छत्तीसगढ़: मुख्यधारा में वापस लौटे एक महीने पहले नक्सली बनने गए 4 लोग, हैरान कर देगी वजह

चारों एक महीने के भीतर ही नक्सलियों की खोखली विचारधारा से त्रस्त हो गए और समाज की मुख्यधारा में जुड़ने का फैसला कर लिया।

Surrender

संगठन में शामिल होने के एक महीने के भीतर ही इन चारों ने कर दिया सरेंडर।

दो युवक और दो युवतियों को किसकोडो दलम के नक्सली, नक्सल संगठन में शामिल करने के उद्देश्य से धमकाकर ले गए थे। लेकिन ये चारों एक महीने के भीतर ही नक्सलियों की खोखली विचारधारा से त्रस्त हो गए और समाज की मुख्यधारा में जुड़ने (Surrender) का फैसला कर लिया।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार और प्रशासन की नीतियों का नतीजा है कि यहां नक्सलियों (Naxalites) का वर्चस्व कमजोर हुआ है। साथ ही क्षेत्र में सुरक्षाबलों द्वारा लगातार चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियान की वजह से नक्सलियों पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। यही वजह है कि वे अब लगातार सरेंडर (Surrender) कर रहे हैं। नक्सली आम लोगों और युवाओं को जबरदस्ती अपने साथ संगठन (Naxal Organization) में शामिल करने का प्रयास करते हैं लेकिन पिछले कुछ समय से नक्सलियों की यह मंशा भी नाकाम हो रही है।

दरअसल, पिछले महीने कोंडागांव के केशकाल थाना क्षेत्र के माडगांव से दो युवक और दो युवतियों को किसकोडो दलम के नक्सली धमकाकर नक्सल संगठन में शामिल करने के उद्देश्य से ले गए थे। लेकिन ये चारों एक महीने के भीतर ही नक्सलियों की खोखली विचारधारा से त्रस्त हो गए और समाज की मुख्यधारा में जुड़ने का फैसला कर लिया।

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ये चारों अपने गांव माडगांव वापस आ गए और 9 अगस्त को कोंडागांव पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण (Surrender) कर दिया। सरेंडर करने के बाद इन चारों ने बताया कि बीते 12 जुलाई को माड़गांव से नक्सली किसकोडो एलजीएस कमांडर लखमू अपने अन्य नक्सली साथियों के साथ गांव से उन्हें बलपूर्वक धमकाकर अपने साथ ले गया था।

इस एक महीने के दौरान उन्हें नक्सलियों द्वारा हथियार चलाने, बम बनाने और अन्य नक्सली प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने बताया कि नक्सली जबरदस्ती इन्हेंअपने साथ जंगलों में घुमाते थे। इनके जेहन में नफरत भरने के लिए नक्सली विचारधारा से संबंधित वीडियो दिखाए जाते थे। इसके अलावा साहित्य इत्यादि के माध्यम से भी इनका ब्रेन वॉश करने की कोशिश की गई।

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संगठन में नक्सलियों द्वारा किए जा रहे ऐसे बर्ताव से ये चारों एक महीने में ही तंग आ गए और नक्सलियों का साथ छोड़कर समाज की मुख्य धारा में शामिल होने का फैसला कर लिया। इन चारों ने आश्वासान दिया है कि वे कभी भी नक्सलियों का साथ नहीं देंगे और अपने गांव में रहकर गांव के विकास में भागीदार बनेंगे। जानकारी के मुताबिक, पूछताछ में इन चारों ने नक्सलियों से संबंधित और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है।

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इन चारों के सरेंडर (Surrender) करने के बाद कोंडागांव पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी ने भटके हुए लोगों से यह अपील की है कि नक्सलवाद को किसी भी स्वरूप में बढ़ावा न दें और समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का लाभ लें। सरेंडर (Surrender) करने वाले इन चारों नक्सलियों को पुलिस की ओर से 10 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि भी दी गई। इसके अलावा उन्हें शासन की पुनर्वास नीति के तहत सभी लाभ दिए जाएंगे।

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