Chhattisgarh: बस्तर पुलिस ने किया बड़ा खुलासा, मीनपा मुठभेड़ में मारे गए थे 23 नक्सली

सुकमा जिले में 21 मार्च को हुई इस मुठभेड़ के 7 महीने बाद नया खुलासा हुआ है। अब जानकारी सामने आई है कि इस मुठभेड़ में कुल 23 नक्सली (Naxalites) मारे गए थे।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर।

सुकमा जिले में 21 मार्च को हुई इस मुठभेड़ के 7 महीने बाद नया खुलासा हुआ है। अब जानकारी सामने आई है कि इस मुठभेड़ में कुल 23 नक्सली (Naxalites) मारे गए थे।

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में 21 मार्च को हुई मुठभेड़ मामले में बड़ी खबर सामने आई है। बस्तर के आईजी ने बताया कि सुकमा जिले के मीनपा में हुई इस मुठभेड़ में 23 नक्सली मारे गए थे।

दरअसल उस दौरान मीनपा में बड़ी संख्या में नक्सलियों (Naxalites) के मौजूद होने की खबर मिली थी। जिसके बाद डीआरजी, एसटीएफ और सीआरपीएफ की ज्वाइंट टीम को इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए भेजा गया था।

इस दौरान नक्सलियों और ज्वाइंट टीम के बीच जमकर गोलीबारी हुई। जिसमें 17 जवान शहीद हुए थे और बाकी जवानों के बयान के आधार पर कहा गया था कि 10 से ज्यादा नक्सली (Naxalites) मारे गए।

इस मुठभेड़ के कुछ दिनों बाद ही नक्सलियों ने विज्ञप्ति जारी कर अपने 3 साथियों के मारे जाने की जानकारी दी थी और जवानों से लूटे गए हथियारों की फोटो भी जारी की थी।

लेकिन अब ताजा मामला चौंकाने वाला है। इस मुठभेड़ के 7 महीने बाद नया खुलासा हुआ है। अब जानकारी सामने आई है कि इस मुठभेड़ में कुल 23 नक्सली मारे गए थे।

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दरअसल 2 दिनों पहले सुकमा जिले के ही एटापाड़ में जवानों ने नक्सलियों के कैंप पर हमला कर उनका सामान बरामद किया था। इसमें नक्सलियों का साहित्य और कई दस्तावेज भी मिले थे।

गोंडी भाषा मे लिखे हुए दस्तावेजों में एक पत्र भी मिला था, जिसे दक्षिण बस्तर डिवीजन के एक बड़े नक्सली ने शायद सुजाता को लिखा था। पत्र में नक्सली ने लॉकडाउन की वजह से खाने पीने के सामानों की आपूर्ति में आ रही समस्याओं का जिक्र करते हुए संगठन की खराब स्थिति की जानकारी दी थी।

इसके साथ ही मीनपा मुठभेड़ में अपने 23 साथियों के मारे जाने की जानकारी देते हुए बताया था कि जगरगुंडा एरिया कमेटी से 12 और पश्चिम एरिया कमेटी से 11 नक्सलियों के मारे जाने की जानकारी मिली थी।

इसके अलावा दक्षिण बस्तर और दरभा डिवीजन में अलग अलग मुठभेड़ों 38 नक्सलियों के मारे जाने की बात भी लिखी थी। इसमें लिखा गया था कि लगातार हो रहे नुकसान के कारण संगठन में नए सदस्य जुड़ने को तैयार नहीं हो रहे हैं, फिर भी उनके द्वारा लगातार कोशिश की जा रही है।

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