Exclusive: 5 लाख के इनामी नक्सली को साथी नक्सलियों ने ही किया किडनैप, हैरान कर देगा ये मामला

5 लाख के इनामी नक्सली (Naxal) नूनू चंद महतो को उसके ही साथी नक्सलियों ने किडनैप कर लिया है। नूनू चंद महतो नया संगठन बनाने की तैयारी कर रहा था।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर।

नूनू चंद, अपने साथ एक महिला नक्सली (Naxal) समेत लगभग आधा दर्जन कुख्यात नक्सलियों को भाकपा माओवादी संगठन से तोड़कर ले गया था। सूत्रों के अनुसार भाकपा माओवादी के कुछ नेता शनिवार को उसे पकड़कर अपने साथ ले गए। पुलिस मामले की जांच में जुटी है लेकिन अभी तक नक्सली का कोई सुराग नहीं मिला है।

नक्सली (Naxal) इलाकों में कई बार कुछ हैरान करने वाले मामले सामने आते हैं। ऐसा ही एक मामला 5 लाख के इनामी नक्सली नूनू चंद महतो के बारे में सामने आया है।

5 लाख के इनामी नक्सली (Naxal) नूनू चंद महतो को उसके ही साथी नक्सलियों ने किडनैप कर लिया है। नूनू चंद महतो अपने नक्सली संगठन से अलग होकर, नया संगठन बनाने की तैयारी कर रहा था। वह धनबाद जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों और गिरिडीह जिले के पीरटांड़ सहित अन्य इलाकों में संगठन निर्माण की तैयारी के साथ-साथ लेवी की वसूली कर रहा था।

नूनू चंद, अपने साथ एक महिला नक्सली (Naxal) समेत लगभग आधा दर्जन कुख्यात नक्सलियों को भाकपा माओवादी संगठन से तोड़कर ले गया था।

सूत्रों के अनुसार भाकपा माओवादी के कुछ नेता शनिवार को उसे पकड़कर अपने साथ ले गए। पुलिस मामले की जांच में जुटी है लेकिन अभी तक नक्सली का कोई सुराग नहीं मिला है।

नूनू चंद सब जोनल कमेटी का कमांडर था। सूत्रों के अनुसार वह 6 महीने से भाकपा माओवादी संगठन से नाराज चल रहा था। इस बीच संगठन के कई बड़े नेताओं ने उसे मनाने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद वह बगावत पर उतर आया और एक महिला नक्सली समेत लगभग आधा दर्जन कुख्यात नक्सलियों के साथ अपना अलग संगठन बनाने का मन बना लिया।

मिली जानकारी के मुताबिक 5 लाख के इनामी नक्सली (Naxal) नूनू चंद महतो उर्फ गांधी ने लेवी के पैसे को लेकर विवाद किया था और उसके बाद ही उसने बगावत की। इसके बाद कुछ ही दिनों में नूनू ने भाकपा माओवादी संगठन को आर्थिक चोट पहुंचाना शुरू कर दिया। नूनू चंद ने लेवी पर कब्जा किया, जिसके बाद शीर्ष नक्सलियों ने उसे अगवा करवा लिया।

सूत्रों की मानें तो पारसनाथ जॉन के गिरिडीह एवं धनबाद जिले में हो रहे विकास कार्यों एवं अन्य स्रोतों से आने वाले लेवी के पैसे को उसने अपने कब्जे में कर लिया। यानी जिस पैसे से पारसनाथ जॉन के शीर्ष नक्सली नेताओं का खर्चा चलता था और अन्य नक्सल गतिविधियां की जाती थीं, उसमें नूनू चंद महतो रुकावट बन गया।

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आर्थिक चोट से परेशान हुए बड़े नक्सली नेताओं ने नूनू चंद महतो को कई बार दोबारा संगठन में आने की सलाह दी लेकिन उसने मना कर दिया और संगठन के समानांतर अपना काम चलाने का मन बनाया। जिसके बाद नूनू को अगवा किया गया।

सूत्रों की मानें तो संगठन से बागी होते ही नूनू चंद महतो ने धनबाद एवं गिरिडीह जिले के सीमांचल इलाके खुखरा हरलाडीह, तोपचाची, राजगंज एवं पश्चिमी टुंडी को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। इस पूरे इलाके में वह आधा दर्जन कैडरों के साथ घूम-घूमकर लेवी वसूल कर माओवादियों एवं पुलिस दोनों को चुनौती देते हुए अपने को स्थापित करने में लग गया।

उसने स्थानीय लोगों को भी ये संदेश पहुंचवाया कि उसने संगठन छोड़ दिया है और उसने अपना खुद का संगठन बना लिया है।

इससे पहले वह 25 लाख के इनामी नक्सली अजय महतो के संगठन का था। जानकार बताते हैं कि कुख्यात एवं 25 लाख के इनामी नक्सली अजय महतो के संगठन में वह बतौर सब जोनल कमेटी का सदस्य था। राज्य सरकार द्वारा पहले ही गिरीडीह के पीरटांड़ प्रखंड के बंदगांवा पंचायत अंतर्गत भीलवाड़ा स्थित उसकी चल-अचल संपत्ति को जब्त किया जा चुका है। उसके खिलाफ गिरिडीह एवं धनबाद जिले के विभिन्न थानों में 4 दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं।

बताया जाता है कि उसके साथ श्याम एवं एक महिला नक्सली है। श्याम मुर्मू के बारे में बताया जाता है कि पीरटांड़ प्रखंड के पडरियाटांड़ गांव का रहने वाला है और यहां उसके खिलाफ 1 दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। महिला नक्सली भी इसी इलाके की रहने वाली है। इस महिला नक्सली से नूनू चंद के रिश्ते को लेकर भी संगठन में विवाद हुआ था।

पुलिस को अभी तक किडनैप किए गए नक्सली के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। ऐसे में ये देखना होगा कि उसके पुराने साथी उसे सजा ए मौत देते हैं, या वह जिंदा लौटता है।

पारसनाथ क्षेत्र, गिरिडीह और धनबाद के सीमांचल क्षेत्रों में पुलिस ने गहन सर्च अभियान शुरू कर दिया है। हालांकि पुलिस के हत्थे कोई सुराग नूनू चंद के बारे में नहीं मिला है।

नूनू चंद महतो चकमा देने में माहिर है, इसी वजह से वह बीते 27 फरवरी 2020 को धनबाद के तोपचांची के नेरो गांव के पास पुलिस के हत्थे चढ़ते-चढ़ते बच गया था।

बता दें कि धनबाद के तत्कालीन ग्रामीण एसपी एवं वर्तमान में गिरिडीह एसपी अमित कुमार रेणु के नेतृत्व में गहन सर्च अभियान चलाया जा रहा था। पुलिस एवं सीआरपीएफ पूरे नेरो गांव की घेराबंदी कर सर्च अभियान चला रही थी। दोनों ओर से फायरिंग हुई। गोली चलाते हुए नूनू और उसके दस्ते के अन्य सदस्य भागने में सफल रहे।

इसके अलावा 3 साल पूर्व गिरिडीह जिले के पारसनाथ पहाड़ के सिमरवाड़ा में भी पुलिस के साथ उसके दस्ते की मुठभेड़ हुई थी। उस दौरान भी वह पुलिस को चकमा देते हुए भागने में सफल हो गया था।

राज्य सरकार द्वारा इनाम घोषित करने के बाद नूनू चंद महतो और अजय महतो जैसे कई लोग पुलिस के रडार पर हैं।

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