अब नहीं बरपेगा लाल कहर! जानिए कहां 250 नक्सली समर्थकों ने एक साथ किया सरेंडर

नक्सलियों का गढ़ माना जाने वाला ओडिशा का जिला मलकानगिरि लाल आतंक की गिरफ्त से निकल रहा है। नक्सलियों (Naxals) का प्रबल समर्थन करने वाले 250 से भी ज्यादा आदिवासियों ने 22 दिसंबर को पुलिस के सामक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

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ओडिशा में नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है। नक्सलियों (Naxals) का गढ़ माना जाने वाला ओडिशा का जिला मलकानगिरि लाल आतंक की गिरफ्त से निकल रहा है।

ओडिशा में नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है। नक्सलियों का गढ़ माना जाने वाला ओडिशा का जिला मलकानगिरि लाल आतंक की गिरफ्त से निकल रहा है। नक्सलियों (Naxals) का प्रबल समर्थन करने वाले 250 से भी ज्यादा आदिवासियों ने 22 दिसंबर को पुलिस के सामक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

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मलकानगिरि में 250 से भी ज्यादा नक्सली समर्थकों ने सरेंडर कर दिया।

ओडिशा में नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है। नक्सलियों (Naxals) का गढ़ माना जाने वाला ओडिशा का जिला मलकानगिरि लाल आतंक की गिरफ्त से निकल रहा है। नक्सलियों का प्रबल समर्थन करने वाले 250 से भी ज्यादा आदिवासियों ने 22 दिसंबर को पुलिस के सामक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। जानकारी के अनुसार, मलकानगिरि में नक्सल समर्थक बहुल क्षेत्र महुपदर के इर्द-गिर्द नक्सल प्रभावित इलाके में मैथिली पुलिस थाने में आयोजित एक कार्यक्रम में आत्मसमर्पण का कार्यक्रम रखा गया।

पुलिस के अनुसार, महुपदर पारंपरिक तौर पर नक्सलियों (Naxals) का मजबूत किला माना जाता है। यहां पर लोगों में अंदर नक्सल विचारधारा को फैलाने में नक्सली काफी कामयाब रहे। लेकिन अब बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) का स्थायी कैंप यहां पर स्थापित हो जाने के कारण लोगों को सुरक्षा और विकास की बातें समझ आने लगी हैं। पुलिस ने आत्मसमर्पण करने वाले इन नक्सल समर्थकों में कंबल और कपड़े भी वितरित किए। इससे पहले, इसी क्षेत्र में सक्रिय एक लाख की ईनामी महिला नक्सली ने रायगढ़ा पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। उसने बयान दिया था कि नक्सली ग्रुपों में महिलाओं के साथ बहुत ज्यादा भेदभाव होता है। इसलिए ये संगठन अब टूट रहे हैं।

गौरतलब है कि अक्टूबर महीने में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले दंतेवाड़ा में 28 नक्सलियों (Naxals) ने आत्मसमर्पण किया था। इनमें से कुछ ग्रामीणों के बीच रहकर नक्सलियों की1 मदद किया करते थे। कुछ नक्सलियों का काम पुलिस पर हमले की प्लानिंग करना था। सरेंडर करने वालों में 4 इनामी नक्सली भी शामिल थे। इनकी पुलिस को लंबे अरसे से तलाश थी। इनमें दो लाख का इनामी मंगलू मड़कामी और एक-एक लाख के इनामी वामन कवासी, हांदा और पोडियामी गंगी शामिल थे।

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