छत्तीसगढ़: एंटी नक्सल अभियानों का ग्राउंड पर दिख रहा असर, नक्सलियों का दायरा सिमटा

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों का असर दिख रहा है। बस्तर (Bastar) में नक्सलियों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने से उनमें खौफ आ गया है।

Naxal Organization

सांकेतिक तस्वीर।

बस्तर (Bastar) में नक्सलियों (Naxalites) को उन्हीं की शैली में जवाब देने के लिए सुरक्षाबलों ने भी घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ों में अपने शिविर स्थापित करने का निर्णय लिया।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों का असर दिख रहा है। बस्तर (Bastar) में नक्सलियों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने से उनमें खौफ आ गया है। साथ ही नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों के लिए कैंपों का निर्माण करने से नक्सली अब छोटे से दायरे में सिमट कर रह गए हैं।

बस्तर (Bastar) में मजबूत होते लोकतंत्र से बौखलाए नक्सली इन शिविरों का विरोध कर रहे हैं। वे कभी इन शिविरों पर घात लगाकर हमले करते हैं, तो कभी ग्रामीणों को बरगला कर उन्हें सुरक्षाबलों के खिलाफ भड़काते हैं। शिविरों की स्थापना से ग्रामीणों और प्रशासन के बीच संवाद के अनेक नए रास्ते खुल रहे हैं, जिससे लोग जागरूक हो रहे हैं। विकास की प्रक्रिया में अब ग्रामीण भी भागीदार बन रहे हैं।

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राज्य के जनसंपर्क विभाग से 25 मई को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, बस्तर में नक्सलवाद (Naxalism) पर अंकुश लगाने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में शिविर स्थापित किए जाने की जो रणनीति अपनाई गई है, उसने अब नक्सलियों को अब एक छोटे से दायरे में समेट कर रख दिया है।

विज्ञप्ति में कहा गया है, “इनमें से ज्यादातर शिविर ऐसे दुर्गम इलाकों में स्थापित किए गए हैं, जहां नक्सलियों के खौफ के कारण विकास नहीं पहुंच पा रहा था और अब इन क्षेत्रों में भी सड़कों का निर्माण तेजी से हो रहा है, यातायात सुगम हो रहा है। शासन की योजनाएं प्रभावी तरीके से ग्रामीणों तक पहुंच रही हैं, अंदरूनी इलाकों का परिदृश्य भी अब बदल रहा है।”

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बयान के अनुसार, बस्तर (Bastar) में नक्सलियों (Naxalites) को उन्हीं की शैली में जवाब देने के लिए सुरक्षाबलों ने भी घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ों में अपने शिविर स्थापित करने का निर्णय लिया।

बयान के अनुसार, सुरक्षाबलों की निगरानी में सड़कों, पुल-पुलियों, संचार संबंधी इंफ्रस्ट्रकचर का निर्माण तेजी से हो रहा है, जिससे इन क्षेत्रों में भी शासन की योजनाएं तेजी से पहुंच रही हैं। इन दुर्गम क्षेत्रों की समस्याओं की सूचनाएं अधिक त्वरित गति से प्रशासन तक पहुंच रही हैं, जिसके कारण उनका समाधान भी तेजी से किया जा रहा है।

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इन शिविरों की स्थापना इस तरह सोची-समझी रणनीति के साथ की जा रही है, जिससे आवश्यकता पड़ने पर हर शिविर एक-दूसरे की मदद कर सके। इन शिविरों के स्थापित होने से इन इलाकों में नक्सलियों की निर्बाध आवाजाही पर रोक लगी है। सुरक्षा-बलों की ताकत में कई गुना अधिक इजाफा होने से, नक्सलियों को पीछे हटना पड़ रहा है।

बता दें कि इस महीने की 17 तारीख को सुकमा जिले के सिलगेर में सुरक्षा बलों और नक्सलियों (Naxalites) के बीच हुई कथित गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई है। बस्तर क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, सिलगेर गांव में सुरक्षा बलों के लिए बने शिविर का सिलगेर और अन्य गांव के ग्रामीण विरोध कर रहे थे। 17 मई को बड़ी संख्या में ग्रामीण वहां पहुंचे और शिविर पर पथराव शुरू कर दिया।

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इस दौरान नक्सली भी वहां मौजूद थे। पथराव के दौरान ही नक्सलियों (Naxalites) ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी भी शुरू कर दी। जिसका सुरक्षाबलों ने जवाब दिया। इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई तथा पांच अन्य घायल हो गए। इस घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि घटना में ग्रामीणों की मौत हुई है। इस दौरान वहां नक्सली मौजूद नहीं थे। जिला प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

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