
महज दस साल की उम्र में नक्सलियों (Naxalites) ने उसका अपहरण कर लिया था। अब वह 12 साल की हो गई है। उसका नाम अब हार्डकोर नक्सलियों की सूची में शामिल हो चुका है। वह ढाई साल तक नक्सलियों के संगठन में रही। उस पर पश्चिमी सिंहभूम के विभिन्न थानों में अब तक सात मामले दर्ज हो चुके हैं। लेकिन, अब पुलिस ने उसे नक्सलियों (Naxalites) के चंगुल से छुड़ा लिया है। यह नाबालिग महिला नक्सली अब रिमांड होम नहीं भेजी जाएगी, बल्कि कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में रहकर पढ़ाई करेगी। पुलिस की मदद से उस अंधेरी दुनिया से निकलकर अपना नया जीवन शुरू करेगी।

झारखंड में यह पहला मामला है जिसमें नाबालिग पर केस दर्ज नहीं किया जाएगा, बल्कि सेल्टर होम में रख कर उसे बेहतर शिक्षा दी जाएगी। पुलिस अधीक्षक इन्द्रजीत माहथा बताते हैं कि आइपीसी की धारा 83 का इस्तेमाल कर पीड़िता का कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में नामांकन कराया जाएगा। यह पीड़िता गुदड़ी थाना क्षेत्र से नक्सलियों के चंगुल से मुक्त कराई गई है। साल 2017 में भाकपा माओवादियों (Naxalites) ने इसका अपहरण कर लिया था।
नक्सली जीवन कंडुलना उर्फ लम्बु, सुरेश मुंडा, सुभाष उर्फ लोदरो लोहार, सूर्या सोय और चोकोय सुंडी इस बच्ची पर अत्याचार किया करते थे। विरोध करने पर हत्या की धमकी देते थे। बात नहीं मानने पर उसके साथ मारपीट करते थे। दस्ते के साथ जहां भी जाते, उसे साथ लेकर जाते थे। उसे हमेशा माओवादी जीवन कंडुलना और सुरेश मुंडा के आसपास ही रखा जाता था। इसलिए जब भी कोई नक्सली गिरफ्तार होता था तो उसका नाम लेता था।
क्योंकि दस्ते के नक्सलियों (Naxalites) ने इस नाबालिग को हमेशा इन ली़डरों के साथ देखा था। इस कारण उस पर सात मामले दर्ज किये जा चुके हैं। बहरहाल, पीड़िता ने चक्रधरपुर महिला थाने में इन नक्सलियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। इसमें अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। पीड़िता को सीडब्ल्यूसी चाईबासा टीम के पास रखा गया है।
गौरतलब है कि सरेंडर कर चुकी महिला नक्सलियों सहित कई नक्सलियों (Naxalites) ने इस बात का खुलासा किया है कि नक्सली संगठनों में महिलाओं का शोषण किया जाता है। नक्सली क्रांति के नाम पर लोगों पर अत्याचार करते हैं। उनकी विचारधारा एकदम खोखली है। उनका मकसद सिर्फ खून-खराबा करना, दबरन धन उगाही करना और लोगों में दहशत फैलाना है।
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