
आज वही police उनकी जिंदगी संवारने में उनकी मदद कर रही है।
जिन मासूम हाथों को किताब पकड़ना चाहिए था, वे हथियार थामकर समाज और पुलिस (Police) के दुश्मन बन गए थे। खाकी वर्दी को देखते ही गोलियां बरसाना शुरू कर देते थे। वर्दी जैसे उनकी सबसे बड़ी दुश्मन थी। पर उसी वर्दी ने उन्हें नया जीवन दिया है। आज वही वर्दी उनकी जिंदगी संवारने में उनकी मदद कर रही है। उन्हें मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें एक सामान्य जीवन देले का प्रयास कर रही है। उनकी मासूमियत फिर से किसी दलदल में फंसकर कहीं गुम न हो जाए, इसलिए खाकी वर्दी उन्हें सुरक्षित भविष्य देने की कोशिश कर रही है।
कुख्यात माओवादी कमांडर राकेश भुइयां के दस्ते में 18 सदस्य थे। जिसमें से 6 लड़कियां थी। फरवरी, 2018 के पहले सप्ताह में छतरपुर के मलंगा पहाड़ में हुए मुठभेड़ में राकेश भुइयां समेत चार नक्सली मारे गए थे। इस मुठभेड़ में दो महिला नक्सली भी मारी गई थीं। इस मुठभेड़ के लगभग एक सप्ताह बाद पुलिस (Police) ने दस्ते के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया था।
दस्ते की सदस्य दो लड़कियां पलामू के नौडीहा बाजार थाना क्षेत्र के बिहार सीमा से सटे एक गांव की रहने वाली हैं। इन दोनों लड़कियों को नाबालिग होने की वजह से गिरफ्तारी के बाद प्रोबेशन-होम में भेजा दिया गया था। उसी दौरान नक्सलियों के खिलाफ दो अलग-अलग प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। जिसमें लड़कियों के बयान के आधार पर दस्ते के खिलाफ दुष्कर्म और यौन शोषण का मामला दर्ज किया गया था।
दोनों लड़कियां हाल ही में देवघर प्रोबेशन-होम से करीब 10 महीने बाद वापस आई हैं। पलामू पुलिस (Police) दोनों को मुख्य धारा में शामिल होने के लिए सहयोग कर रही है। इसके लिए पुलिस (Police) द्वारा दोनों के जमानत के लिए भी पहल की गई थी। अब पलामू पुलिस ने दोनों लड़कियों को कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल में नामांकन के लिए पहल की है ताकि पढ़-लिखकर ये लड़कियां अपनी आने वाली जिंदगी संवार सकें।
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