Exclusive: DRG से जुड़े पूर्व नक्सली मुन्ना राम कड़ती ने सिर्फ सच की टीम को बताई नक्सलियों की हकीकत, पढ़ें

गांव का मुन्ना जब नक्सली बना तो वो इतना बड़ा हो गया कि उसे लोगों की हत्या, लूटपाट और रंगदारी मांगने जैसे काम छोटे लगने लगे। भटका हुआ मुन्ना राम कड़ती (Munna Ram Kadti) कई सालों तक नक्सली संगठन में रहा और संगठन के लिए कई गंभीर अपराधों को अंजाम भी दिया।

DRG, Naxalite, Naxal Attack, Munna Ram Kadti

पूर्व नक्सली मुन्ना राम कड़ती आज डीआरजी में कॉन्सटेबल हैं।

साल 2001 में जब नक्सलियों का आंदोलन चरम पर था तब छत्तीसगढ़ के कई युवा इस आंदोलन से जुड़े। जल्दी ही यह आंदोलन अपनी राह से भटक गया और फिर बन गया एक भटका हुआ आंदोलन। अपनी सोच, विचारधारा और मकसद से भटक चुके इस आंदोलन से जुड़ने वाले कुछ युवा तो इससे अलग हो गए लेकिन कुछ इसके साथ ही बहते हुए मुख्यधारा से बिछड़ गए।

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पूर्व नक्सली मुन्ना राम कड़ती आज डीआरजी में कॉन्सटेबल हैं।

इन्हीं बिछड़े युवाओं में से एक थे मुन्ना राम कड़ती (Munna Ram Kadti)। गांव का मुन्ना जब नक्सली बना तो वो इतना बड़ा हो गया कि उसे लोगों की हत्या, लूटपाट और रंगदारी मांगने जैसे काम छोटे लगने लगे। भटका हुआ मुन्ना राम कड़ती (Munna Ram Kadti) कई सालों तक नक्सली संगठन में रहा और संगठन के लिए कई गंभीर अपराधों को अंजाम भी दिया।

लेकिन जिस तरह नक्सलियों की नेक विचारधारा की बात अरसों पुरानी हो चुकी है उसी तरह मुन्ना राम कड़ती की नक्सली वाली पहचान भी अब पुरानी हो चुकी है। मुन्ना राम (Munna Ram Kadti) अब डीआरजी (DRG) में कॉन्सटेबल हैं। बता दें कि डीआरजी एक ऐसा पुलिस फोर्स है जिसमें ज्यादातर सरेंडर करने वाले उन नक्सलियों को शामिल किया जाता है जो इसमें आने के लिए इच्छुक होते हैं। यह फोर्स नक्सलियों के खिलाफ बीहड़ों में घुसकर उनसे लोहा लेता है। चूंकि इस बल में ज्यादातर पूर्व नक्सली होते हैं इसलिए इन्हें नक्सली गतिविधियों की पूरी जानकारी होती है और यह पुलिस बल के काफी काम आते हैं।

लेकिन कभी जंगल और पहाड़ों के बीच खूंखार नक्सली से डीआरजी का अहम सदस्य बनने तक का उनका सफर इतना आसान भी नहीं रहा। मुन्ना राम (Munna Ram Kadti) ने सिर्फ सच की टीम को खुद बताया कि उन्हें जंगलों में छिप कर रहना पड़ता था, अपने हुक्मरानों के हुक्म का गुलाम रहना पड़ता था और हर वक्त पुलिस की गोली के खौफ के साए में जीना पड़ता था।

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कई सालों तक बीहड़ों में नक्सलियों के साथ खूनी खेल खेलने वाले मुन्ना राम को बड़ा झटका तक लगा जब एक दिन उसके गांव में उसके भाइयों की हत्या हो गई। भाइयों की हत्या से बौखलाया मुन्ना बदला लेने के लिए बेताब था। उसे उम्मीद थी कि उसका संगठन उसके साथ खड़ा होगा। उसे इंसाफ दिलाएगा… लेकिन जो हुआ उससे मुन्ना के होश ठिकाने आ गए… वह समझ आ गया कि नक्सली संगठन सिर्फ उसका इस्तेमाल कर रहे हैं। नक्सलियों की हकीकत का एहसास हुआ तो उसका दिल मुख्यधारा में वापस लौटने के लिए मचल उठा।

दंतेवाड़ा में डीआरजी कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात मुन्ना राम कड़ती आज नक्सलियों के लिए काल बन चुके हैं। इसी कारण उन्हें गोपनीय सैनिक से प्रमोशन देकर कॉन्सटेबल बनाया गया है। नक्सलवाद की चंगुल से बाहर आने के बाद मुन्ना ने कई और लोगों की भी घर वापसी कराई है। आज मुन्ना अपने परिवार के साथ रहते हैं और यकीनन अपने कल को भूल कर, आने वाले कल को बेहतर बनाने में जुटे हैं।

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