Jharkhand Assembly Elections: बड़े नक्सली नेताओं के परिजनों ने दिखाया लोकतंत्र में विश्वास

Jharkhand Assembly Elections: झारखंड के डुमरी विधानसभा के अति उग्रवाद प्रभावित नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट में माओवादी नेता समर दा, चिराग उर्फ प्रमोद और शंकर उर्फ जीतू महतो के परिवार ने पूरे उत्साह के साथ 16 दिसंबर को लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होकर मतदान किया।

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Jharkhand Assembly Elections: झारखंड के डुमरी विधानसभा के अति उग्रवाद प्रभावित नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट में माओवादी नेता समर दा, चिराग उर्फ प्रमोद और शंकर उर्फ जीतू महतो के परिवार ने पूरे उत्साह के साथ 16 दिसंबर को लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होकर मतदान किया।

Jharkhand Assembly Elections: झारखंड के डुमरी विधानसभा के अति उग्रवाद प्रभावित नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट में माओवादी नेता समर दा, चिराग उर्फ प्रमोद और शंकर उर्फ जीतू महतो के परिवार ने पूरे उत्साह के साथ 16 दिसंबर को लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होकर मतदान किया। 25 लाख रुपये के इनामी माओवादी नेता समर दा 12 साल की उम्र में ही नक्सली संगठन से जुड़ गया था।

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बड़े नक्सली नेताओं के परिजनों ने दिखाया लोकतंत्र में विश्वास।

वर्तमान में समर दा उर्फ अनमोल दा उर्फ लालचंद हेम्ब्रम झारखंड, बिहार और ओडिशा की संयुक्त कमेटी का शीर्षस्थ माओवादी नेता है। इसके अलावा, समर दा ओडिशा एसडीएस (संबलपुर-देवनगर-सुंदरगंढ) डिवीजन का प्रभारी भी है। 16 दिसंबर को चौथे चरण के विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) को लेकर उनके परिजनों में खासा उत्साह देखा गया। सुबह 8 बजे समर दा की 86 वर्षीय मां झुमी देवी, भाभी सुनीता देवी, भतीजा सुनील हेम्ब्रम, जितेंद्र हेम्ब्रम, मोहन हेम्ब्रम और चाचा देवी उर्फ बोदो मांझी ने लगभग पांच किलोमीटर पैदल चलकर बंशी गांव स्थित बूथ नंबर 212 में घंटों कतार में खड़े होकर वोट डाले। समर दा के तीनों भतीजे पहली बार लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेकर गर्व महसूस कर रहे थे। चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी।

हालांकि परिजनों व ग्रामीणों में गांव में सड़क व पेयजल समस्या से रोष है।  वहीं, बिहार-झारखंड के मोस्ट वांटेड नक्‍सली चिराग उर्फ प्रमोद उर्फ रामचंद्र महतो दसवीं की परीक्षा में फेल होने के बाद नक्सली बन गया था। एक समय ऐसा भी था कि बिहार-झारखंड में इसकी तूती बोलती थी। बगोदर के माले विधायक महेंद्र सिंह की हत्या में नाम आने के बाद वह सुर्खियों में आया। सीबीआई ढूंढ़ती रही, मगर उसके करीब नही पहुंच पाई। 2015 में बिहार के जमुई स्थित खिजुरवा पहाड़ जंगल में सीआरपीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में वह मारा गया। बिहार से लेकर झारखंड के 24 थानों के पुलिस ने स्कॉर्ट कर उनका शव पिपराडीह गांव पहुंचाया था।

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उसके परिजनों में पिता फागुन महतो, मां, भाई धानेश्वर महतो व भाई की पत्‍नी गिरीबाला देवी ने पिपराडीह मवि स्कूल स्थित बूथ नंबर 226 में मतदान किया और लोकतंत्र में अपना विश्वास दिखाया। एक समय में कंजकिरो पंचायत स्थित पिपराडीह गांव के टैहरवासीरी टोला में अपने मामा के घर में रहकर राज मिस्त्री का काम कर एक समय गुजर बसर करने वाले शंकर उर्फ जीतू महतो नक्सली किशन दा से प्रभावित होकर नक्सली बना था। नक्सलियों के घटक संगठन क्रांतिकारी किसान कमेटि से जुड़कर माओवादी सब जोनल कंमाडर रहते हुए गिरीडीह जिला के चंदौली जंगल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था। जीतू महतो के बच्‍चों में दो बेटी और एक बेटा है।

16 दिसंबर को विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) के चौथे चरण में उसकी पत्‍नी सीता देवी ने भी गांव की अन्य महिलाओं के साथ पिपराडीह मवि स्कूल के बूथ नंबर 227 में मतदान किया। लोकतंत्र में इस तरह लोगों का विश्वास देखकर यह उम्मीद और मजबूत होती है कि इन क्षेत्रों से नक्सलवाद का अंत निश्चित है। बता दें कि राज्य में अंतिम चरण का चुनाव 20 दिसंबर को होना है। शांतिपूर्ण चुनाव के लिए सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। सुरक्षा में किसी प्रकार की चूक न हो इसके लिए पुलिस अधिकारियों ने रणनीति बनाई पुलिस अधिकारी और जवान 19 दिसंबर को ही बूथों के लिए रवाना हो गए। घोर नक्सल प्रभावित बूथों में पुलिस अधिकारियों, जवानों व मतदान कर्मियों को हैलीकाप्टर से रवाना किया गया। 

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