छत्तीसगढ़: एक इनामी सहित 8 नक्सलियों ने किया सरेंडर, सरकार की पुनर्वास नीति का असर

समर्पण करने वाले नक्सलियों को खुद ग्रामीणों ने पुलिस के सुपुर्द किया। समर्पण करने वाले नक्सली कई हिंसक घटनाओं में शामिल थे। ये सभी प्रशासन की नीति से प्रभावित होकर नक्सली मुख्यधारा में लौट आए हैं। समर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को प्रशासन की पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।

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छत्तीसगढ़ में इनामी नक्सली सहित 8 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण (सांकेतिक तस्वीर)

नक्सल प्रभावित सुकमा में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। 8 नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। समर्पण करने वाले नक्सलियों में एक जन मिलिशिया कमांडर भी शामिल है। साथ ही इनमें एक स्थायी वारंटी नक्सली भी है। ये नक्सली पुलपगड़ी थानाक्षेत्र के पोंगाभेज्जी गांव के रहने वाले हैं। 13 जुलाई को एसपी शलभ सिन्हा ने ग्रामीणों से अपील की थी कि वे नक्सलियों को सरेंडर करने के लिए समझाएं। इसके बाद ग्रामीणों ने इन 8 नक्सलियों को समझा-बुझाकर सरेंडर के लिए तैयार किया। समर्पण करने वाले नक्सलियों को खुद ग्रामीणों ने पुलिस के सुपुर्द किया।

सरेंडर करने वाले नक्सलियों में एक लाख रुपए के इनामी मिलिशिया कमांडर पुनेम गंगा, मिलिशिया डिप्टी कमांडर दिरदो हुर्रा, सदस्य मदाम गंगा, दुधी गंगा, पुनेम मुक्का, पुनेम भीमा, पोड़ियाम नंदा और पोड़ियाम जोगा शामिल हैं। ये नक्सली कई हिंसक घटनाओं में शामिल थे। ये सभी नक्सली प्रशासन की नीति से प्रभावित होकर मुख्यधारा में लौट आए हैं। जनमिलिशिया सदस्यों ने कहा कि वे मुख्यधारा से जुड़कर गांव का विकास चाहते हैं। ग्रामीणों ने एसपी को नक्सल गतिविधियों से दूर रहने और नक्सलियों का साथ नहीं देने का भरोसा दिया। समर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को प्रशासन की पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।

इससे पहले, सुकमा जिले में ही प्रशासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर 1 लाख के इनामी नक्सली सहित 2 नक्सलियों ने कोंटा पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में एक मिलिशिया सदस्य मड़कम देवा (22) और दूसरा एलओएस सदस्य मुचाकी देवा (23) था। इनमें से एक नक्सली मड़कम देवा 2013 में पूर्व नक्सली कमांडर अर्जुन का गार्ड था। उस पर प्रशासन की ओर से 1 लाख रूपए का इनाम घोषित था। ये दोनों नक्सली सुरक्षाबलों पर फायरिंग, आईईडी ब्लास्ट, जवानों के साथ लूट-पाट, सड़क काटना जैसी कई नक्सली गतिविधियों में शामिल रह चुके हैं। नक्सलियों की खोखली विचारधारा से त्रस्त होकर इन दोनों ने समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए कदम बढ़ाते हुए 3 जुलाई को कोंटा पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

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