जहां आज तक नहीं था टेलीविजन, वहां ‘ओपन थियेटर’, नक्सल प्रभावित इलाके में ग्रामीणों का विश्वास यूं जीत रही CRPF

कई इलाके बरसों से नक्सल प्रभावित रहे हैं। लेकिन यहां के नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात सीआरपीएफ (CRPF) के जवान अब इसकी सूरत बदलने की कोशिश में जुट गए हैं।

CRPF

नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात सीआरपीएफ (CRPF) के जवान अब इसकी सूरत बदलने की कोशिश में जुट गए हैं।

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले का नाम सुनते ही जेहन में नक्सलियों की खौफनाक छवि उभरती है। दरअसल, इस जिले के कई इलाके बरसों से नक्सल प्रभावित रहे हैं। लेकिन यहां के नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात सीआरपीएफ (CRPF) के जवान अब इसकी सूरत बदलने की कोशिश में जुट गए हैं।

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यूं तो सीआरपीएफ (CRPF) जवानों की तरफ से लोगों के बीच जागरूकता फैलाने और नक्सलियों की हकीकत को बेपर्दा करने के लिए यहां कई प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा ‘ओपन थियेटर’ की हो रही है। बीजापुर के सारकेगुडा के लोगों ने आज तक टेलीविजन नहीं देखा था लेकिन सीआरपीएफ (CRPF) जवानों ने यहां ‘ओपन थियेरटर’ का इंतजाम कर ग्रामीणों से संवाद और उनके बीच जन-जागरूकता की एक खास पहल शुरू की है। इस ओपन थियेटर में सारकेगुडा के साथ ही राजपेटा, कोरसागुडा, चिपुरबटटी, लिंगागिरी और धरमापुर गांव के लोग भी फिल्में देखने आ रहे हैं। सीआरपीएफ (CRPF) 168 बटालियन के कमांडेंट ने मीडिया से बातीचत के दौरान बताया है कि इस ओपन थियेटर में ग्रामीणों को देशभक्ति, सामाजिक सरोकारिता से जुड़ी फिल्में और सरकार की योजनाओं से जुडी लघु फिल्में दिखाकर उनमें जागरूकता लाने और समाज मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की जा रही है।

इस बेहतरीन प्रयास के जरिए सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों स्थानीय निवासियों का विश्वास भी जीत रहे हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग का बीजापुर जिला लाल आतंक (नक्सलवाद) के लिए कुख्यात है। नक्सली, फोर्स को निशाना बनाने के लिए आए दिन आइईडी ब्लास्ट करते रहे हैं। इसी बारूदी सुरंगों की सरजमीं के लोगों को देश-दुनिया के साथ मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सुरक्षाबलों ने एक ओवन थियेटर बनाया है जिसका उद्घाटन नये साल के मौके पर हुआ था। यह बीजापुर के वो इलाके हैं जहां नक्सली हमेशा ही विकास की राह में रोड़े बनकर खड़े रहे। उन्होंने गांव के लोगों के बीच भ्रम और झूठ फैला ना सिर्फ उनका दोहन किया बल्कि उन्हें आधुनिकता से दूर भी रखा।

याद दिला दें कि एक कथित मुठभेड़ में 17 लोगों की मौत के बाद सारकेगुड़ा काफी चर्चा में आया था। इसके बाद बासागुड़ा को जगरगुंडा से जोड़ने के लिए पक्की सड़क का निर्माण भी शुरू किया गया है। बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में स्कूलों में पढ़ाने से लेकर ग्रामीणों के लिए हैल्थ कैंप लगाने, उनके सामग्री बांटने जैसे कई काम सुरक्षा बल कर रही है। करीब दो साल पहले नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके के बासिंग में ऐसा ही एक थियेटर खोला गया था। इस थियेटर से ग्रामीणों को बाहरी दुनिया को समझने का मौका मिला था।

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