संपत्ति बनाने में लगे टॉप नक्सली (Naxal) कैडर, विचारधारा से भटक चुका है संगठन

आठ राज्यों के 60 से अधिक जिलों में हिंसात्मक गतिविधियां कर रहे नक्सली अब अपनी मूल विचारधारा से दूर हटने लगे हैं।

Naxal

नक्सलवादियों (Naxal) का टॉप कॉडर, आदिवासियों, गरीब किसानों और मजदूरों को उनका हक दिलाने की बजाए अब खुद निजी संपत्ति जुटाने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है।

आठ राज्यों के 60 से अधिक जिलों में हिंसात्मक गतिविधियां कर रहे नक्सली (Naxal) अब अपनी मूल विचारधारा से दूर हटने लगे हैं। नक्सलवादियों (Naxal) का टॉप कॉडर, आदिवासियों, गरीब किसानों और मजदूरों को उनका हक दिलाने की बजाए अब खुद निजी संपत्ति जुटाने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है। उनका यह कदम नक्सल कॉडर को कमजोर बना रहा है। हालांकि सरकार के लिए यह राहत भरी खबर है कि टॉप नक्सलियों की इन गलतियों के चलते अब नए सदस्यों की भर्ती प्रक्रिया धीमी पड़ गई है।

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सांकेतिक तस्वीर

सुरक्षाबलों पर हमला करने वाले नक्सलियों (naxal) के कोर ग्रुप में यह मैसेज एक सवाल बनकर फैल रहा है कि टॉप कॉडर के लोग निजी संपत्ति क्यों एकत्रित कर रहे हैं। पिछले एक साल में ऐसे दर्जनभर केस प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने आए हैं, जिनमें टॉप कॉडर के नक्सलियों की करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति जब्त की गई है। नक्सल प्रभावित राज्यों जैसे झारखंड और छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के ऑपरेशन की नोडल एजेंसी सीआरपीएफ एवं ईडी के मुताबिक इस बात में कोई शक नहीं है कि अब नक्सलियों का ओवरऑल कॉडर कमजोर पड़ रहा है। जंगलों या गांवों में पहले उन्हें जो मदद मिलती थी, वह भी अब कम होती जा रही है। अगर तीन-चार साल पहले तक की बात करें, तो पता चलता है कि नक्सलियों को ग्रामीणों से हर तरह की मदद मिल रही थी।

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उस वक्त सुरक्षा बलों को स्थानीय भाषा जैसे ‘गोंडी’ आदि का ज्ञान नहीं था, इसलिए वे ग्रामीणों के साथ ज्यादा घुल मिल नहीं पाते थे। उस वक्त ग्रामीण, नक्सलियों की जानकारी सुरक्षा बलों को नहीं देते थे और हमारी मूवमेंट के बारे में नक्सलियों को बताते रहते थे। लेकिन अब स्थिति काफी हद तक बदल चुकी है। ग्रामीण, सुरक्षाबलों का पूर्ण सहयोग कर रहे हैं। हर तरह की बातें साझा होती हैं। सीआरपीएफ और ईडी के अधिकारी बताते हैं कि अब नक्सलियों को यह लगने लगा है कि सुरक्षा बल उनके करीब पहुंच रहे हैं। कभी भी बड़ा और निर्णायक आमना-सामना हो सकता है। नई भर्ती की चाल सुस्त है। यानी जंगलों में रहने वाले आदिवासी युवा अब सरकार की विकास योजनाओं का लाभ उठाकर देश की मुख्य धारा में बने रहने के लिए उत्सुक दिखाई दे रहे हैं।

नक्सलियों में निचले स्तर पर यह बात आग की तरह फैलती जा रही है कि टॉप कॉडर के लोग खुद के लिए संपत्ति एकत्रित करने में जुटे हुए हैं। इस साल सितंबर में ईडी ने झारखंड के मगध-आम्रपाली इलाके में जबरन वसूली और धमकी देकर ठेकेदारों व कोयला व्यापारियों से अवैध वसूली का एक मामला दर्ज किया था। इसमें आरोपियों की 2.89 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियों को अटैच किया गया। प्रतिबंधित वामपंथी चरमपंथी (एलडब्लूई) संगठन की तीसरी प्रस्थति समिति (टीपीसी) के सदस्यों को इस मामले में आरोपी बनाया गया। ये सभी संपत्तियां, नक्सली बिनोद कुमार गंझू, प्रदीप राम और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर थीं। ईडी की जांच में पता चला है कि नक्सली (naxal) बिनोद कुमार गंझू, प्रदीप राम और अन्य नक्सली ‘मगध आयोजन समिति’ और ‘आम्रपाली शांति समिति’ के नाम से स्थानीय समितियां चला रहे थे।

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उक्त समितियों की आड़ में ये नक्सली ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टर्स, डिलीवरी ऑर्डर होल्डर्स और कोयला व्यापारियों से लेवी वसूलते थे। इन्हें यह लेवी टीपीसी संगठन के सदस्यों को सौंपनी थी, लेकिन आरोपियों ने यह संपत्ति अपने पास रखनी शुरू कर दी। मार्च माह के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने बिहार में नक्सल नेता प्रद्युम्न शर्मा के पास से 67 लाख की संपत्ति जब्त की थी। व्यवसायियों और उद्योगपतियों से पैसा वसूलने के आरोप में शर्मा के खिलाफ 67 एफआईआर और आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। प्रद्युम्न प्रतिबंधित संगठन बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी के मगध जोन का कथित प्रभारी बताया जाता है। अगस्त, 2019 में ईडी ने नक्सली नेता संदीप यादव की ‘गया और औरंगाबाद’ जिले में चल-अचल संपत्ति जब्त की थी।

बांके बाजार पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत नक्सल नेता के भाई धनिक लाल यादव के पास 18.75 दशमलव भूमि मिली थी। उक्त संपत्ति को सील करने के बाद ईडी ने उसकी खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया था। संदीप यादव नक्सली गतिविधियों से संबंधित मामलों में वांछित है। बिहार और झारखंड सरकारों ने संदीप की गिरफ्तारी के लिए पांच लाख और 25 लाख रुपये का इनाम रखा गया है। नवंबर, 2018 में ईडी ने शीर्ष नक्सली नेता बिनय यादव उर्फ मुराद जी की 77 लाख रुपये की चल और अचल संपत्ति अटैच की थी। उक्त नक्सली नेता ने बिहार के औरंगाबाद जिले में लोगों से पैसे वसूलकर संपत्ति बनाई थी। बिनय को प्रतिबंधित संगठन के मध्य क्षेत्र का प्रमुख कहा जाता है। उसके खिलाफ लगभग 60 मामले दर्ज हैं।

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फरवरी, 2019 में देश के शीर्ष नक्सली नेताओं में से एक विजय यादव की संपत्ति प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर आ गई है।एजेंसी ने विजय यादव उर्फ बडका भैया की कई संपत्तियों को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत संलग्न किया है। बिहार झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी ऑफ सीपीआई (माओवादी) के मध्य क्षेत्र के प्रभारी बडका भैया की 86 लाख रुपये की चल और अचल संपत्तियों को कुर्क किया गया था।इनके खिलाफ 88 से अधिक एफआईआर और आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं। मई, 2018 में ईडी ने बिहार के माओवादी नेता बिनय यादव के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया था। इनका नाम जबरन वसूली जैसी कई गतिविधियों में शामिल था। उन्होंने अपने दामाद के परिवारवालों के खातों में भी लाखों रुपये जमा कर दिए थे।

जांच एजेंसी के मुताबिक इन्हें सीपीआई (माओवादी) बिहार क्षेत्रीय समिति का शीर्ष कमांडर बताया जाता है। ईडी ने औरंगाबाद जिले में इनके छह प्लॉट, तीन बसें, एक भारी-भरकम घास काटने की मशीन, एक बोलेरो एसयूवी, एक मिनी वैन, निश्चित जमा राशि और सात बैंक खाते सील किए थे। बता दें कि केंद्र सरकार ने नक्सलियों के वित्तपोषण स्रोतों को रोकने और उनकी संपत्तियों को जब्त करने के लिए एक बहु-अनुशासनात्मक समूह का गठन किया था। इस समूह में विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों जैसे इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और राज्य पुलिस विभाग के अधिकारी हैं। यह कदम माओवादियों द्वारा कथित रूप से जबरन वसूली के जरिए एकत्रित किए गए धन को बाहर निकालना है।

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