मां की सेवा के लिए बीहड़ों से भागा, 13 लाख रुपए के इनामी नक्सली के सरेंडर करने की दिलचस्प कहानी

इस नक्सली पर दो राज्यों को मिलाकर कुल 13 लाख का ईनाम घोषित था।

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छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एक ईनामी सहित 4 हार्डकोर नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एक इनामी सहित 4 हार्डकोर नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया। इनमें गुड्डू उर्फ सुरेश उर्फ वासुदेव सबसे अधिक खूंखार है। वह ओडिशा में नक्सलियों के सेंट्रल सिक्योरिटी कमिटी को प्लाटून नं.-3 का कमांडर है। ओडिशा पुलिस द्वारा दंतेवाड़ा पुलिस को दी गई 40 इनामी नक्सलियों की लिस्ट में इसका भी नाम शामिल है। इस नक्सली पर दो राज्यों को मिलाकर कुल 13 लाख का इनाम घोषित था। जिसमें छत्तीसगढ़ पुलिस ने 8 लाख जबकि ओडिशा पुलिस ने 5 लाख का इनाम घोषित कर रखा था। इसकी पत्नी भी एक इनामी नक्सली है। सरेंडर नक्सली गुड्डू बीजापुर का रहने वाला है। वह साल 2007 में नक्सली संगठन का हिस्सा बना था। तीन साल तक उसने छत्तीसगढ़ में ही काम किया। तीन साल बाद संगठन में उसका प्रमोशन कर दिया गया और उसे साल 2010 में ओडिशा भेज दिया गया।

इस पर सुरक्षाबलों पर हमले और आगजनी जैसे दो दर्जन से अधिक संगीन मामले दोनों राज्यों के थानों में दर्ज हैं। साल 2011 में सोनाबेडा में पुलिस टीम पर हमला कर 9 पुलिसकर्मियों की हत्या में इसी का हाथ था। 10 साल से भी अधिक समय तक नक्सलियों के साथ रहने वाले नक्सली गुड्डू ने आखिर संगठन की झूठी विचारधारा से तंग आकर 19 जून को अपने तीन अन्य साथियों के साथ पुलिस के सामने हथियार डाल दिए। वह अपनी पत्नी से भी आत्मसमर्पण करवाना चाहता था। लेकिन उसने समर्पण की बात संगठन के बड़े लीडरों को बता दी। इसके बाद गुड्डू उर्फ सुरेश रातों-रात ओडिशा के कालाहांडी से भागकर बीजापुर पहुंच गया। इसके बाद दंतेवाड़ा आकर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। उसकी निशानदेही पर पुलिस ने गरियाबंद (छग) में छिपाए गए हथियार, लैपटॉप और टेबलेट बरामद किया।

यह टेबलेट नक्सली सेंट्रल कमेटी मेंबर मुरली का बताया जा रहा है, जो इन दिनों ओडिशा में सक्रिय है। ओडिशा पुलिस भी शीघ्र गुड्डू से मुलाकात कर पूछताछ करेगी। नक्सली गुड्डू ने बताया कि वह नक्सलियों की विचारधारा से प्रभावित होकर संगठन में शामिल हुआ था लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। छोटे कैडर और ग्रामीणों को बेवजह परेशान किया जाता है। वह अपने पिता की मौत के बाद अंधी मां की सेवा करना चाहता था। लेकिन नक्सली घर जाने नहीं दे रहे थे, इसलिए संगठन छोड़ने की मन बनाया। उसने अपनी पत्नी को इस बारे में बताया, लेकिन पत्नी रजनी ने यह बात लीडरों को बता दी। इसके बाद उस पर कड़ी नजर रखी जाने लगी। वह कालाहांडी से गरियाबंद होते रायपुर पहुंचा और वहां से बीजापुर।

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कुछ दिन बीजापुर के मिरतुर थाना के दोरागुडा गांव में रहने के बाद उसने धीरे-धीरे दंतेवाड़ा पुलिस से संपर्क करना शुरू कर दिया और आखिरकार सरेंडर कर दिया। पुलिस कप्तान डॉ. अभिषेक पल्लव के अनुसार, सुरेश से जो लैपटॉप बरामद किया गया है, यह लैपटाप यदि मुरली का है तो नक्सली संगठन से जुड़े कई राज और उनके गोपनीय ठिकाने पुलिस को पता चलेंगे। नक्सली गुड्डू से पूछताछ के लिए ओडिशा पुलिस भी दंतेवाड़ा आएगी। नक्सली गुड्डू के मुताबिक, ओडिशा से भागकर आने के बाद आत्मसमर्पण करने वह मिरतुर थाने में गया था लेकिन वहां किसी ने उसकी बातों पर विश्वास नहीं किया।

उन्हें लगा कि वह सामान्य ग्रामीण या मिलिशिया है। इसके बाद उसने समर्पण कैडर के माध्यम से दंतेवाड़ा पुलिस से संपर्क किया। दंतेवाड़ा पुलिस के साथ उसने गरियाबंद जाकर छिपाए गए हथियार बरामद करवाए और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दी है। गुड्डू ने बताया कि उसने तीन साल पहले नक्सली लीडर रजनी से विवाह किया। रजनी पामेड़ इलाके की रहने वाली है और प्लाटून लीडर है। बीजापुर में काम करने के बाद उसका भी ट्रांसफर ओडिशा में किया गया था। पुलिस अधिकारियों के अनुसार रजनी पर भी आठ लाख का इनाम घोषित है। गुड्डू के मुताबिक उसने सभी तरह के हथियार चलाना सीखा है।

कुछ हथियारों का रिपेयर भी खुद कर लेता है। गुड्डू के साथ समर्पण करने वाले अन्य तीन नक्सलियों में जनमिलिशिया कमांडर दिलीप पुनेम भी है। वह मिरतुर थाना के बेच्चापाल गांव का रहने वाला है। दिलीप भांसी थाना के कामालूर इलाके में सक्रिय रहा। वह रेल पटरी उखाड़ने में माहिर है। उस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। नक्सली दिलीप ने भांसी इलाके में कई नक्सली वारदातों को अंजाम दिया है। वह 2014 से नक्सली संगठन से जुड़ा है। 2016-17 में मिरतुर और भांसी थाना में कई ग्रामीणों की हत्या में भी शामिल था। इसके अलावा सरेंडर करने वाले दो नक्सली लक्ष्मण अटामी और मुन्ना राम जनमिलिशिया सदस्य हैं। इन सभी ने संगठन की खोखली विचारधारा से आजिज आकर सरेंडर किया।

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