झारखंड: सिस्टम ने नहीं सुनी तो खुद फावड़ा लेकर निकल पड़े ग्रामीण, बना डाली सड़क

Jharkhand: बोकारो जिले के चास प्रखंड में 2 गांव हैं, इनका नाम शिकारी और परसाडीह है। यहां के लोगों ने सालों भागदौड़ की, लेकिन सड़क नहीं बन सकी।

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झारखंड (Jharkhand) के बोकारो जिले के चास प्रखंड में 2 गांव हैं, इनका नाम शिकारी और परसाडीह है। यहां के लोगों ने सालों भागदौड़ की, लेकिन सड़क नहीं बन सकी। चूंकि ये एक आदिवासी इलाका था, इसलिए भी यहां के लोगों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया।

बोकारो: एक कहावत है कि अगर इंसान किसी काम को करने की ठान ले तो वो कुछ भी कर सकता है। ताजा मामला झारखंड (Jharkhand) के बोकारो का है। यहां के ग्रामीणों का जब सिस्टम से भरोसा उठ गया तो उन्होंने खुद परिवर्तन लाने के बारे में सोचा और सड़क बना डाली।

दरअसल बोकारो जिले के चास प्रखंड में 2 गांव हैं, इनका नाम शिकारी और परसाडीह है। यहां के लोगों ने सालों भागदौड़ की, लेकिन सड़क नहीं बन सकी। चूंकि ये एक आदिवासी इलाका था, इसलिए भी यहां के लोगों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया।

कुछ महीने पहले गांव में एंबुलेंस नहीं पहुंची, जिसकी वजह से एक युवक की मौत हो गई। इससे एक साल पहले भी एक शख्स की सड़क ना होने की वजह से मौत हो गई। बस, यहीं से बदलाव की शुरुआत हुई और गांव वालों ने खुद मिलकर एक सड़क बनाने की ठानी।

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गांव के लोगों ने 20 दिनों तक खूब मेहनत की और एक किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क बना डाली। इस सड़क के बनने से 2 गांव आपस में जुड़ गए।

बता दें कि दोनों गांवों को मिलाकर आबादी करीब 2 हजार है और यहां के ज्यादातर लोग आदिवासी और अनुसूचित जाति के हैं।

सड़क बनाने के लिए ग्रामीणों ने अगस्त में बेरोजगार सहयोग समिति बनाई। इसके बाद आपस में चंदा किया गया और 20 हजार रुपए जमा किए। फिर इन रुपयों से सारा जरूरत का सामान आया।

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