छत्तीसगढ़: पुलिस ने छेड़ा लाल आतंक के खिलाफ अभियान, ‘बस्तर त माटा’ से कर रही नक्सलियों को बेनकाब

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धुर नक्सल प्रभावित बस्तर (Bastar) में स्थानीय पुलिस ने नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ जबरदस्त अभियान शुरू किया है। इसके तहत नक्सलियों का आदिवासी विरोधी चेहरे को बेनकाब किया जा रहा है।

Naxalites

पुलिस द्वारा तैयार किया गया पोस्टर।

नक्सलियों (Naxalites) के विकास विरोधी और आदिवासी विरोधी चेहरे को उजागर करने के लिए बस्तर पुलिस ने प्रचार युद्ध छेड़ा है।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धुर नक्सल प्रभावित बस्तर (Bastar) में स्थानीय पुलिस ने नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ जबरदस्त अभियान शुरू किया है। इसके तहत नक्सलियों का आदिवासी विरोधी चेहरे को बेनकाब किया जा रहा है। पुलिस ने इसके लिए पोस्टर बैनर जारी करने से लेकर सोशल मीडिया तक की पूरी तैयारी की हुई है।

राज्य के बस्तर इलाके के आला पुलिस अफसरों ने 15 सितंबर को इस बारे में जानकारी दी। पोस्टर जारी करते हुए अधिकारियों ने बताया कि नक्सलियों (Naxals) के विकास विरोधी और आदिवासी विरोधी चेहरे को उजागर करने के लिए बस्तर पुलिस ने प्रचार युद्ध छेड़ा है। अधिकारियों के अनुसार, इसके लिए गोंडी बोली में ‘बस्तर त माटा’ और हल्बी बोली में ‘बस्तर चो आवाज’ नाम से जन जागरूकता अभियान शुरू किए गए हैं। हिंदी में इसका मतलब ‘बस्तर की आवाज’ है।

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इस अभियान के माध्यम से बड़े नक्सली नेताओं (Naxali Leaders) की विकास विरोधी और आदिवासी विरोधी मानसिकता को बेनकाब किया जाएगा। बस्तर संभाग के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद जनसहयोग से नक्सल आतंक को समाप्त करना बस्तर पुलिस की प्राथमिकता रही है। कुछ महीनों से बस्तर में नक्सलियों (Naxalites) के आतंक के खिलाफ यह लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है।

उन्होंने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ अंदरूनी क्षेत्र में प्रभावी नक्सल विरोधी अभियान जरूरी है। इसी उद्देश्य से यह प्रचार युद्ध शुरू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में बैनर, पोस्टर, लघु चल चित्र, ऑडियो क्लिप, नाच-गाना, गीत-संगीत और सोशल मीडिया जैसे प्रचार प्रसार के अन्य माध्यम से नक्सलियों के काले कारनामों को उजागर किया जाएगा। स्थानीय गोंडी बोली में ‘बस्तर त माटा’ और हल्बी बोली में ‘बस्तर चो आवाज’ के नाम से प्रारंभ इस अभियान के माध्यम से बस्तर वासियों के विचारों को दुनिया तक पहुंचाया जाएगा।

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 सुंदरराज पी के अनुसार, इस अभियान के माध्यम से स्थानीय नक्सल मिलिशिया कैडर्स और नक्सल सहयोगियों को हिंसा त्याग कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया जाएगा। बता दें कि राज्य में नक्सलवाद (Naxalism) को उखाड़ फेंकने के लिए सरकार और पुलिस प्रशासन कमर कस चुकी है। नक्सलियों (Naxalites) को कमजोर करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

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