Jharkhand: कोरोना की वजह से जो बच्चे अनाथ हुए, अब उनका भविष्य संवारेगा ये प्रोजेक्ट

कोरोना (Coronavirus) महामारी की वजह से अनाथ हो चुके बच्चों के लिए झारखंड (Jharkhand) में योजना शुरू की गई है। ऐसे अनाथ बच्चों का जीवन अच्छा हो और वे पढ़ लिखकर एक योग्य नागरिक बनें, इसके लिए प्रोजेक्ट शिशु की शुरुआत हुई है।

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झालसा (Jharkhand State Legal Services Authority) के सचिव संदीप कुमार बर्तम ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने यह प्रोजेक्ट शुरू किया है।

कोरोना (Coronavirus) महामारी की वजह से अनाथ हो चुके बच्चों के लिए झारखंड (Jharkhand) में योजना शुरू की गई है। ऐसे अनाथ बच्चों का जीवन अच्छा हो और वे पढ़ लिखकर एक योग्य नागरिक बनें, इसके लिए प्रोजेक्ट शिशु की शुरुआत हुई है। इसके माध्यम से ऐसे बच्चों का भविष्य संवारा जाएगा जो कोरोना की वजह से अनाथ हो गए हैं।

झालसा (Jharkhand State Legal Services Authority) के सचिव संदीप कुमार बर्तम ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने यह प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस पर झालसा और हाई कोर्ट के न्यायधीश ने भी दिशा निर्देश जारी किया है। सरकारी योजना के तहत उस बच्चे को दो हजार रुपए प्रतिमाह खर्च के लिए दिया जाएगा।

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वहीं, सरकार की तरफ से नि:शुल्क अनाज, स्वास्थ्य सेवा के साथ कस्तूरबा गांधी विद्यालय, नवोदय विद्यालय के साथ जिले के अच्छे प्राइवेट स्कूलों में नामांकन करावा कर शिक्षा दिलाई जाएगी। जानकारी के अनुसार, जिला प्रशासन और जिला कल्याण विभाग ने अब तक वैसे पांच बच्चों को ढूढ़ा है जिनके माता-पिता की इस कोरोना काल मे मौत हो गई थी। उन बच्चों की सूची झालसा और राज्य सरकार को भेजी गई है।

साथ ही कोरोना से हुई मौत की सूची सिविल सर्जन से मांगी गई है। इससे पता चल पाएगा कि कितने लोगों की मौत हुई थी, जिनके बच्चों को लाभ मिल सके। इसके साथ ही प्रधान जिला जज सह डालसा की अध्यक्ष वीणा मिश्रा और डीसी सह डालसा के उपाध्यक्ष राहुल कुमार सिन्हा ने वैसे बच्चों के बारे में खोज के लिए एक टास्क फोर्स का गठन करने की बात कही है।

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इस टास्क फोर्स में पैनल अधिवक्ता, जिला प्रशासन की टीम, पीएलवी और जिला कल्याण विभाग के अधिकारी व कर्मी शामिल रहेंगे। वे सभी प्रखंड के सुदूर क्षेत्रों में जाकर उन बच्चों के बारे में जानकारी लेकर उन्हें लाभ दिलाएंगे। साथ ही जिस बच्चे को रिश्तेदार अपने पास रखना नहीं चाहते हैं वैसे बच्चों के लिए दो होस्टल संचालित हैं, जिनमें लड़कों के लिए मोहनपुर में और लड़कियों के लिए सिहोडीह में हैं।

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