बस्तर में दौड़ेगी ट्रेन, पहली बार कमांडो करेंगे रेल परियोजना की निगरानी

रेलवे की इस अहम योजना के पहले चरण में दल्लीराजहरा से रावघाट के बीच दक्षिण की ओर 95 किलोमीटर रेल लाइन बिछाई जा रही है। प्रस्तावित नई रेल लाइन बैलाडीला और रावघाट माइंस को भिलाई से जोड़ेगी।

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रावघाट रेल परियोजना के तहत 235 किलोमीटर में पटरी बिछाने का काम चल रहा है।

देश के कई ऐसे हिस्से हैं जहां विकास कार्यों के लिए सरकार अरबों रुपए खर्च करती है, उनका विकास करना चाहती है। लेकिन नक्सली विकास के इन कार्यों के ऐसे दुश्मन बन बैठे हैं कि उन्हें ना तो आम जनता की भलाई से कोई मतलब है और ना ही प्रजातंत्र से उन्हें कोई सरोकार है। लेकिन अब सरकार इन नक्सलियों से आर-पार की लड़ाई के मूड में है और किसी भी कीमत पर विकास योजनाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाना चाहती है। देश के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिले बस्तर में सरकार की बड़ी रेल परियोजना है, जिसके तहत वो यहां सुदूर गांवों को रेल से छोड़ना चाहती है। हालांकि निश्चित है कि सरकार के विकास कार्य का नक्सली विरोध करेंगे और जनहित के कार्य में बाधा जरूर पहुंचाने की कोशिश करेंगे। पर रेलवे की सबसे महत्वकांक्षी रावघाट रेल परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार ने भी ठोस योजना बना ली है। अब तक इस परियोजना को पूरा करने में दिक्कत यह आ रही थी कि नक्सली इस योजना के आड़े आ रहे थे मगर अब इस इलाके में स्पेशल कमांडो की निगरानी में इस योजना को पूरा किया जाएगा और रेल लाइन के विस्तार का काम होगा।

जी हां, छत्तीसगढ़ में पहली बार आरपीएफ के कमांडो बस्तर में रेल लाइन का काम पूरा करने के लिए मोर्चे पर उतरेंगे। रावघाट रेल परियोजना के तहत 235 किलोमीटर में पटरी बिछाने का काम चल रहा है। यह दो हिस्से में है। ईस्ट कोस्ट रेलवे के वाल्टियर डिविजन अंतर्गत बस्तर रेल लाइन से प्राइवेट सेक्टर द्वारा जगदलपुर से रावघाट तक 140 किलोमीटर और दल्लीराजहरा से रावघाट तक रेल विकास निगम द्वारा पटरी बिछाने का काम किया जा रहा है। खास बात यह है कि रेल विकास निगम ने दल्ली राजहरा से केंवटी तक 43 किलोमीटर तक पटरी बिछाने का काम कर लिया है। इतना ही नहीं रेलवे ने केंवटी तक ट्रेन का परिचालन भी शुरू कर दिया है। आरबीएनएल ने केंवटी के आगे काम शुरू कर दिया है। कुछ दिनों पहले आरपीएफ डीजी जगदलपुर दौरे पर आए थे। यहां डीजी ने नक्सली वारदातों को देखते हुए रेल लाइन पर आरपीएफ की चार कंपनी की तैनाती को हरी झंडी दे दी है।

जानकारी के मुताबिक ईस्ट कोस्ट रेलवे अंतर्गत वाल्टियर डिविजन में किरंदुल, दंतेवाड़ा, बचेली, कामालूर आदि घोर नक्सल इलाकों में पटरी बिछाने का काम होगा इसलिए आरपीएफ की तीन कंपनियां यहां तैनात होंगी। एक कंपनी रायपुर मंडल अंतर्गत भानुप्रतापपुर, केंवटी के नक्सल प्रभावित इलाके में तैनात की जाएगी। यहां बता दें कि एक कंपनी में 120 कमांडो होते हैं। रेलवे सूत्रों के अनुसार आठ महीने के भीतर तड़ोके और अंतागढ़ तक पटरी बिछाने का लक्ष्य रखा गया है। एक खास बात यह भी है कि दिल्ली से आने वाली आरपीएफ की कंपनी को कांकेर में ‘जंगल वॉर’ की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह ट्रेनिंग करीब 45 दिनों की होगी, इसके बाद ही कमांडो को नक्सल इलाकों में तैनात किया जाएगा। अधिकारियों का मानना है कि सितंबर में कमांडो को मोर्चा लेने के लिए तैनात कर दिया जाएगा।

रेलवे की इस अहम योजना के पहले चरण में दल्लीराजहरा से रावघाट के बीच दक्षिण की ओर 95 किलोमीटर रेल लाइन बिछाई जा रही है। प्रस्तावित नई रेल लाइन बैलाडीला और रावघाट माइंस को भिलाई से जोड़ेगी। इसके निर्माण में 631.78 करोड़ रुपये लागत आने का अनुमान है। इसी तरह रावघाट से जगदलपुर के बीच 140 किलोमीटर रेल लाइन बिछाने का काम बस्तर रेल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। इसकी लागत 664.31 करोड़ रुपये है।

जाहिर है सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी रावघाट परियोजना अंतर्गत पटरी बिछाने का काम चल रहा है। यह पहला मौका है जब रेलवे की परियोजना के दौरान सुरक्षा के लिए आरपीएफ कमांडो तैनात किए जाएंगे। कमांडो की चार कंपनियां आ रही हैं, जिनमें तीन कंपनियां ईस्ट कोस्ट के वाल्टियर डिविजन में तथा एक कंपनी रायपुर मंडल अंतर्गत भानुप्रातपुर, केंवटी आदि जगहों पर तैनात की जाएगी। नक्सली अब चाहे कितनी भी कोशिश कर लें लेकिन कमांडो इस परियोजना के खिलाफ उनकी किसी भी मुहिम को सफल नहीं होने देंगे।

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