Jharkhand: नक्सल प्रभावित इलाके के युवा दे रहे अपने सपनों को उड़ान, इंटरनेट साबित हो रहा वरदान

एक वक्त था जब झारखंड (Jharkhand) में लाल आतंक (Naxalism) का बोलबाला था। लेकिन सरकार और प्रशासन की ओर से हो रही कोशिशों की वजह से अब स्थिति बदल रही है।

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सांकेतिक तस्वीर।

झारखंड (Jharkhand) के जंगली इलाकों में भी स्मार्टफोन ने जगह बना ली है। स्मार्टफोन और इंटरनेट यहां नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ जंग में भी नया हथियार साबित हो रहा है।

एक वक्त था जब झारखंड (Jharkhand) में लाल आतंक (Naxalism) का बोलबाला था। लेकिन सरकार और प्रशासन की ओर से हो रही कोशिशों की वजह से अब स्थिति बदल रही है। पुलिस और सुरक्षाबलों द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियानों के बाद नक्सली (Naxals) कमजोर हुए हैं। अब नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में भी विकास की बयार बहने लगी है।

नक्सल प्रभावित इलाकों के युवा भी अपने सपनों को उड़ान दे रहे हैं। युवाओं के सपनों को पूरा करने में इंटरनेट इनका सबसे बड़ा साथी बना है। झारखंड (Jharkhand) के जंगली इलाकों में भी स्मार्टफोन ने जगह बना ली है। स्मार्टफोन और इंटरनेट यहां नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ जंग में भी नया हथियार साबित हो रहा है।

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सरकार ने भी नक्सलियों द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार से बचाने के लिए और जागरूकता लाने के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी पर जोर दिया है। इसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। अब इन क्षेत्रों के युवाओं को 12वीं के बाद करियर के विकल्पों की जानकारी मोबाइल से तुरंत मिल रही है। ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ लेने का तरीका ग्रामीण युवा जान चुके हैं।

जंगली इलाकों के आस-पास रहने वाले युवा जेपीएससी (झारखंड लोकसेवा आयोग), जेएसएससी (झारखंड कर्मचारी चयन आयोग) सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो रहे हैं। गिरिडीह जिले के पीरटांड़ ब्लॉक के चिरकी धुर नक्सल प्रभावित गांव चिरकी के रहने वाले विशाल ने हाल ही में जेपीएससी परीक्षा पास किया है। अब वे बतौर प्रशासनिक अधिकारी काम कर रहे हैं। उन्होंने परीक्षा की तैयारी ऑनलाइन की थी।

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धनबाद के टुंडी के पर्वतपुर के रामकुमार हेंब्रम कोलकाता में रेलवे में जूनियर इंजीनियर हैं। वे कहते हैं कि कोचिंग की ऑनलाइन सुविधा ने मेरी राह आसान बनाई। वहीं, टुंडी की पोखरिया की नीलू मुर्मू हाई स्कूल शिक्षिका हैं। वे बताती हैं कि ऑनलाइन कोचिंग ने मेरी समस्या का समाधान कर दिया।

इसी तरह दर्जनों नक्सल प्रभावित गांवों के बच्चे ऑनलाइन ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर जेएसएससी, एसएससी (कर्मचारी चयन आयोग), आइबीपीएस (इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन), यूजीसी नेट, रेलवे जैसी परीक्षा पास कर चुके हैं। वे बताते हैं कि उनके पास साधनों की कमी थी, लेकिन इंटरनेट से जुड़ जाने के कारण कम खर्च में काफी कुछ ऑनलाइन पढ़ लेते हैं।

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वहीं, भटके हुए युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार, सुरक्षा एजेंसियां और पुलिस संवाद समन्वय की रणनीति अपनी रही है। इसमें भी इंटरनेट मददगार साबित हो रहा है। पुलिस-प्रशासन ने लोगों को जागरूक करने और योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया और इंटरनेट को माध्यम बनाया जा रहा है।

शिबू सोरेन डिग्री कॉलेज, टुंडी, धनबाद के प्राचार्य गौरांग भारद्वाज बताते हैं कि पिछड़े इलाके के बच्चे आज बेहतर कर रहे हैं। इसके पीछे इंटरनेट का अहम योगदान है। विद्यार्थी ऑनलाइन तैयारी कर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो रहे हैं।

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वहीं, धनबाद के एसएसपी असीम विक्रांत मिंज का कहना है, “पिछड़े इलाके में रह रहे बच्चों के लिए इंटरनेट सेवा वरदान साबित हो रही है। मोबाइल के माध्यम से पढ़ाई कर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल रहे छात्रों को मेरी ओर से शुभकामनाएं। इन इलाकों को और बेहतर इंटरनेट सेवा मिले, इसके लिए संबंधित विभाग से बातचीत करूंगा।”

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