एक नक्सली जिसने जेल में रह कर रच डाला इचिहास, बनाया ये रिकॉर्ड

जेल में रह कर एक नक्सली नेता ने अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति के दम पर मिसाल कायम किया। जेल में बंद होने के बावजूद उसने कलम थामी और तारीख लिख डाला। आज हम एक ऐसे ही नक्सली की कहानी बता रहे हैं आपको।

Arnab Dam

Arnab Dam

जेल में बंद होने के बावजूद उसने कलम थामी और तारीख लिख डाला। आज हम एक ऐसे ही नक्सली की कहानी बता रहे हैं आपको। इस नक्सली (Naxalite) का नाम है अर्णब दाम (Arnab Dam) उर्फ विक्रम।

जेल में रह कर एक नक्सली नेता (Naxal Leader) ने अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति के दम पर मिसाल कायम किया। जेल में बंद होने के बावजूद उसने कलम थामी और तारीख लिख डाला। आज हम एक ऐसे ही नक्सली की कहानी बता रहे हैं आपको। इस नक्सली का नाम है अर्णब दाम (Arnab Dam) उर्फ विक्रम।

अर्णब (Arnab Dam) ने जेल में रहकर ही पढ़ाई की, परीक्षा की तैयारी की और स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट (सेट) की परीक्षा पास कर लिया। 2 दिसंबर, 2018 को सेट का इम्तिहान हुआ था। अर्णब ने पश्चिम बंगाल के प्रेसिडेंसी जेल से ही परीक्षा दी थी। परीक्षा का परिणाम आया तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

अर्णब ने सेट का परीक्षाफल स्पीड पोस्ट के जरिए अपने पिता एसके दाम को भेजा था। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड था। इससे पहले जेल में बंद किसी भी कैदी ने सेट पास नहीं किया था।

अर्णब देश के टॉप टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट में गिने जाने वाले आईआईटी, खड़गपुर का छात्र था। वह आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। पर वह भटक गया। उसने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और नक्सली बन गया था।

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वह एक समय पश्चिम बंगाल-झारखंड-ओडिशा में सक्रिय माओवादियों के संगठन का सचिव था। सुरक्षा एजेंसियों ने जुलाई, 2012 में पुरुलिया जिले के विरामडी रेलवे स्टेशन के पास से उसे गिरफ्तार किया था।

प्रेसिडेंसी जेल में रहने के दौरान ही अर्णब ने अपनी बीए ऑनर्स और इतिहास में एमए की पढ़ाई पूरी की थी। अर्णब के खिलाफ नक्सली हमले के 31 मामले दर्ज हैं। इनमें से 30 में तो उसे जमानत मिल गई। लेकिन, सियालदह के ईएफआर कैंप पर हमले के मामले में उसे जमानत नहीं मिली थी।

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18 दिसंबर, 2018 को अर्णब नेट की परीक्षा देना चाहता था। इसके लिए उसे एडमिट कार्ड भी मिल गया था। पर हालात कुछ ऐसे बन पड़े कि वह परीक्षा में शामिल नहीं हो पाया। हालांकि, अर्नब को बाद में सभी मामलों में जमानत मिल गई। वह सेट की परीक्षा पास कर दूसरों के लिए नजीर बन गया। 

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अर्णब, ‘Environmental History’ टॉपिक पर पीएचडी कर रहा है। उसकी कहानी एक प्रेरणा है कि आप जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं, बशर्ते आपमें कुछ कर गुजरने का जुनून हो और आपके इरादे मजबूत हों।

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