
26 नवंबर को संविधान दिवस (Constitution Day) पर छत्तीसगढ़ के नक्सल (Naxal) प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के कारली स्थित सीआरपीएफ ( CRPF) की 111वीं बटालियन के कैंप में चल रहा कार्यक्रम अपने आप में अनोखा था।
26 नवंबर को देश संविधान दिवस (Constitution Day) मना रहा था। लेकिन छत्तीसगढ़ के नक्सल (Naxal) प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के कारली स्थित सीआरपीएफ ( CRPF) की 111वीं बटालियन के कैंप में इस दौरान चल रहा कार्यक्रम अपने आप में अनोखा था। यहां की मुख्य अतिथि गोद में दुधमुंहा बच्चा और चेहरे पर गर्व भरी चमक लिए जब फोर्स के अफसरों, जवानों और ग्रामीणों को संविधान की रक्षा और सम्मान करने का संकल्प दिला रही थी, तो हर कोई गौरवान्वित महसूस कर रहा था।

यह मुख्य अतिथि कोई नेता या अफसर नहीं थी, बल्कि एक आत्मसमर्पित महिला नक्सली (Naxal) थी। कुछ दिनों पहले तक जो संविधान की हर बात की अवहेलना कर रही थी, हिंसक नक्सली गतिविधियों में लिप्त थी, आज हव संविधान की खूबियां बता रही थी। सीआरपीएफ (CRPF) कमांडेंट द्वय अंब्रेश कुमार और अरुण कुमार की मौजूदगी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कैंप के जवानों के अलावा आसपास के गांव के कुछ ग्रामीण भी इस दौरान उपस्थित थे। मुख्य अतिथि के रूप में जब कुआकोंडा की रहने वाली आत्मसमर्पित नक्सली जुंको कवासी का परिचय दिया गया, तो एक बार को सभी चौंक गए।
लेकिन सामान्य कद-काठी, सांवली सूरत, गोद में अपने बच्चे को लिए जुंको ने जब बोलना शुरू किया तो उसमें बदलाव साफ नजर आ रहा था। इस दौरान कभी खौफ का पर्याय रहे चेहरे पर शालीनता थी। जुंको ने सभी को संविधान की रक्षा और सम्मान की शपथ दिलाई। उसने भारतीय संविधान में आम लोगों को मिले मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी देते उसकी रक्षा करने की अपील की। वहां मौजूद ग्रामीणों की ओर मुखातिब होते हुए जुंको ने कहा कि वे संविधान को आत्मसात कर देश की एकता और अखंडता के लिए सदैव तत्पर रहें।
किसी से किसी तरह का दुराभाव न रखते हुए देश और समाज की उन्नति के लिए काम करें। गांव और देश के विकास में योगदान दें। जुंको ने इस मौके पर ग्रामीणों को संदेश देते हुए कहा कि वे नक्सलियों के बहकावे में न आएं। वहां बर्बादी के सिवा कुछ नहीं है। नक्सलियों का कोई इमान नहीं है। अपनों का दुश्मन बनने के बजाय अपनों का रक्षक बनें। प्रशासन और सुरक्षाबलों का सहयोग करें।
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