बिहार: संगठन में करता था भर्तियां, कई हिंसक वारदातों को अंजाम देने वाले नक्सली ने किया आत्मसमर्पण

बिहार के बांका जिले की पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली। 24 फरवरी को हार्डकोर नक्सली (Naxali) युगल राय ने एसपी अरविंद कुमार गुप्ता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

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बांका जिले के हार्डकोर नक्सली (Naxali) युगल राय ने 24 फरवरी को एसपी अरविंद कुमार गुप्ता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

बिहार के बांका जिले की पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। जिले के हार्डकोर नक्सली (Naxali) युगल राय ने 24 फरवरी को एसपी अरविंद कुमार गुप्ता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। उस पर आनंदपुर ओपी क्षेत्र में नक्सलियों की भर्ती, माओवादी गतिविधियों का प्रचार-प्रसार और विस्फोटक पदार्थ आदि से संबंधित दो संगीन मामले दर्ज हैं।

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बिहार के बांका जिले में हार्डकोर नक्सली ने किया सरेंडर।

यह नक्सली लंबे समय से पुलिस से बच रहा था। एसपी अरविंद कुमार गुप्ता के मुताबिक, आत्मसमर्पण करने के बाद नक्सली युगल राय को सरकारी योजना के तहत लाभ देने की कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि युगल राय आंनदपुर ओपी क्षेत्र के डोमनाडीह का रहने वाला है। वह मुख्य रूप से इसी इलाके में सक्रिय था।

नक्सली संगठन में करता था भर्तियां: पुलिस के अनुसार, 4 सितंबर, 2017 को आनंदपुर ओपी के तत्कालीन अध्यक्ष धीरेंद्र कुमार ने आनंदपुर थाना कांड संख्या 135/17 दर्ज कराई थी। इसमें नक्सली (Naxali)युगल राय समेत 13 पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

प्राथमिकी में जानलेवा विस्फोटक पदार्थ रखने, सरकार के खिलाफ आंदोलन करने, नक्सली संगठन में नए सदस्यों की भर्ती के लिए काम करने, नक्सली संगठन के लिए प्रचार करने, 50 किलोग्राम विस्फोटक पदार्थ और नक्सली पर्चा बरामद करने का जिक्र था।

जबकि, दूसरी प्राथमिकी10 अक्टूबर, 2017 को तत्कालीन ओपी अध्यक्ष रवि शंकर कुमार ने दर्ज कराई थी। इसमें उसके पास से 30 किलोग्राम विस्फोटक पदार्थ बरामद का आरोप लगाया गया था।

नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुलिस प्रयासरत: नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए पुलिस हरसंभव मदद कर रही है। पुलिस की ओर से भटके लोगों से समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए लगातार अपील की जाती है। इसके लिए पुलिस कई स्तर पर अभियान भी चला रही है।

इसके सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इसके अलावा आत्ससमर्पण कर चुके नक्सलियों के पुनर्वास के लिए सरकार की ओर से कई नीतियां भी बनाई गई हैं। पुलिस भी आत्मसमर्पित नक्सलियों के रोजगार और पुनर्वास में हर संभव मदद करती है।

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