
चार लेवल वाले इस गेम को दीपेश ने इंजीनियरिंग के 15 साथियों के साथ मिलकर बनाया है। उनके सभी साथी भी झारखंड (Jharkhand) से ही हैं।
आत्मनिर्भर भारत से प्रेरणा लेते हुए झारखंड (Jharkhand) के युवाओं ने एक देसी वीडियो गेम बनाया है। प्रदेश के 15 युवाओं की टीम ने पुलवामा और बालाकोट एयर स्ट्राइक पर आधारित देसी वीडियो गेम बनाया है। उन्होंने इसे नाम दिया है- सेना स्ट्राइक इनकाउंटर फॉर नेशन बाई अभिनंदन। यह वीडियो गेम बालाकोट एयर स्ट्राइक विंग कमांडर अभिनंदन के साहसिक कारनामे को समर्पित है।
धनबाद के बलिहारी पुटकी के रहने वाले इंजीनियरिंग के छात्र दीपेश कुमार ने अपने साथियों के साथ मिलकर यह गेम बनाया है। इनके गेम के हीरो भारतीय एयर फोर्स के हीरो विंग कमांडर अभिनंदन हैं। यह वीडियो गेम देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत गेम है। इस गेम में विंग कमांडर दुश्मन के गढ़ में घुसकर ठिकानों को ध्वस्त कर सकुशल लौट आते हैं।
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गेम की शुरुआत पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि से होती है। इस गेम की कहानी बालाकोट में हुए अभिनंदन के एयर स्ट्राइक के ऊपर है। गौरतलब है कि अभिनंदन किस तरह से एयर स्ट्राइक कर रहे थे, जब उनका प्लेन क्रैश हो गया और वो पाकिस्तान में गिर गए। पाकिस्तान का पूरा मैप दिखेगा। यहां अभिनंदन किस तरह से दुश्मनों से लड़ते हैं, इसी पर इस गेम की स्टोरी आगे बढ़ती है।
यह गेम हिंदी में है। गेम पूरी तरह से विंग कमांडर अभिनंदन की दिलेरी और वीरता के निडर कार्यों पर आधारित है। दीपेश ने इस गेम को अपने स्टार्टअप गौरवगो टेक्नोलॉजी के जरिए लांच किया है। इसे भारत सरकार के माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज में रजिस्ट्रेशन भी कराया है। गेम बनाने वाले सभी 15 छात्र अलग-अलग कॉलेजों में बीटेक की पढ़ाई कर रहे हैं।
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इन छात्रों ने पढ़ाई करते हुए ही गेम बनाना सीखा। इन्होंने महज 23 दिन में यह गेम तैयार किया है। दिन में ये सभी छात्र क्लास करते थे और रात में गेम बनाते थे। गेम का कंप्यूटर वर्जन तैयार हो चुका है। अब इसके एंड्रायड वर्जन पर काम चल रहा है। इसके बाद मोबाइल के प्ले स्टोर से इसे डाउनलोड किया जा सकेगा। कंप्यूटर पर इसे खेलने के लिए गौरवगो टेक्नोलॉजीज की वेबसाइट से डाउनलोड करना होगा।
बता दें कि दीपेश गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट (जीआइटीए) ओडिशा से बीटेक की पढ़ाई कर रहे हैं। दीपेश बताते हैं कि नौवीं कक्षा से ही गेम बनाना चाहते थे। लेकिन न तो कंप्यूटर था और न ही लैपटॉप। आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। चार लेवल वाले इस गेम को दीपेश ने इंजीनियरिंग के 15 साथियों के साथ मिलकर बनाया है। उनके सभी साथी भी झारखंड (Jharkhand) से ही हैं।
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इस गेम को बनाने वाले 15 सदस्यों की टीम में झारखंड (Jharkhand) के धनबाद जिले के दीपेश गौरव हैं जो जीआइटीए, भुवनेश्वर से पढ़ाई कर रहे हैं। इनके साथ धनबाद की ही रेहाना खातून, विकास कुमार प्रजापति और रागिनी सिंह हैं। ये तीनों आरवीएस इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र हैं। इनके अलावा टीम में बोकारो के विकास महतो, अमित कुमार और प्रह्लाद कुमार हैं। विकास और अमित आरवीएस इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र हैं जबकि प्रह्लाद यूसीईटी, हजारीबाग के छात्र हैं।
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इनके साथ जमशेदपुर के शिवम कुमार जो वीआइटी पुणे के छात्र हैं, श्रेया मिश्रा जो केआइआइटी भुवनेश्वर की छात्रा हैं, गौतम कुमार जो यूसीईटी हजारीबाग के छात्र हैं और अविनाश कुमार जो आरवीएस कॉलेज में इंजीनियरिंग के छात्र हैं। टीम में रांची के अनमोल कुमार हैं, जो आरवीएस कॉलेज के स्टूडेंट हैं, रामगढ़ के जतिन सिंह, जो आरवीएस कॉलेज के छात्र हैं, हजारीबाग के आकाशदीप जो यूसीईटी, हजारीबाग के छात्र हैं और गढ़वा के नीतिश कुमार हैं जो यूसीईटी, हजारीबाग के छात्र हैं।
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