पुलिस और प्रशासन ने नक्सली संगठनों की कमर तोड़ी, घटनाओं में आई भारी कमी

झारखंड और बिहार की पुलिस लगातार अपनी सीमा में संयुक्त रुप से अभियान चला रही है, जिसमें कई नक्सली पुलिस की रडार पर हैं।

Naxalites Surrender

सांकेतिक तस्वीर।

एक तरफ झारखंड सरकार तो दूसरी तरफ बिहार सरकार नक्सलियों को नष्ट करने के लिए कारगर कदम उठा रही है। बिहार राज्य से लगे झारखंड की सीमा में दोनों राज्यों की पुलिस और सुरक्षा बलों की संयुक्त कार्रवाई चल रही है, जिसके कारण नक्सलियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

नक्सलवाद (Naxalism) देश की एक बड़ी समस्या है। पुलिस और प्रशासन लगातार नक्सलवाद के खिलाफ ऑपरेशन चला रहे हैं और इसमें सफलता भी मिली है। बीते 2 सालों की तुलना में 2020 के मई महीने तक नक्सली घटनाओं में कमी आई है और पुलिस के सहयोग से विकास कार्य की भी गति बढ़ी है।

झारखंड और बिहार की पुलिस लगातार अपनी सीमा में संयुक्त रुप से अभियान चला रही है, जिसमें कई नक्सली पुलिस की रडार पर हैं।

एक तरफ सरकार नक्सलियों के खिलाफ ताबड़तोड़ रणनीति बनाकर नक्सलियों को जड़ से उखाड़ने की नीति बनाकर दिन-रात मेहनत कर रही है, वहीं नक्सलियों के कई समूहों में पुलिस का डर इस कदर समा गया है कि किसी बड़ी नक्सली वारदात को अंजाम देने से पहले नक्सली संगठन हजारों बार सोचते हैं।

इन सब का नतीजा ये हुआ है कि बीते 2 सालों के मुकाबले इस साल नक्सलियों द्वारा कम घटनाएं घटित हुईं। 2018 के जनवरी से मई महीने तक कुल 161 घटनाएं नक्सलियों द्वारा अंजाम दी गईं, वहीं 2019 में जनवरी से मई महीने तक 129 घटनाएं हुईं। लेकिन 2020 के मई महीने तक केवल 112 घटनाएं ही हुई हैं।

ऐसा नहीं है कि नक्सलियों ने अपनी सक्रियता को क्षेत्र में दिखाना बंद कर दिया है, वह अपनी दहशत को बरकरार रखने के लिए क्षेत्र में चल रही विकास योजना योजनाओं को हानि पहुंचाने, विकास कार्य में लगे वाहनों को जलाने आदि में आज भी नहीं हिचकते।

नक्सलियों ने पुलिस पर भी कई बार हमला करने की कोशिश की, लेकिन उनके मंसूबे पूरे नहीं हुए। पुलिस को कई बड़े नक्सलियों को भी पकड़ने में सफलता मिली है। कई नक्सली भाग भी गए।

2018 के जनवरी महीने में नक्सलियों द्वारा 34, फरवरी में 28, मार्च में 34, अप्रैल में 23 और मई में 42 घटनाओं को अंजाम दिया गया था।

वहीं 2019 के जनवरी महीने में नक्सलियों द्वारा 41, अप्रैल में 16 और मई में 28 घटनाओं को अंजाम दिया गया था। अगर 2020 की बात करें तो जनवरी महीने में नक्सलियों द्वारा कुल 24, फरवरी में 20, मार्च में 18, अप्रैल में 19, मई में 130 घटनाओं को अंजाम दिया गया है। इस तरह बीते 2 सालों में 2020 में नक्सलियों द्वारा की गई घटनाओं में कमी आई है।

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पुलिस सूत्रों के अनुसार अब तक कई बड़े बड़े नक्सलियों को पकड़ा गया है, लेकिन अभी भी कुछ ऐसे खूंखार नक्सली लीडर हैं जिनके ऊपर करोड़ों का इनाम है, उन्हें पकड़ना बाकी है।

ये नक्सली पुलिस की रडार पर हैं और पुलिस का खुफिया विभाग लगातार इन नक्सलियों की जानकारी जुटाने में लगा है। बहुत ही जल्द बड़े बड़े नक्सली जो करोड़ों के नामी हैं, पुलिस के हत्थे चढ़ जाएंगे।

एक राज्यस्तरीय पुलिस अधिकारी के अनुसार झारखंड पुलिस के रडार पर 190 नक्सली हिट लिस्टेड हैं, जिनमें एक करोड़ के चार नक्सली, 25 लाख के 15 नक्सली, 15 लाख के 19 नक्सली, 10 लाख के 25 नक्सली, 5 लाख के 34 नक्सली, दो लाख के 32 नक्सली और 1 लाख के 61 नक्सली हैं।

ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि नक्सली समूह पुलिस से सीधी टक्कर ना लेते हुए झारखंड और बिहार के सीमांचल क्षेत्रों में अपनी हलचल बढ़ाते हैं और वहीं घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

बता दें कि एक तरफ झारखंड सरकार तो दूसरी तरफ बिहार सरकार नक्सलियों को नष्ट करने के लिए कारगर कदम उठा रही है। बिहार राज्य से लगे झारखंड की सीमा में दोनों राज्यों की पुलिस और सुरक्षा बलों की संयुक्त कार्रवाई चल रही है, जिसके कारण नक्सलियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

बता दें कि बिहार, झारखंड के सीमांचल क्षेत्र पलामू के पिपरा थाना क्षेत्र में 9 मई को नक्सलियों के एक समूह द्वारा 13 वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था। वहीं 18 जून को झारखंड के गिरिडीह से सटे कोडरमा जिले के सतगांवा में बिहार, झारखंड के एरिया कमांडर और एक नक्सली नेता प्रदुमन नामांक को मार गिराया गया था।

बिहार के नक्सली, झारखंड में आकर नक्सली वारदातों को अंजाम देते थे और जंगल के रास्ते बिहार के नवादा या जमुई के रास्ते औरंगाबाद चले जाते थे।

लेकिन अब चप्पे-चप्पे पर बिहार राज्य की पुलिस और सुरक्षा बल चौंकन्ने हैं और उन्होंने बिहार के नक्सल प्रभावित गांव को अपने रडार में ले लिया है, वहीं झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ की बटालियन संयुक्त रुप से अपने-अपने क्षेत्र की निगरानी कर रहे हैं।

नक्सलियों में इस कदर घबराहट है कि अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए कभी-कभी वह पुलिस को खुली चुनौती देकर अपने लिए जाल खुद बुन लेते हैं और आराम से पुलिस के हत्थे चढ़ जाते हैं।

हालांकि झारखंड के आदिवासी क्षेत्र चाईबासा में नक्सलियों का तांडव कुछ अलग कहानी बयां कर रहा है। यहां के नक्सली कभी सरकारी भवनों को विस्फोटक से उड़ा रहे हैं तो कहीं केन बम और पोस्टरबाजी के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।

लेकन झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ ने इनके मंसूबों पर हाल ही में पानी फेर दिया है। सुरक्षाबलों द्वारा लगातार नक्सलियों के खिलाफ सतर्कता पूर्वक चलाए जा रहे अभियान से नक्सलियों में परेशानी और भारी डर समा चुका है।

इधर झारखंड के डीजीपी एमपी राव के अनुसार राज्य के सीमाई इलाकों में पुलिस और सीआरपीएफ के साथ-साथ जगुआर की टीम छोटे-छोटे टुकड़ों मे अभियान चलाकर नक्सलियों को जड़ से मिटाने की कसम खा चुके हैं।

इसमें खासकर गिरिडीह जिले के पारसनाथ पहाड़ एवं बुड्ढा पहाड़ के साथ-साथ लुगू पहाड़ भी शामिल हैं, जहां झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ और जगुआर बड़ी सतर्कता से अभियान चला रही है।

गिरिडीह जिले में दो हार्डकोर नक्सलियों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है, जिसमें एक महिला एरिया कमांडर भी शामिल है, जो गिरिडीह के पारसनाथ सहित बोकारो में नक्सली वारदातों को अंजाम देती थी।

बता दें कि 2020 की शुरुआत में ही पुलिस और नक्सलियों की मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 9 नक्सली मारे गए थे और एक जवान और एक एसपीओ की मौत हुई थी।

झारखंड के अधिकतर इलाकों में नक्सलियों की रीढ़ टूटने की कगार पर है और लॉकडाउन से राहत के बाद इन क्षेत्रों में रुके विकास कार्यों को दोबारा शुरू कर दिया गया है।

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