झारखंड: सरेंडर नक्सलियों को मिला पुनर्वास नीतियों का लाभ, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दी अनुदान की स्वीकृति

इन नीतियों का मुख्य उद्देश्य है नक्सलियों को आत्मसमर्पण (Surrender) के लिए प्रोत्साहित करना ताकि वे खून-खराबे की जिंदगी को छोड़कर मुख्यधारा में लौट आएं और सुकून की जिंदगी जिएं। साथ ही देश और समाज के विकास में अपना योगदान दें।

Jharkhand

फाइल फोटो।

देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा रहे नक्सलियों (Naxalites) की साख अब धीरे-धीरे कमजोर पड़ती जा रही है। इसमें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा समय-समय पर उठाए गए जरूरी व प्रभावी कदमों का महत्वपूर्ण योगदान है। साथ ही, सुरक्षाबलों और पुलिस प्रशासन की मुस्तैदी की वजह से भी नक्सली कमजोर हुए हैं।

लगातार चलाए जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत नक्सलियों (Naxals) की धर-पकड़ और एनकाउंटर तो होते ही हैं। लेकिन, सबसे अहम है लाल आतंक की दुनिया को छोड़कर नक्सलियों का आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटना। नक्सलियों (Naxalites) को आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर नीतियां बनाई हैं।

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इन आत्मसमर्पित नक्सलियों (Surrendered Naxals) को प्रत्यार्पण और पुनर्वास नीति के तहत कई तरह के लाभ राज्य सरकारों द्वारा दिए जाते हैं। इन नीतियों का मुख्य उद्देश्य है नक्सलियों को आत्मसमर्पण (Surrender) के लिए प्रोत्साहित करना ताकि वे खून-खराबे की जिंदगी को छोड़कर मुख्यधारा में लौट आएं और सुकून की जिंदगी जिएं। साथ ही देश और समाज के विकास में अपना योगदान दें।

इसी कड़ी में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने 2 जून को आत्मसमर्पण करने वाले अलग-अलग नक्सली संगठनों के 14 नक्सलियों (Naxalites) के अनुदान की स्वीकृति दे दी है। इस अनुदान की राशि का उपयोग आत्मसमर्पित नक्सली (Surrendered Naxals) अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए कर सकेंगे। साथ ही इसका उपयोग वे जीवन यापन के लिए व्यापार अथवा खेती करने के लिए कर सकेंगे। बता दें कि अनुदान प्राप्त करने वालों में पीएलएफआई 2 सदस्य, टीपीसी का एक सदस्य और भाकपा माओवादी संगठन के 11 सदस्य शामिल हैं।

आत्मसमर्पित नक्सलियों की सूची-

क्रमांक   आत्मसमर्पित करने वाले नक्सली     संगठन            संगठन में पद               जिला      अनु0 की राशि
1             करकेट्टा                                            पीएलएफआई       एरिया कमांडर             गुमला         2 लाख
2            प्रकाश उरांव                                     पीएलएफआई       सब जोनल कमांडर       गुमला         2 लाख
3            अजय प्रसाद उर्फ़ रौशन                      टीपीसी                एरिया कमांडर              पलामू         2 लाख
4             कुंदन पाहन उर्फ़ विकास                   एमसीसी          रीजनल कमिटी सदस्य       खूंटी           4 लाख
5             डिम्बा पाहन उर्फ़ धीरज                     एमसीसी               जोनल कमांडर             पलामू         4 लाख
6             एनुल खा उर्फ़ गोबिंद                         एमसीसी              जोनल कमांडर             पलामू          4 लाख
7             लाडू मुंडा उर्फ़ सनिका मुंडा               एमसीसी                 कमांडर                    खूंटी             2 लाख
8             क्रिस्ट्रोमनी कुमारी                             एमसीसी                 कमांडर                    खूंटी             2 लाख
9             दीपक कुजूर                                      एमसीसी                कमांडर                    गुमला           2 लाख
10          कान्हुराम मुंडा उर्फ़ मंगल                    एमसीसी           सेक. कमांडर                गुमला           2 लाख
11           सुनिया कुमारी उर्फ़ सुनिया मुंडा           एमसीसी             एरिया कमांडर            खूंटी             2 लाख
12           देवीलाल हांसदा                                   एमसीसी              एरिया कमांडर           दुमका          2 लाख
13           सुन्दर मुर्मू                                            एमसीसी                कमांडर                पूर्वी सिंहभूम    1 लाख
14           राजेंद्र भुइया                                         एमसीसी                कमांडर                   पलामू           1 लाख

झारखंड के इन सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों के दिन अब अच्छे होने वाले हैं। इन नक्सलियों ने वास्तव में मुख्यधारा में आकर आम जीवन जीने का सही फैसला किया है। आज इन सभी को लाल आतंक की दुनिया में जाने का पछतावा है। लेकिन कहते हैं न- अंत भला, तो सब भला।

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