Chhattisgarh: नारायणपुर में 5 नक्सलियों ने किया सरेंडर, संगठन की खोखली विचारधारा से आ गए थे तंग

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नारायणपुर जिले में पांच नक्सलियों ने 4 जून को सरेंडर (Naxalites Surrender) कर दिया। इन नक्सलियों ने नारायणपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है।

Naxalites Surrender

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों (Naxalites Surrender)  ने कहा कि संगठन की गलत नीतियों से तंग आकर समाज की मुख्यधारा में जुड़कर जीवन जीने का फैसला किया है।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नारायणपुर जिले में पांच नक्सलियों ने 4 जून को सरेंडर (Naxalites Surrender) कर दिया। इन नक्सलियों ने नारायणपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है। सभी नक्सली संगठन की खोखली विचारधारा को छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं।

आत्मसमर्पण करने के दौरान नक्सलियों ने कहा कि संगठन की गलत नीतियों से तंग आकर समाज की मुख्यधारा में जुड़कर जीवन यापन करने का फैसला किया है। सरेंडर करने वालों में पायको मंडावी निवासी पायवेर, गुड्डी ध्रुवा निवासी धुरबेड़ा, भीमा कोवाची निवासी डेंगलपुट्टीपारा गोमागाल, बुधू चेरका निवासी उसेली थाना ओरछा और सोनू उसेंडी निवासी तोके कोंदोड़पारा थाना कोहकामेटा शामिल हैं।

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ये नक्सली मिलिशिया सदस्य थे। पांचों आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को प्रशासन की ओर से दस-दस हजार की तत्काल सहायता राशि दी गई।

आत्मसमर्पित नक्सलियों (Naxalites Surrender) ने बताया कि वे नक्सली संगठन में नक्सलियों के लिए भोजन की व्यवस्था करना, गांव में अनजान व्यक्तियों के आने पर उनसे पूछताछ करना, उनकी निगरानी करना नक्सली साहित्य एवं पोस्टर पंपलेट चिपकाना, गांव के नक्सली मीटिंग में उपस्थित होने की सूचना ग्रामीणों को देना, बाजारों से दैनिक उपयोग की सामग्री खरीद कर नक्सलियों को पहुंचाना, नक्सलियों के गांव में आने पर उनको सुरक्षा देना,क्षेत्र में पुलिस आने की सूचना देना, पुलिस पार्टी की निगरानी करना, नक्सलियों के अस्थाई कैंप में संत्री की ड्यूटी करना, गांव के चारों और दिन के समय पेट्रोलिंग करने जैसे काम करते थे।

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बता दें कि पुलिस द्वारा चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियान के कारण नक्सलियों पर दबाव बढ़ रहा है। साथ ही वे शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित हो रहे हैं और नक्सल संगठन का साथ छोड़ समाज की मुख्यधारा में शामिल (Naxalites Surrender) हो रहे हैं। एसपी मोहित गर्ग ने के मुताबिक, ये पांचों जनमिलिशिया सदस्य माड़िया जनजाति के हैं और अबूझमाड़ के गांवों में सामान्य ग्रामीण की तरह रह रहे थे।

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