छत्तीसगढ़: साल 2020 में नक्सलियों के खिलाफ मिली बड़ी सफलता, हुईं 104 मुठभेड़ें, जानें आंकड़ा

Naxalites: फोर्स ने इस साल बस्तर के उन जंगलों में 20 कैंप खोलने का टारगेट बनाया था, जहां पहुंचना बहुत मुश्किल था। हालांकि पुलिस 16 नए कैंप ही खोल पाई।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर

साल 2020 बस्तर में नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ फोर्स की सफलताओं का साल रहा। यह केवल नक्सली घटनाओं के लिहाज से ही नहीं बल्कि ग्रामीणों के बीच विश्वास पैदा करने के पैमाने से भी समझा जा सकता है।

रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में साल 2020 नक्सल मोर्चे पर छत्तीसगढ़ के लिए सफलता से भरा रहा है। इस साल फोर्स, नक्सलियों के गढ़ बस्तर संभाग में काफी भीतर तक घुस गई।

दरअसल फोर्स ने इस साल बस्तर के उन जंगलों में 20 कैंप खोलने का टारगेट बनाया था, जहां पहुंचना बहुत मुश्किल था। हालांकि कोरोना की वजह से आई मुश्किलों की वजह से पुलिस 16 नए कैंप ही खोल पाई। कैंप खुलने का फायदा ये हुआ कि पहली बार इन नक्सल प्रभावित इलाकों में जनता को मूलभूत सुविधाएं मिल पाईं।

दंतेवाड़ा जिले के पोटली समेत तमाम कैंपों का नक्सलियों के इशारे पर ग्रामीणों ने विरोध भी किया, लेकिन जब कैंप खुल गए तो ग्रामीण भी फोर्स के मुरीद हो गए।

नक्सल इलाकों में सड़कों और पुलों का जाल बिछाया गया, जिससे कई इलाकों में पहली बार स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और राशन की दुकानें खुलीं। बस्तर जिले के बोदली, तिरिया और भड्डरीमहू में कैंप खुले। दंतेवाड़ा जिले के दनार, चिकपल, भोगाम, टेटम और बड़ेकरका तक फोर्स पहुंची।

नारायणपुर जिले के कडेमेटा, बीजापुर जिले के बोदली, धर्माराम तररेम और बेजापाल में नए कैंप खोले गए। कांकेर जिले के कामटेढ़ा, कटगांव और सुकमा जिले के कमारगुड़ा में हालही में फोर्स के कैंप खोले गए।

इन कैंपों के माध्यम से सरकार नक्सल (Naxalites) विरोधी अभियान तो चला ही रही है, साथ में जनता के लिए पुल, पुलिया, सड़क आदि विकास के काम भी संभव हो रहे हैं। इससे फोर्स के एरिया डोमिनेशन से विकास के कामों को गति मिली है।

इस साल बस्तर के जंगलों में करीब 400 किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं। 3 दशकों से बंद बारसू नारायणपुर सड़क का काम शुरू हो चुका है।

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दंतेवाड़ा-अरनपुर होते हुए जगरगुंडा तक जाने वाली सड़क को भी कई दशक से नक्सलियों (Naxalites) ने बंद कर रखा था, लेकिन पिछले महीने ही जगरगुंडा तक का रास्ता खोल दिया गया।

अबूझमाड़ तक पहुंच बनाने के लिए दंतेवाड़ा-बीजापुर की ओर से इंद्रावती नदी पर 3 पुल बनाए जा रहे हैं, इसमे छिंदनार का पुल लगभग तैयार है। वहीं फडरी और बड़ेकरका के पुल का काम भी शुरू हो चुका है।

सुकमा जिले के अति दुर्गम इलाकों गोलापाली पालोरी और एलारमड़गू तक पहली बार बिजली पहुंची है। नक्सल (Naxalites) प्रभावित इलाके में इस साल करीब 100 स्कूल खोले जा चुके हैं।

पुलिस कैंप के पास सरकारी राशन की दुकानें खुली हैं, इससे ग्रामीणों को राशन के लिए ज्यादा पैदल भी नहीं चलना पड़ रहा है और राशन आसानी से उपलब्ध हो रहा है।

सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं कई नक्सली

– 16 अप्रैल को दंतेवाड़ा के एडपाल में मुठभेड़ हुई थी, जिसमें एक नक्सली मारा गया।
– 25 अप्रैल को सुकमा के वामनकोंटा के जंगल में 2 नक्सली मारे गए।
– 29 अप्रैल को नारायणपुर के कड़े मिटा में एक महिला नक्सली मारी गई।
– 21 मई को दंतेवाड़ा के गुमला में 2 नक्सली मारे गए।
– 23 मई को सुकमा के मनकापाल में 2 नक्सली मारे गए।
– 5 अगस्त को बीजापुर के इसुलनार में एक महिला नक्सली मारी गई।
– 12 अगस्त को सुकमा के जगरगुंडा में चार नक्सलियों को मार गिराया गया।
– 28 अक्टूबर को सुकमा के चिंता गुफा इलाके में एक महिला नक्सली मारी गई।
– 3 नवंबर को बीजापुर के उसूर में एक नक्सली मारा गया।
– 8 नवंबर को बीजापुर के पामेड़ इलाके में एक नक्सली मारा गया।
– 23 नवंबर को कांकेर जिले के ताडोकी में 2 पुरुष व एक महिला नक्सली मारे गए। हथियार भी मिले।
– 26 दिसंबर को दंतेवाड़ा और सुकमा की सीमा पर हुई मुठभेड़ में एक जवान घायल व एक जनमिलिशिया महिला कमांडर गिरफ्तार।

कोरोना काल में भी नक्सलियों के खिलाफ मोर्चे पर डटी रही फोर्स

साल 2020 में कोरोना संकट के बावजूद फोर्स नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में जुटी रही। बस्तर संभाग के नक्सल (Naxalites) मोर्चे पर तैनात 6960 अधिकारी और कर्मचारी कोरोना संक्रमित हुए, लेकिन जवानों का हौसला कम नहीं हुआ। जिला पुलिस बल और केंद्रीय अर्धसैनिक बल ने अपने-अपने क्वारंटाइन सेंटर बनाए और जवानों का इलाज किया।

बस्तर पुलिस सुरक्षा, विश्वास और विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। बस्तर के जंगलों में पहली बार पुलिस के आला अधिकारी जनता के बीच पहुंच रहे हैं।

गृह मंत्रालय के विशेष सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार ने छत्तीसगढ़ में डेरा डाल लिया है। वह लगभग हर महीने बस्तर के नक्सल इलाकों तक आ रहे थे। जहां डीजी नक्सल ऑपरेशन अशोक जुनेजा बाइक पर धुर नक्सल इलाकों तक जा रहे हैं, वहीं बस्तर के आईजी सुंदरराज पी और बाकी जिलों के एसपी ऐसे नक्सल (Naxalites) इलाकों तक पहुंच रहे हैं, जहां पहुंचना बेहद मुश्किल माना जाता है।

अधिकारियों के इस रवैये से जवानों का भी मनोबल बढ़ा है और वह नक्सल मोर्चे पर डटे हुए हैं। इसके अलावा सुरक्षाबलों ने जनता का विश्वास जीतने के लिए स्थानीय भाषा में कई अभियान शुरू किए हैं। बस्तर में हल्बी भाषा में आमचो बस्तर आमचो पुलिस कार्यक्रम चलाया जा रहा है, बीजापुर में गोंडी में मनवा पूना बीजापुर यानी मेरा नया बीजापुर अभियान, सुकमा में तेंद मन्ता यानी जागो बस्तर, दंतेवाड़ा में मनवा दंतेवाड़ा मनवा पुलिस, नारायणपुर में निया नार निया पुलिस, कोंडागांव में आमचो संगवारी आम्चो पुलिस, कांकेर जिले में जोहार पुलिस अभियान चलाया जा रहा है।

इससे ग्रामीण व पुलिस के बीच की दूरियां कम हुई हैं और अब ग्रामीण खुद से पुलिस व प्रशासन के पास पहुंचकर अपनी समस्या बता रहे हैं और अपने गांवों के नक्सलियों को आत्मसमर्पण करवाकर मुख्य धारा से जुड़ने की बात भी कह रहे हैं।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण दंतेवाड़ा जिले में चलाया जा रहा अभियान लोन वर्राटू है। यहां अभी तक 300 से अधिक नक्सलियों ने पुलिस के सामने समर्पण किया है। अब सरेंडर करने वाले नक्सली, पुलिस के साथ नक्सलियों के खिलाफ जंगलों में लड़ाई भी लड़ रहे हैं।

जवानों को क्या नुकसान हुआ

– 10 फरवरी को बीजापुर के पामेड़ इलाके में इरापल्ली के जंगल में मुठभेड़ में कोबरा बटालियन के 3 जवान शहीद हुए व 1 जवान घायल।
– 14 मार्च को बस्तर जिले के मारडूम के बोदली मालेवाहि मार्ग में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के 2 जवान शहीद हुए और एक जवान घायल।
– 21 मार्च को सुकमा जिले के मीनपा के जंगल में आमने सामने की लड़ाई में डीआरजी के 17 जवान शहीद और नक्सलियों के भी 24 लड़ाके मारे गए। इस घटना में 15 जवान घायल हुए थे।
– 28 नवंबर को सुकमा के चिंता गुफा इलाके में आईईडी ब्लास्ट में एसटीएफ के सहायक सेनानी शहीद हुए और 9 जवान घायल हुए।
– 13 दिसंबर को सुकमा जिले के किस्टाराम इलाके में आईईडी की चपेट में आकर कोबरा के एक उप सेनानी शहीद हुए।

फोर्स के लिए सफलता से भरा रहा साल 2020

हालांकि साल 2020 बस्तर में फोर्स की सफलताओं का साल रहा। यह केवल नक्सली घटनाओं के लिहाज से ही नहीं बल्कि ग्रामीणों के बीच विश्वास पैदा करने के पैमाने से भी समझा जा सकता है।

इस साल पुलिस और नक्सलियों की कुल 104 मुठभेड़ हुई हैं। 38 नक्सलियों को जवानों ने मुठभेड़ में मार गिराया है और 386 नक्सलियों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने नक्सलियों के पास से 78 हथियार बरामद किए और उन्हें जब्त कर लिया। नक्सलियों द्वारा जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाए गए 268 आईईडी को भी बरामद कर नष्ट किया गया। इस साल कुल 331 नक्सलियों ने सरेंडर भी किया।

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