नक्सली इलाके में शिक्षा की रोशनी फैला रहे पवन, गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए कर रहे दिन-रात मेहनत

पवन कुमार मोदी पवन मोदी ने मैट्रिक पास करने के पहले से ही अपने गांव के महादलित टोला में बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू कर दिया था।

Naxal Area

बच्चों को पढ़ाते पवन कुमार मोदी

पवन लखीसराय के इटौन के रहने वाले हैं। पिछले करीब 30 सालों से गांव में रहकर वह इस नक्सल ग्रस्त इलाके (Naxal Area) के गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ा रहे हैं।

जंगल एवं पहाड़ों से घिरे बिहार के लखीसराय जिले के नक्सल प्रभावित (Naxal Area) चानन प्रखंड शिक्षा के मामले में बहुत ही पिछड़ा इलाका है। इस प्रखंड में उच्च शिक्षा तो दूर की बात है, प्राथमिक शिक्षा का हाल भी बुरा है। विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है। पर दुनिया में ऐसे लोग भी हैं, जो कठिन परिस्थितियों में भी समाज की भलाई के लिए कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं।

पवन कुमार मोदी भी ऐसे ही लोगों में हैं। पवन लखीसराय के इटौन के रहने वाले हैं। पिछले करीब 30 सालों से गांव में रहकर वह इस नक्सल ग्रस्त इलाके (Naxal Area) के गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ा रहे हैं। वे गांव एवं आसपास के सैकड़ों गरीब बच्चों का जीवन रोशन कर रहे हैं। पवन कुमार मोदी ने मैट्रिक पास करने के पहले से ही अपने गांव के महादलित टोला में बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू कर दिया था।

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शुरुआत में उन्होंने पढ़ाना सिर्फ इसलिए शुरू किया कि उनका अपना ज्ञान बढ़ सके। वे लगातार तीन सालों तक महादलित टोला के बच्चों को पढ़ाते रहे। बाद में बाल विकास विद्या मंदिर नाम का स्कूल खोलकर गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाने लगे। पढ़ाई के बदले बच्चों के अभिभावक अपनी इच्छा के अनुसार जो कुछ भी देते थे, उसी से वे अपना खर्च निकालने लगे।

पवन कुमार मोदी बताते हैं कि साल 1988 में दसवीं पास करने के बाद किसी तरह साल 1990 में उन्होंने इंटर कि पढ़ाई पूरी की। उन्होंने स्नातक में अपना दाखिला तो कराया, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण पढ़ाई पूरी नहीं सके। इस बात ने ही उन्हें गरीबों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

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गरीब परिवार का कोई भी बच्चा उनकी तरह पैसे की कमी की वजह से न पढ़ाई छोड़ दे इसलिए उन्होंने यह फैसला किया। पवन कहते हैं कि जब परिवार की जिम्मेदारी बढ़ गई तो उन्होंने गांव के पास ही एक आवासीय विद्यालय में शिक्षक की नौकरी शुरू कर दी। लेकिन गरीबों के लिए खोले गए स्कूल को उन्होंने बंद नहीं किया। आज भी सुबह और शाम के समय वे गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाते हैं।

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