
Dharmpal Saini
एक हादसे में कंधे की हडि्डयां टूटने और रीढ़ में गंभीर चोट के बावजूद धर्मपाल (Dharmpal Saini) रोजाना खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देते हैं।
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सली इलाके बस्तर (Bastar) में 89 वर्षीय धर्मपाल सैनी (Dharmpal Saini) 43 साल से आदिवासी लड़कियों को स्कूल तक लाने की मुहिम में जुटे हैं। इसके लिए उन्हें 1992 में पद्मश्री से भी नवाजा गया। लेकिन, फिर उन्हें लगा कि सिर्फ पढ़ाई से हालात नहीं सुधर सकते, इसलिए उन्होंने 2004 से लड़कियों के साथ लड़कों को भी खिलाड़ी बनाना शुरू कर दिया।
नतीजतन, 15 साल में अब तक 3 हजार खिलाड़ी नेशनल चैंपियन बन चुके हैं। एक हादसे में कंधे की हडि्डयां टूटने और रीढ़ में गंभीर चोट के बावजूद धर्मपाल (Dharmpal Saini) रोजाना खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देते हैं। उनके साथ दौड़ लगाते हैं। एथलेटिक्स, तीरंदाजी, कबड्डी और फुटबॉल सिखाते हैं।
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मूलत: मध्यप्रदेश के धार निवासी धर्मपाल (Dharmpal Saini) 1951 में कॉलेज में एथलीट और वॉलीबॉल खिलाड़ी थे। जब वे 8वीं क्लास में थे, तब उन्होंने बस्तर की लड़कियों की बहादुरी की कहानियां पढ़ीं। फिर ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद वे बस्तर आकर लड़कियों की शिक्षा पर काम करने लगे। 1976 में यहां दो आश्रम खोले गए। अब यहां 37 आश्रम हैं। इसमें 21 लड़कियों के हैं। सभी के लिए खेल जरूरी है। इसीलिए मेडल आ रहे हैं।
यहां के बच्चे नेचुरल एथलीट, इंटरनेशनल मेडल भी जीतेंगे: यहां के सभी बच्चे मेहनती तो हैं ही, लेकिन खास बात यह है कि इन बच्चों में एथलेटिक्स का नेचुरल टैलेंट है। स्टेट और नेशनल गेम्स में यहां के खिलाड़ी चैंपियन बन रहे हैं। अगर एक अच्छी एकेडमी खोली जाती है तो यहां से हमें अच्छे इंटरनेशनल खिलाड़ी मिलने लगेंगे। यहां पर एकेडमी को लेकर प्रयास चल रहे हैं – धर्मपाल सैनी
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प्राइज मनी से घर बनाए, पशु खरीदे, खर्च भी उठा रहीं: धर्मपाल (Dharmpal Saini) की स्टूडेंट ललिता कश्यप ने इनाम में 8 लाख रुपए जीते। इस पैसे से घर बनवाया, स्कूटी खरीदी और बड़ी बहन की शादी का खर्च उठाया। इसी तरह कारी कश्यप ने तीरंदाजी में सिल्वर मेडल जीता। इनाम के पैसों से घर का खर्च उठा रही हैं। दिव्या ने घर बनवाया और परिवार को गाय-बैल भी खरीदकर दिए। कृतिका पोयाम ने भी पशु खरीदे। इसी तरह सैकड़ों लड़कियां अपना खर्च खुद उठा रही हैं।
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