छत्तीसगढ़: नक्सलियों ने पहले वोट दिया, फिर कर दिया सरेंडर…जानें क्या है पूरा मामला

छत्तीसगढ़ में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान 31 जनवरी को लोकतंत्र की शक्ति देखने को मिली। दंतेवाड़ा के धुर नक्सल प्रभावित इलाका कटेकल्याण में पंचायत चुनाव के दूसरे चरण के दौरान 12 नक्सलियों (Naxals) ने सरेंडर कर दिया।

Naxals

दंतेवाड़ा के धुर नक्सल प्रभावित इलाका कटेकल्याण में 12 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया।

छत्तीसगढ़ में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान 31 जनवरी को लोकतंत्र की शक्ति देखने को मिली। दंतेवाड़ा के धुर नक्सल प्रभावित इलाका कटेकल्याण में पंचायत चुनाव के दूसरे चरण के दौरान 12 नक्सलियों (Naxals) ने सरेंडर कर दिया। सरेंडर करने से पहले ये नक्सली सूरनार गांव में बनाए गए मतदान बूथ पर पहुंचे और अपने वोट डाले।

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सरेंडर करने वाले नक्सली।

दंतेवाड़ा के धुर नक्सल प्रभावित इलाका कटेकल्याण में 12 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया। सरेंडर करने वाले नक्सलियों (Naxals) में एक लाख का इनामी नक्सली भी शामिल है। प्रशासन की ओर से सरेंडर करने वाले सभी नक्सलियों को 10-10 हजार रुपए सहायता राशि प्रदान की गई है।

सरकार की पुनर्वास नीतियों से प्रभावित होकर किया सरेंडर

कटेकल्याण क्षेत्र में सक्रिय नक्सली कमांडर मिड़कोम उर्फ हड़मा मंडावी ने चार माह पहले सरेंडर किया था। इसके बाद उसकी तैनाती चिकपाल कैंप में तैनाती एसटीएफ और छत्तीसगढ़ सुरक्षा बल के जवानें के डीआरजी में की गई। सरेंडर के बाद वह रोजाना गांव वालों से मुलाकात करता था। मिड़कोम ने अन्य नक्सलियों (Naxals) को भी सरेंडर करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस दौरान उसने सरकार की पुनर्वास नीतियों और अन्य योजनाओं के बारे में जानकारी दी। इससे प्रभावित होकर 12 नक्सलियों ने भी सरेंडर कर दिया।

मतदान करने के बाद किया आत्मसमर्पण

सूरनार में बने पोलिंग बूथ पर मतदान के बाद वहीं नक्सलियों ने कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा, एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव, सीईओ एस आलोक और प्रशासन की टीम के सामने सरेंडर कर दिया। सरेंडर करने वाले नक्सलियों (Naxals) में भीमे कवासी, हिड़मा मंडावी, कोसा मंडावी, मासा मंडावी, बामन मंडावी, लिंगा मंडावी, बुदु सोढ़ी, सुखराम मंडावी, जोगी सोढ़ी, बुदरी मंडावी, पायके मंडावी और कोसी मंडावी शामिल है।

पहली बार धुर नक्सली इलाके में पहुंचे एसपी और कलेक्टर

दंतेवाड़ा के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शामिल कटेकल्याण ब्लॉक का सूरनार गांव में पहली बार कोई कलेक्टर और एसपी पहुंचे थे। धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां अधिकारी और कर्मचारी जाने से बचते हैं। इस पूरे इलाके में नक्सलियों (Naxals) का वर्चस्व रहा है। पहली बार ऐसा हुआ कि सूरनार में बनाए गए मतदान बूथ पर बड़ी संख्या में ग्रामीण अपने मताधिकार का प्रयोोग करने के लिए पहुंचे। वहीं ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन भी कलेक्टर को सौंपा।

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