बनना चाहती थी डॉक्टर, नक्सलियों ने जबरन संगठन में किया भर्ती; नक्सली दंपत्ति ने सरेंडर कर सुनाई आपबीती

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत लगातार कामयाबी मिल रही है। इस कड़ी में बीजापुर में एक इनामी नक्सली दंपती ने सरेंडर (Naxal Couple Surrender) कर दिया है।

Naxalite Couple Surrender

बेटे के साथ फागुराम कोवासी और मोतीन कोवासी।

इस फैसले में मोतीन कोवासी का पति भी उसके साथ था। फिर दोनों ने पुलिस से संपर्क किया और सरेंडर (Naxalite Couple Surrender) कर दिया।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत लगातार कामयाबी मिल रही है। नक्सलियों का आत्मसमर्पण जारी है। इस कड़ी में बीजापुर में एक इनामी नक्सली दंपती ने सरेंडर (Naxalite Couple Surrender) कर दिया है।

फागुराम कोवासी और मोतीन कोवासी ने 15 सितंबर को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। नक्सलियों की खोखली विचारधारा, जीवन शैली और भेदभाव पूर्ण रवैये से त्रस्त होकर इन दोनों ने सरेंडर किया है।

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फागुराम कोवासी को मिलिट्री प्लाटून नंबर 16 का सदस्य था। वह साल 2005 में नक्सल संगठन के इन्द्रावती एरिया कमेटी में सीएनएम पार्टी में सदस्य के रूप में भर्ती हुआ था। उसने साल 2005 से 2010 तक सीएनएम पार्टी सदस्य के रूप में काम किया।

इसके बाद जुलाई, 2010 में उसे इंद्रावती एलओएस में पीएलजीए सदस्य बनाया गया। जहां चार महीने काम करने के बाद वह मिलिट्री प्लाटून नंबर 16 का सदस्य बना। उक्त नक्सली कोवासी पर 2 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

आईईडी लगाते समय उड़ गई थीं फागुराम कोवासी की 2 उंगलियां

नक्सली फागुराम कोवासी साल 2011 में नारायणपुर जिले के पुतनार गांव में पुलिस पार्टी पर एंबुश लगाकर हमला करने की घटना में शामिल था, जिसमें एक जवान शहीद हो गया था। साल 2012 में नारायणपुर के कोहकामेटा में गश्ती दल पर आईईडी विस्फोट की वारदात में भी उसका हाथ था। इस विस्फोट में तीन जवान शहीद हो गए थे।

इसके बाद, साल 2014 में नारायणपुर के भटबेड़ा के जंगलों में पुलिस नक्सली के बीच मुठभेड़ में भी वह शामिल था। इसमें एक जवान शहीद हो गया था। इसके बाद साल 2016 में नक्सली कोवासी के साथ दुर्घटना हुई। दरअसल, वह फुंडरी और बोदली के बीच जवानों को टारगेट करने के लिए आईईडी लगा रहा था।

आईईडी लगाते समय ही उसमें विस्फोट हो गया। इस विस्फोट में माड़ डिविजन कमांड इंचार्ज सुनिल की मौत हो गई और कोवासी के दाहिने हाथ की दो उंगलियां कट गईं। पर, इसके बाद भी वह नहीं माना। 2019 में बीजापुर के ताड़बल्ला में हुई पुलिस के साथ मुठभेड़ में वह शामिल था।

मोतीन कोवासी बनना चाहती थी डॉक्टर

वहीं, फागुराम कोवासी की पत्नी मोतीन कोवासी 2018 में नक्सल संगठन के इंद्रावती एरिया कमेटी में केएएमएस सदस्य के रूप में भर्ती हुई थी। इसके बाद 2021 तक लगातार केएमएस सदस्य के रूप में काम कर रही थी। मोतीन ने बताया कि उसने12वीं तक पढ़ाई की है। वह डॉक्टर बनना चाहती थी। लेकिन साल 2018 में नक्सली जबरन उसे अपने साथ लेकर चले गए।

उसने बताया कि उसका काम नक्सलियों की मीटिंग में गांव के लोगों को बुलाना होता था। उसने किसी हिंसक वारदात को अंजाम नहीं दिया है। उसने बताया कि छोटी सी गलती होने पर नक्सली बहुत गुस्सा होते थे। वे अच्छा बर्ताव नहीं करते थे। 4 महीने पहले उसे पैसों की जरूरत पड़ी तो वह अपने गांव आई। उसके बाद उसे वापस संगठन में जाने का मन नहीं हुआ और उसने सरेंडर करने का फैसला कर लिया।

इस फैसले में उसका पति भी उसके साथ था। फिर दोनों ने पुलिस से संपर्क किया और सरेंडर (Naxalite Couple Surrender) कर दिया। बता दें कि फागुराम कोवासी और मोतीन कोवासी का 1 साल का एक बेटा भी है। उनके बेटे का नाम सौरभ है। दोनों अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं। सरेंडर करने पर दोनों को शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत 10-10 हजार रुपये नकद दिया गया।

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