
झारखंड में नक्सलियों (Naxals) के विभिन्न संगठनों में मतभेद।
नक्सली ग्रुप अपने ही वर्चस्व को लेकर आमने-सामने।
वर्चस्व की लड़ाई में टीपीसी और भाकपा माओवादी के कारनामे का पर्दाफाश।
राज्य में नक्सलवाद की स्थिति हाशिए पर।

झारखंड (Jharkhand) में नक्सलियों (Naxals) के विभिन्न संगठनों में मतभेद पैदा हो रहा है। राज्य में अलग-अलग नक्सली ग्रुप अपने ही वर्चस्व को लेकर आमने-सामने आ गए हैं। इसी वर्चस्व की लड़ाई में नक्सलियों (Naxalites) ने बीते 27 मार्च को चाईबासा में एक ग्राम प्रधान की हत्या कर दी थी।
झारखंड में नक्सलवाद (Naxalism) की स्थिति अब हाशिए पर आ गई है। अपने संगठन और अपनी गाढ़ी कमाई को लेकर कई नक्सली संगठन (Naxal Organizations) आपस में ही एक-दूसरे के मुखबिरों को मौत के घाट उतार रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण है चाईबासा जिले की आनंदपुर थाना के हरता पंचायत के कुंडली गांव के एक ग्राम प्रधान नमन बुढ़ की हत्या।
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ग्राम प्रधान नमन बुढ़ को नक्सली संगठन (Naxal Organization) भाकपा माओवादी के सदस्यों ने मार डाला था। बता दें कि नमन बुढ़ पहले भाकपा माओवादियों के लिए काम करता था। पर निजी स्वार्थ के कारण वह भाकपा माओवादी छोड़ पीएलएफआई (PLFI) के लिए काम करने लगा।
सूत्रों के अनुसार, ऐसा माना जा रहा है कि नमन बुढ़ बहुत ही चलाक था। वह गिरगिट की तरह रंग बदलता था, जो भाकपा माओवादियों को रास नहीं आया। नतीजा यह हुआ कि भाकपा माओवादी के नक्सलियों (Naxals) ने उसकी गला रेत कर निर्ममता से हत्या कर दी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, बीते 27 मार्च को नमन की हत्या में भाकपा माओवादी के जीवन कंडुलना और सुरेश मुंडा के दस्ते का ही हाथ है।
सूत्रों के अनुसार, नक्सली (Naxali) अमन बुढ़ को पुलिस का मुखबिर मानते थे। बताते चलें कि इन दिनों नक्सली समूह अपने सेफ जोन सांरडा क्षेत्र और जिले के पोड़ाहाट सहित अन्य पड़ोसी जिलो में अपने मुखबिरों की संख्या बढ़ाने में लगे हुए हैं। ऐसे में नक्सलियों (Naxals) को अमन बुढ़ से हमेशा डर लगा रहता था। क्योंकि वह भरोसे के लायक नहीं था।
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