सांकेतिक तस्वीर।
बिहार (Bihar Assembly Elections) राज्य के जमुई जिले और नवादा जिले की 6 से ज्यादा विधानसभा सीटों की सीमा गिरिडीह जिले से सटी हुई है। यह क्षेत्र जंगलों से भरा है और यहां नक्सलियों की संख्या बहुत ज्यादा होती है।
बिहार (Bihar Assembly Elections) में अक्टूबर और नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ी रणनीति तैयार की गई है। इस रणनीति का खाका बिहार और झारखंड की CRPF और दोनों राज्यों के सीनियर पुलिस अधिकारियों ने तैयार किया है।
इस रणनीति के तहत बिहार के विधानसभा क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगाने की तैयारी की जा रही है। दरअसल पुलिस के सूत्रों ने ये आशंका जताई है कि बिहार और झारखंड के नक्सली, एक साथ मिलकर चुनाव के दौरान किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं।
इसी मामले में बिहार के जमुई जिले के चकाई थाना में सीआरपीएफ, बिहार और झारखंड पुलिस के आला अधिकारियों की बैठक हुई और इसमें कई अहम फैसले लिए गए।
बता दें कि बिहार राज्य के जमुई जिले और नवादा जिले की 6 से ज्यादा विधानसभा सीटों की सीमा गिरिडीह जिले से सटी हुई है। यह क्षेत्र जंगलों से भरा है और यहां नक्सलियों की संख्या बहुत ज्यादा होती है।
इसी वजह से नक्सली बिहार में नक्सली घटना को अंजाम देकर झारखंड के गिरिडीह जिले के जंगलों में छुप जाते हैं। वहीं झारखंड में नक्सली वारदात को अंजाम देकर बिहार के जंगलों में छिप जाते हैं। इसलिए ये फैसला किया गया है कि सीआरपीएफ, बिहार और झारखंड की पुलिस के साथ मिलकर इनके खिलाफ ऑपरेशन चलाएगी।
झारखंड के गिरिडीह, देवघर और बिहार के जमुई, मुंगेर और बांका जिले के जंगलों में यह मुहिम चलेगी। बिहार के नक्सली झारखंड में ना आ सकें और झारखंड के नक्सली बिहार में ना जा सकें, इसी वजह से गिरिडीह पुलिस और सीआरपीएफ को विशेष टिप्स दिए गए हैं। ये योजनाएं इसलिए बनाई गई हैं जिससे पारसनाथ में छिपे बड़े नक्सली कमांडर पारसनाथ से बाहर न निकल सकें।
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बता दें कि गिरिडीह के वर्तमान एसपी अमित रेणु ने 2 महीने के अपने कार्यकाल में कई नक्सलियों को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया है। इसी वजह से बड़े नक्सली छिपे बैठे हैं। पारसनाथ में भी नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।
बता दें कि गिरिडीह जिले के कई गांव और बिहार के जमुई और नवादा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र घनघोर जंगलों से भरे पड़े हैं, इन्हें नक्सलियों के लिए सेफ जोन माना जाता है।
सूत्रों की मानें तो नक्सली पिंटू राणा, बिहार और झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों की कमान संभाले हुए है। झारखंड के गिरिडीह, देवघर, कोडरमा जिले के अलावा बिहार राज्य के जमुई नवादा, मुंगेर जिले को मिलाकर सीमांत जोन कमेटी बनाया गया है, इसका मुखिया कुख्यात नक्सली पिंटू राणा ही है।
पुलिस पिंटू राणा तो ढूंढ रही है, लेकिन वो अपना हुलिया बदलने में माहिर है और बिहार और झारखंड के बीच आता-जाता रहता है।
सूत्रों के मुताबिक नक्सली पिंटू राणा के साथ पारसनाथ के कई बड़े नक्सली काम कर रहे हैं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। महिला नक्सली करुणा दीदी का नाम भी सामने आया है, वह अजय महतो के दस्ते की विश्वसनीय महिला कमांडर है।
पिंटू राणा एक कुख्यात नक्सली है जिसके नेतृत्व में 2005 में भेलवाघाटी थाना क्षेत्र के चरखारी में नरसंहार किया गया था। वहीं बिहार के मुंगेर में जितनी भी नक्सली वारदात होती हैं, उनमें पिंटू राणा का रोल अहम होता है। पुलिस के लिए पिंटू राणा एक सिरदर्द बन गया है।
लेकिन इस बार CRPF और पुलिस ने मिलकर जो योजना बनाई है, उसमें इस बात की संभावना है कि कई बड़े नक्सली पुलिस के हत्थे चढ़ जाएंगे।
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