नक्सली कमांडर की अनोखी कहानी, 4 बार इश्क में नाकाम हुआ, 5वीं बार प्यार में पड़ने पर किया सरेंडर

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के चलगली इलाके में दहशत का नाम बन चुके नक्सली (Naxalites) जोनल कमांडर सीताराम की अनोखी कहानी सामने आई है।

Naxalites

सांकेतिक फोटो

जन अदालत के दौरान सीताराम ने पहली बार नक्सलियों (Naxalites) का रौब देखा। वह इससे प्रभावित हो गया और उसने नक्सली बनने की ठान ली।

अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ अभियान जारी है। इस अभियान के तहत कई नक्सलियों ने सरेंडर किया है। ऐसे में सरेंडर करने वाले नक्सलियों की वो वजहें भी सामने आ रही हैं, जिसकी वजह से वह नक्सलवाद का हिस्सा बने।

ऐसे में छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के चलगली इलाके में दहशत का नाम बन चुके नक्सली जोनल कमांडर सीताराम की कहानी भी सामने आई है।

सीताराम के पिता गांव के कोटवार हैं। लेकिन सीताराम ने अचानक ही हथियार उठा लिए और नक्सलवाद का रास्ता अख्तियार कर लिया। मिली जानकारी के मुताबिक, सीताराम को अपनी जिंदगी में 5 लड़कियों से प्यार हुआ, लेकिन उनसे मिले दर्द से वह अंदर ही अंदर टूटने लगा।

सीताराम की पहली प्रेमिका बेवफा निकली। उसकी दूसरी प्रेमिका के प्रेमी ने नक्सलियों के कान भरे, जिसकी वजह से सीताराम को जन अदालत जाना पड़ा। इसी वजह से सीताराम गुस्से में आकर नक्सली बन गया।

दरअसल जन अदालत के दौरान ही सीताराम ने पहली बार नक्सलियों (Naxalites) का रौब देखा। वह इससे प्रभावित हो गया और उसने नक्सली बनने की ठान ली।

सीताराम को तीसरी और चौथी बार भी प्यार हुआ, लेकिन इन लड़कियों से भी उसे दगा ही मिली। जिसके बाद प्यार में नाकाम सीताराम जान देने के लिए फंदे पर लटक गया। हालांकि उसके भाई ने उसे फंदे से उतार लिया और जान बचा ली। इसके बाद सीताराम डकैती के आरोप में जेल चला गया।

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जब वह जमानत पर लौटा तो उसे फिर प्यार हो गया और इस बार लड़की 10वीं पढ़ने वाली एक छात्रा थी। लड़की को जब सीताराम के बैकग्राउंड के बारे में पता चला तो उसने सीताराम से साफ कहा कि तुम्हें बंदूक या मुझमें से किसी एक को चुनना होगा। यहीं पर सीताराम ने बंदूक छोड़ दी और अपनी जिंदगी इस लड़की के नाम कर दी।

वह लड़की को लेकर असम चला गया और यहां उसने लड़की से शादी की। सीताराम यहां सब्जी बेचकर घर का खर्च चलाता था। उसने यहां मकान भी बना लिया।

जब लॉकडाउन हुआ तो सीताराम को अपने घर की याद आई और वह 15 साल बाद अपने घर लौटा। असम से लौटकर सीताराम ने सरेंडर कर दिया। सीताराम के एक बेटा है, जो 9वीं क्लास में पढ़ता है। वह एनसीसी का कैडेट है और वायुसेना में विंग कमांडर बनना चाहता है।

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