छत्तीसगढ़: सुकमा में दो खूंखार नक्सलियों ने किया सरेंडर, एक पर था इनाम

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में दो नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें से एक इनामी नक्सली है।

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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में दो नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में दो नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें से एक इनामी नक्सली है। सुकमा जिले के पुलिस अधिकारियों के अनुसार, 15 जून को चिंतलनार पुलिस थाने में नक्सली मड़कम भीमा जिसकी उम्र 25 साल है और लेकाम मासा जिसकी उम्र 30 साल है, ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, भीमा नक्सलियों की चेतना नाट्य मंडली का कमांडर है और मासा इस मंडली का सदस्य है। आत्मसमर्पण करने वाले इन दोनों नक्सलियों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, पुलिस दल पर हमला समेत कई मामले दर्ज हैं।

भीमा के सिर पर प्रशासन की ओर से एक लाख रूपए का इनाम घोषित था। नक्सलियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने माओवादी विचारधारा और उनके शोषण, अत्याचार और भेदभाव से तंग आकर आत्मसमर्पण किया है। राज्य शासन की राहत और पुनर्वास नीति के तहत नक्सलियों को सभी सुविधाएं दी जाएंगी।

इससे पहले, झारखंड के दुमका में सबजोनल कमांडर पीसी दी समेत 6 बड़े नक्सलियों ने हथियार के साथ सरेंडर कर दिया था। 17 जून को इन सभी ने पुलिस के आला अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया। सरेंडर करने वाले नक्सलियों में सबजोनल कमांडर और पांच लाख की इनामी महिला नक्सली पीसी दी ने एके 47 के साथ, एक लाख का इनामी सिधो मरांडी इंसास रायफल के साथ, सबजोनल कमांडर किरण दी कार्बाइन के साथ, एक लाख इनामी प्रेमशिला देवी, सुखलाल देहरी पिस्तौल के साथ और भगत सिंह किस्कू ने रायफल के साथ सरेंडर किया।

गौरतलब है कि साल 2019 में अब तक झारखंड में कुल 10 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। सरेंडर करने वाले नक्सलियों में शामिल किरण दी पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए नक्सली ताला दा की पत्नी है। किरण के खिलाफ 16 मुकदमे दर्ज हैं। वहीं पीसी दी के पति सुखलाल देहरी ने भी पुलिस के सामने हथियार डाल दिए। मिली जानकारी के अनुसार, सरेंडर करने वाले सभी नक्सली कई दिन पहले ही पुलिस के संपर्क में आ गए थे। लेकिन पुलिस के संपर्क में आने या उसके आधिकारिक रूप से सरेंडर की घोषणा नहीं की गयी थी। झारखंड सरकार के प्रत्यार्पण एवं पुनर्वास योजना से प्रभावित होकर इन नक्सलियों ने सरेंडर किया।

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