इश्क से मात खा रहा नक्सलवाद, हिंसा के सौदागरों में मची खलबली

बंदूक और आतंक के सहारे सत्ता परिवर्तन का ख़्वाब देखने वाले नक्सली भी देर-सबेर प्यार में पड़ ही जाते हैं। कुछ का प्रेम परवान चढ़ता है, कुछ पुलिस की गिरफ्त में जा फसंते हैं या गोलियों का शिकार हो जाते हैं तो कुछ लोग संगठन को ही हमेशा के लिए अलविदा कह देते हैं।

naxal love story, naxalites love stories, bastar, surrendered naxals

प्रेम, उजाले की एक ऐसी किरण की मानिंद है जिसका सोहबत पाते ही हिंसा का अंधकार हमेशा के लिए मिट जाता है। इसका जीवंत उदाहरण आजकल बस्तर में देखने को मिल रहा है। जहां प्रेम, अहिंसा और मानवता का पाठ पढ़ा रहा है। उन दिलों को जीत रहा है, जिनमें हिंसा ने डेरा जमा लिया था। उन्हें इंसान होने और इंसानियत का मतलब समझा रहा है।

सिर्फ़ प्रेम में ही वह ताक़त है जो नफरत और हिंसा को हमेशा के लिए खत्म कर सकती है। प्रेम के सामने हिंसा कभी नहीं टिक सकती। इसलिए नक्सली संगठनों को सबसे अधिक डर प्रेम से लगता है। उन्हें पता है कि जो लोग क्रांति के नाम पर हथियार उठाए हुए हिंसा को अंजाम दे रहे हैं, कहीं मोहब्बत उन्हें सही रास्ते पर न ला दे।

बीते कुछ सालों में सैकड़ों नक्सलियों ने हिंसा छोड़कर प्रेम विवाह किया और समाज की मुख्यधारा में आकर अमन-चैन की जिंदबी बसर कर रहे हैं। यही वजह है कि ये हिंसक संगठन ना तो प्रेम को जगह देते हैं और ना ही अपने सदस्यों को विवाह करने की इजाजत देते हैं। यदि उन्हें पता चल जाता है कि कोई प्रेम में है तो पारिवारिक सुख से वंचित रखने के लिए उनकी नसबंदी तक करवा दी जाती है। पिछले साल बीजापुर में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली दंपति नागेश ने बताया कि उसके प्रेम के बारे में पता चलने पर नक्सलियों ने उसकी नसबंदी करवा दी थी। पर नागेश ने तय कर लिया था कि गृहस्थी बसाने के  लिए सरेंडर करना है तो उसने किसी की नहीं सुनी।

पिछले कुछ सालों में जिन नक्सलियों को प्रेम ने हिंसा के चंगुल से मुक्त कराया उसमें जगरगुण्डा एरिया कमेटी का कमांडर बदरन्ना भी शामिल है। बदरन्ना ने चिंतलनार-दलम की लतक्का से विवाह किया और कोंटा में सरेंडर कर हिंसा का रास्ता छोड़ दिया। बदरन्ना और लतक्का बताते हैं कि उनके जैसे सैकड़ों युवा जोड़े नक्सल विचारधारा से बगावत कर प्रेम विवाह कर चुके हैं।

केशकाल डिवीजनल कमेटी के कमांडर केसन्ना ने नक्सल दलम की सदस्य सुनीता से शादी कर ली तो दक्षिण बस्तर एरिया कमिटी के अर्जुन ने देवे से। बासागुड़ा के डिप्टी कमांडर जोगन्ना ने चंद्रक्का से और मद्देड़ के डिप्टी कमांडर अशोकन्ना ने नक्सल-दलम की सदस्य जयकन्ना से विवाह किया। इसके अलावा दक्षिण बस्तर स्पेशल जोनल कमेटी के लछन्ना और मद्देड़ के एरिया कमांडर रामाराव ने भी प्रेम विवाह कर खूनी खेल हमेशा के लिए छोड़ दिया।

नक्‍सली शंभू मुर्मू और काजल का प्रेम एक समय में बहुत चर्चित था। तो 10 लाख के इनामी नक्सली 38 साल के संपत और 8 लाख की इनामी नक्सली 20 साल की आसमती की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। इन दोनों ने भी प्रेम के लिए सरेंडर कर दिया था। इस तरह के सैकड़ों उदाहरण आज हमारे सामने हैं, जिनके जीवन में प्रेम बदलाव लेकर आया और उन्होंने विवाह कर भय और आतंक के रास्ते को हमेशा के लिए छोड़ दिया।

बंदूक और आतंक के सहारे सत्ता परिवर्तन का ख़्वाब देखने वाले नक्सली भी देर-सबेर प्यार में पड़ ही जाते हैं। कुछ का प्रेम परवान चढ़ता है, कुछ पुलिस की गिरफ्त में जा फसंते हैं या गोलियों का शिकार हो जाते हैं तो कुछ लोग संगठन को ही हमेशा के लिए अलविदा कह देते हैं। यह सिलसिला तेजी से चल रहा है। नक्सल रणनीतिकार इससे बौखला उठे हैं, लेकिन यह उनके वश में नहीं कि इश्क पर रोक लगा सकें।

प्रशासन भी इस तरह के मामलों में सरेंडर कर चुके पूर्व नक्सलियों की सुरक्षा का ख्याल रखती है ताकि नक्सली इनके साथ किसी तरह का अत्याचार न कर पाएं। कुल मिला कर इस वक़्त मोहब्बत हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में अमन का चिराग जलाने में कामयाब हो रही है। जहां कभी शोले बरसते थे, वहां आज मोहब्बत के गीत गाए जा रहे हैं।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें