारी क्षति हुई थी। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया था। इस युद्ध में खेमकरण एक ऐसी जगह हैं जो काफी मायने रखती है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। सैनिक तो मारे ही गए थे, साथ ही साथ पाकिस्तान का एक प्रांत यानी पूर्वी पाकिस्तान अलग हो गया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। पाकिस्तान यह सोचकर युद्ध के मैदान में उतरा था कि भारतीय सेना 1962 का युद्ध हारी हुई है, ऐसे में उसे फिर से हराया जा सकता है।

War of 1965: पाकिस्तान इस युद्ध में हारा था लेकिन वह आज तक इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करता आया है। वह उल्टा अपनी जीत का दावा करता है। 

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कश्मीर हड़पने के लिए ऑपरेशन जिब्राल्टर की साजिश रची थी। दुश्मनों ने खेमकरण सेक्‍टर के उसल उताड़ गांव पर धावा बोल दिया।

भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। चीनी सेना को हराने के लिए हमारे जवानों ने हर पैंतरा अपनाया, लेकिन अंत में हार ही मिली थी। चीनी सेना इस युद्ध में पूरी तैयारी के साथ उतरी थी, जबकि भारतीय सेना (Indian Army) ने आधी-अधूरी तैयारी के साथ दुश्मनों को चैलेंज किया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। भारत ने 1962 में चीन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उस युद्ध में हार मिली, तो पाकिस्तान को लगा कि भारत कमजोर है और कश्मीर हड़पने का यही सही वक्त है।

युद्ध में वायुसेना ने भी अहम भूमिका अदा की थी। पाकिस्तानी सेना के खिलाफ एक्शन के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट नंदा करियप्पा (Nanda Cariappa) और उनके दो साथी जवानों ने अहम भूमिका निभाई थी। नंदा फील्ड मार्शल करियप्पा के बेटे हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना को हमारे जवानों ने पटखनी दी थी। पाकिस्तान को हराने के लिए भारतीय सेना (Indian Army) ने हर मोर्चे पर दुश्मन को विफल साबित किया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में लड़े गए भीषण युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) काफी अलर्ट थी। पाकिस्तान की हर साजिश के खिलाफ जबरदस्त जवाब दिया गया था। पाकिस्तान को हर मोर्चे पर विफल साबित करने के लिए हमारी सेना ने जबरदस्त प्रहार किया था।

भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) को हार का सामना करना पड़ा था। चीनी सेना पूरी तैयारी के साथ जंग के मैदान में उतरी थी। भारतीय सेना अधूरी तैयारी के साथ इस युद्ध में उतरी थी।

'नंदा मेरा नहीं इस देश का बेटा है। उसके साथ वही बर्ताव किया जाए जो दूसरे युद्धबंदियों के साथ किया जा रहा है। छोड़ना है तो सभी युद्धबंदियों को छोड़िए।'

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